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अभी-अभी: भारत ने लिया बड़ा फैसला, अब नही जाएगा पाकिस्तान पानी

भारत ने पुलवामा हमले के बाद कड़ा फैसला लिया है। यह फैसला दो साल पहले उड़ी में भारतीय सैनिकों पर आतंकी हमले के बाद ही भारत ने लेने का मन बनाया था। तत्कालीन विदेश सचिव एस जयशंकर और जल संसाधन सचिव शशि शेखर ने इसको लेकर काफी होमवर्क किया था, लेकिन अमल अब शुरू हो रहा है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि वह भारत से होकर पाकिस्तान जाने वाली रावी, सतलुज और व्यास नदी के अपने हिस्से के पानी को पाकिस्तान नहीं जाने देगा। इसके लिए बांध बनाने समेत अन्य परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है।

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गड़करी ने ट्वीट करके इसकी पुष्टि की है। नितिन गड़करी ने ट्वीट में जानकारी दी है कि भारत इन तीन नदियों पर बांध परियोजना पर काम शुरू करके इनका जम्मू-कश्मीर और पंजाब के उपयोग में लाया जाएगा। पानी यमुना में लाने का निर्णय लिया है और इससे यमुना का जलस्तर अच्छा होगा।

भारत ने शुरू कर दिया है काम
शाहपुर कांदी बांध परियोजना पर काम शुरू हो चुका है। बताते हैं इसके बाबत 18 दिसंबर 2018 को ही रावी नदीं पर बांध बनाने के लिए केंद्रीय सहायता के तौर पर 485.38 करोड़ रुपये दिए जाने हैं। यह राशि 2018-19 से 2022-2023 के दौरान पांच वर्षों में दी जाएगी। परियोजना के जून 2022 तक पूरा होने का अनुमान है। वित्त मंत्री अरुण जेटली के अनुसार इस परियोजना से भारत के हिस्से के पाकिस्तान जाने वाले पानी को काफी हद तक रोका जा सकेगा।

जेटली के अनुसार इस परियोजना को पंजाब सरकार पूरा करेगी और केंद्र सरकार उसे 485. 38 करोड़ रुपये की सहायता देगी। इससे पंजाब में पांच हजार हेक्टेयर और जम्मू कश्मीर में 32, 173 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा।

क्या है सिंधु नदी जल समझौता
भारत और पाकिस्तान ने 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल समझौता किया था। इस समझौते पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के हस्ताक्षर है। यह ट्रीटी एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है और इसमें विश्वबैंक गारंटर है। समझौते के अनुसार तीन पूर्वी नदियां व्यास, रावी और सतलुज का नियंत्रण भारत के पास तथा तीन पश्चिम की नदियां झेलम, चिनाब और सिंधु का नियंत्रण पाकिस्तान के पास रहेगा। इसमें मुख्य विवाद का विषय नदियों का जल बंटवारा था।

समझौते के तहत निर्धारित हुआ कि भारत अपने नियंत्रण क्षेत्र से जाने वाली नदियों के पानी का 20 प्रतिशत तक उपयोग सिंचाई, बिजली उत्पादन, परिवहन में कर सकता है। भारत के हिस्से में 3.3 एसएएफ और पाकिस्तान के हिस्से में 80 एमएएफ पानी का अधिकार मिला। लेकिन बताते हैं कि भारत ने अपने हिस्से के पानी को पाकिस्तान जाने दिया। इसे रोकने, पानी की धारा मोड़ने के कोई कारगर उपाय नहीं किए।

क्या कहते हैं पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर?
पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर का कहना है कि सिंधु जल समझौता एक अंतरराष्ट्रीय ट्रीटी है। इसमें विश्वबैंक गारंटर है। इसलिए भारत या पाकिस्तान आसानी से इसका उल्लंघन नहीं कर सकते। हैदर का कहना है कि जो भी इसका उल्लंघन करेगा, उसे अंतरराष्ट्रीय जगत की नाराजगी झेलनी पड़ेगी।

सलमान हैदर का कहना है कि भारत ने अपने हिस्से के पानी को भी पाकिस्तान जाने दिया। हम केवल इस पानी को रोक सकते हैं और उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। सलमान हैदर का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तीन युद्ध हो चुके हैं, दोनों देश के संबंध कई बार बहुत तनाव से गुजरे हैं, लेकिन यह संधि बनी रही। सलमान हैदर के अनुसार इस संधि को तोड़ना दोनों देशों के बीच में जलयुद्ध और जंग के एलान जैसा होगी।

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