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अमृतसर रेल हादसा : मां नहीं होती तो टुकड़ों में मिलता मेरा शव

अमृतसर : विजयदशमी के दिन घर के बगल से गुजरने वाली ट्रेनें बिट्टू देवी के लिए कोई नई बात नहीं थीं। एक बार तो उन्होंने ट्रेन के सामने खुदकुशी का मामला भी देखा था, लेकिन शुक्रवार को दशहरे के दिन 43 साल की इस महिला ने जो देखा उससे उनकी रूह कांप गई। बिट्टू देवी भाग्यशाली थीं कि उन्होंने अमृतसर रेल हादसे में किसी परिजन या दोस्त को नहीं खोया लेकिन उन्होंने अपनी आंखों के सामने ही हर आयु वर्ग के महिलाओं, पुरुषों को ट्रेन से कुचलते देखा। 17 साल का एक किशोर तो इस हादसे में इसलिए बच गया क्योंकि मां ने उसे घर पर ही रोक लिया था। 17 साल के एक किशोर पवन कुमार ने भी इस भयानक मंजर को देखा। जब हादसा हुआ तो वह अपने घर में सजावटी लड़ियां लगा रहा था। पवन ने बताया कि उसके कई दोस्त रेल ट्रैक पर खड़े होकर त्योहार देख रहे थे, लेकिन उसकी मां ने घर में लड़ियां लगाने को कहा था, इसलिए मैं नहीं गया। पवन ने बताया, ऐसा नहीं हुआ होता तो मैं भी वहां होता और टुकड़ों में बंटा होता। एक प्रत्यक्षदर्शी बिट्टू देवी को इस हादसे ने अंदर से दहला दिया है। उन्होंने बताया, मैं दशहरे का त्योहार देखने के लिए अपने घर की बालकनी में बैठी थी। ढेर सारे लोग धोबी घाट की बाउंड्रीवॉल पर खड़े थे, लेकिन जैसे ही पटाखे फूटने लगे लोगों की भीड़ पीछे भागी। बाउंड्रीवॉल पर खड़े कुछ लोग तो गिर भी गए और तभी मैंने लोगों की चीख-पुकार सुनी। वहां तबाही मची थी और मैं दहशत में आ गई। मैंने रेलवे ट्रैक पर लोगों के शरीर और शरीर के हिस्से पड़े देखे। एक प्रत्यक्षदर्शी ने तो यह भी कहा कि हादसे की जगह ने 1947 में हुए विभाजन की त्रासदी की याद दिला दी। 53 साल की एक महिला रक्षा देवी के घर की खिड़कियां रेल ट्रैक की तरफ खुलती हैं। जिस समय हादसा हुआ वह किचन में चाय बना रही थीं। उन्होंने बताया कि जैसे ही उन्होंने लोगों की चीख सुनी उन्होंने बाहर देखा। उन्हें ऐसा झटका लगा कि चाय का बर्तन हाथ से छूट नीचे गिर गया। उन्होंने कहा कि यह उनके जीवन का सबसे खौफनाक मंजर था। हर तरफ मानव शरीर के चीथले, हड्डियां और खून ही दिख रहा था। गौरतलब है कि अमृतसर में एक बड़े ट्रेन हादसे में अब तक 61 लोगों की मौत की पुष्टि प्रशासन ने की है। यह हादसा अमृतसर और मनावला के बीच फाटक नंबर 27 के पास हुआ है।

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