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अकबर की पत्नियों की सुरक्षा करते थे किन्नर, वजह जानकर पैरों तले जमीन खिसक जाएगी

मुगलों के समय राजा कई शादियां करते थे और एक ही महल में अपनी रानियों के साथ रात-दिन गुजारते थे. मुगल शक्ति का सबसे महान शासक अकबर को माना जाता है जिसके साम्राज्य का फैलाव भारतीय उपमहाद्वीप के अधिंकाश हिस्सों था. भारत के इतिहास में अकबर बहुत ही लोकप्रिय सम्राट माना जाता है जिन्होंने दिल्ली सहित भारत के कई हिस्सों में काफी समय तक राज किया, जिसकी छाप आज भी देखने को मिलती है. मुगलों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध अकबर अपने अजीबों-गरीब कारनामों के लिए भी जाने जाते हैं और उन्हीं कारनामों में एक है कि अकबर की पत्नियों की सुरक्षा करते थे किन्नर, आखिर क्या थी इसके पीछे की वजह चलिए जानते हैं.

अकबर की पत्नियों की सुरक्षा करते थे किन्नर

मुगलों के बारे में भारत के इतिहास में बहुत कुछ लिखा है. अकबर मुगल सल्तनत के सबसे प्रभावशाली सम्राट थे लेकिन उनके बारे में एक बात जो शायद आप नहीं जानते थे वो ये कि अकबर को अपनी पत्नियों पर भरोसा नहीं था. अकबर को इस बात का डर था कि अगर उनके महल में गैर पुरुष आएंगे तो उनकी पत्नियां उन गैर पुरुषों से रिश्ता बना सकती हैं.

इसलिए पत्नियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी अकबर ने कुछ किन्नरों को दे दी थी. मुगल शासन के समय में मुगलों के महल में किन्नर सम्राटों के व्यक्तिगत जीवन का प्रमुख हिस्सा हुआ करते थे. कई जगह उनका प्रयोग होता था, खासकर मुगलों के हरम और उनकी बहु-बेटियों की सुरक्षा में उनका प्रयोग किया जाता था. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मुगलों के महल में किन्नरों की संख्या सैकड़ों में हुआ करती थी.

बेटियों को इस वजह से रखता था कुंवारी

ऐसा माना जाता है कि सम्राट अकबर को किसी भी इंसान के आगे झुकना पसंद नहीं था और बेटियों की शादी करवाने के लिए उसे झुकना पड़ता. इसी कारण से मुगलों की ज्यादातर बेटियां जीवनभर बगैर शादी के जिंदगी गुजारती थीं. मुगल शासक अपनी बेटियों के कमरे के आस-पास किसी भी मर्द को फटकने तक नहीं देते थे और उनके कमरे की सुरक्षा के लिए किसी मर्द को नहीं बल्कि किन्नरों को तैनात रखा जाता था. अकबर की इसी नीति की परंपरा को जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब ने भी अपनाया. आईने अकबरी के अनुसार अकबर की सालाना आय साल 1595 में 9 करोड रुपए (चांदी) थी. अकबर के बारे में एक बात मशहूर थी कि वो अपना सिर सिर्फ ईश्वर के आगे झुकाता था, और वो सिर्फ मुस्लिम धर्म ही नहीं बल्कि कई धर्मों को मानता था. उन धर्मों में बौद्ध और हिंदू शामिल है. अकबर ने कई धर्मों को मिलाकर दीन-ए-ईलाही धर्म बनाया था जिसमें किसी को भी ये धर्म अपनाने के लिए बाध्य नहीं किया जाता था लेकिन वो इस धर्म का प्रचार करता था. हालांकि अकबर के इस धर्म को ज्यादा लोगों ने स्वीकार नहीं किया था और वो ये नहीं मानता था कि जो राजा का धर्म है वो प्रजा का भी होना चाहिए. सभी इंसान को अपने हिसाब से धर्म का पालन करने का अपना अधिकार होना चाहिए. इस हिसाब से आप सम्राट अकबर को अच्छा इंसान भी कह सकते हैं और बुरा भी.

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