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अभी-अभी: उर्जित पटेल ने दिया इस्तीफा, इस विवाद की वजह से छोड़ना पड़ा RBI गवर्नर का पद

उर्जित पटेल ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से अपना इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उर्जित ने निजी कारणों का हवाला दिया है। लेकिन इसके पीछे की कहानी पहले से लिखी जा रही थी। आरबीआई और सरकार के बीच तनातनी के समय भी उर्जित पटेल के इस्तीफा देने की अटकलें लग रही हैं। लेकिन उस वक्त इस तरह की खबरों पर बोर्ड की बैठक के बाद विराम लग गया था।  19 नवंबर को आरबीआई के बोर्ड की बैठक हुई थी। इसके बाद रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने के फैसले के बाद बुलाई गई पत्रकार वार्ता में भी उर्जित, सरकार से तनातनी होने के सवालों का जवाब देने से बचते रहे।

अभी-अभी: उर्जित पटेल ने दिया इस्तीफा, इस विवाद की वजह से छोड़ना पड़ा RBI गवर्नर का पदइस्तीफा देने के पीछे यह हो सकते हैं बड़े कारण
जिन कारणों से उर्जित पटेल को गवर्नर पद से इस्तीफा देना पड़ा उनमें सरकार द्वारा सेक्शन 7 का इस्तेमाल करने की बात कहना और छोटे उद्योगों के लिए लोन आसान बनाना, कर्ज और फंड की समस्या से जूझ रहे 11 सरकारी बैंकों को कर्ज देने से रोकने पर राहत और शैडो लेंडर्स को ज्यादा लिक्विडिटी देना शामिल है। आरबीआई भी सरकार के रवैये को लेकर आक्रामक थी। उसका कहना था कि क्या सरकार बैंक कि स्वायत्तता को खत्म करना चाहती है। इसके लिए उसने 2010 के अर्जेंटीना के के वित्तीय बाजार का भी उदाहरण दिया है।

तब सरकार ने संकेत दिए थे कि वह पटेल का इस्तीफा नहीं चाहती है लेकिन बैंक के साथ कुछ मुद्दों का समाधान जरूरी है। मोदी समर्थकों ने तब साफ कर दिया था कि नीति में बड़े स्तर पर बदलाव की जरूरत है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, सरकार समर्थित बोर्ड के कुछ सदस्यों को 19 नवंबर को हुई बैठक में आरबीआई पर दबाव बनाने की स्वीकृति दे दी गई थी।

कानून के हिसाब से काम करे आरबीआई

वित्त मंत्रालय ने तब कहा था कि यह स्वायत्तता आरबीआई कानून के दायरे में रहकर काम करने के लिए है। केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक को जनता के हित और अर्थव्यवस्था को सही से चलाने के लिए अक्सर बातचीत करते रहते हैं। भारत सरकार ने इसका सम्मान किया है और इसे बढ़ाया है।’’

मंत्रालय ने कहा तब कहा था कि रिजर्व बैंक और सरकार दोनों को अपनी कार्यप्रणाली में सार्वजनिक हित तथा देश की अर्थव्यवस्था की जरूरतों से निर्देशित होना होता है। उसने कहा, ‘‘इसी उद्देश्य के लिये विभिन्न मुद्दों पर सरकार और रिजर्व बैंक के बीच गहन विचार-विमर्श होता रहता है।’’

सेक्शन 7 के इस्तेमाल का जिक्र
उल्लेखनीय है कि सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ कुछ मुद्दे पर असहमति को लेकर आज तक कभी भी इस्तेमाल नहीं किये गये अधिकार का जिक्र किया था। मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सरकार ने गवर्नर उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात के तहत निर्देश देने का उल्लेख किया था।

हालांकि सरकार ने इस विशेष धारा के तहत कोई निर्णय नहीं लिया था और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात केंद्र सरकार को यह विशेषाधिकार प्रदान करती है कि वह केंद्रीय बैंक के असहमत होने की स्थिति में सार्वजनिक हित को देखते हुए गवर्नर को निर्देशित कर सकती है। हालांकि सरकार त्वरित सुधारात्मक कदम (पीसीए) की रूपरेखा से लेकर तरलता प्रबंधन तक के मुद्दों पर रिजर्व बैंक से असहमत थी, जिसकी वजह से ही उर्जित पटेल की सोमवार को आरबीआई से विदाई हो गई।

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