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अब प्लास्टिक कचरे से मुक्त होंगे उत्तराखंड के राष्ट्रीय उद्यान…

देहरादून: देश को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम उत्तराखंड के राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों व कंजर्वेशन रिजर्व में भी परवान चढ़ेगी। इन सभी संरक्षित क्षेत्रों में प्लास्टिक को प्रतिबंधित करते हुए वहां सिंगल यूज प्लास्टिक के निस्तारण के मद्देनजर कार्मिकों के साथ ही सैलानियों के लिए गाइडलाइन तैयार की जा रही है। जल्द ही संरक्षित क्षेत्रों में अभियान चलाया जाएगा। प्रस्तावित गाइडलाइन में कचरे के निस्तारण के लिए प्रभावी उपाय करने के साथ ही नियमों की अनदेखी पर जुर्माने का प्रविधान किया जा रहा है।

प्लास्टिक कचरे से उत्तराखंड के संरक्षित क्षेत्र भी अछूते नहीं हैं। प्रकृति और वन्यजीवन का दीदार करने पहुंचने वाले सैलानियों द्वारा छोड़े जाना वाला प्लास्टिक कचरा यहां भी यत्र-तत्र नजर आता है। ऐसे में संरक्षित क्षेत्रों में दिक्कतें पेश आ रही हैं। इसे देखते हुए राज्य के सभी संरक्षित क्षेत्रों यानी राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और कंजर्वेशन रिजर्व में प्लास्टिक बैन करते हुए वहां प्रधानमंत्री की मुहिम को धरातल पर उतारने का निश्चय किया गया है।

संरक्षित क्षेत्रों में सिंगल यूज प्लास्टिक के निस्तारण को गाइडलाइन तैयार की जा रही है, ताकि ये क्षेत्र भी प्लास्टिक कचरे से मुक्त हो सकें। वन्यजीव महकमे के सूत्रों के अनुसार गाइडलाइन में इस बिंदु को प्रमुखता दी जा रही है कि कार्मिकों के साथ ही सैलानी भी प्लास्टिक को न कहें और इसे अपने व्यवहार में भी लाएं। इससे कोई भी व्यक्ति संरक्षित क्षेत्र में प्लास्टिक नहीं ले जाएगा। सिंगल यूज प्लास्टिक के निस्तारण को कई नियम तैयार किए जा रहे हैं, जिनका अनुपालन न करने की दशा में जुर्माना अदा करना पड़ेगा। इसकी श्रेणियां तय की जा रही हैं।

राज्य में संरक्षित क्षेत्र

राष्ट्रीय उद्यान- कार्बेट, राजाजी, नंदादेवी, फूलों की घाटी, गंगोत्री व गोविंद

वन्यजीव अभयारण्य- मसूरी, केदारनाथ, गोविंद, अस्कोट, सोनानदी, बिनसर व नंधौर।

कंजर्वेशन रिजर्व- आसन, झिलमिल झील, पवलगढ़, नैनादेवी

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जल्द जारी होगी गाइडलाइन

उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी के मुताबिक, संरक्षित क्षेत्रों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने को गाइडलाइन तैयार की जा रही है। जल्द ही इसे जारी कर दिया जाएगा।

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