अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका में कोरोना वायरस चीनी यात्रियों से नहीं बल्कि यूरोप से आया …

न्यूयॉर्क में कोरोना संक्रमण चीन नहीं बल्कि यूरोप के यात्री लाए। इन दिनों कोरोना वायरस का एपिक सेंटर बने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर को लेकर एक नए अध्ययन में यह बड़ा खुलासा हुआ है। इसमें बताया गया है कि इस वायरस ने न्यूयॉर्क की यात्रा यूरोपीय यात्रियों के माध्यम से फरवरी में पहली बार की थी। इसके बाद यह वायरस पूरे राज्य में फैल गया और हालात बिगड़ते चले गए। जबकि अमेरिका का पूरा ध्यान चीनी यात्रियों को रोकने में लगा रहा। एक वैज्ञानिक ने दावा करते हुए कहा है कि अमेरिका में व्यापक रूप से परीक्षण शुरू होने से पहले ही यह वायरस फैलने लगा था और स्थानीय नमूनों में भी अब तक पहचाने जाने वाले ज्यादातर नमूने यूरोप से ही मिले हैं। शोध का नेतृत्व करने वाले एनवाईयू ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के आनुवंशिकी प्रोफेसर एड्रियाना हेग्यू ने बताया कि वायरस के प्रसार की शृंखला का पता लगाने से नीति निर्माताओं को भी इससे निपटने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, यह बहुत दिलचस्प है कि स्थानीय नमूनों में ज्यादातर यूरोपीय यात्रियों के हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अमेरिका का पूरा ध्यान चीन से यात्रा रोकने पर केंद्रित था जबकि संक्रमण यूरोप से आ गया। उनके शोध में पहले रोगी का कोई प्रासंगिक यात्रा इतिहास नहीं था। यानी वह अपने समुदाय में किसी से संक्रमित था लेकिन यूरोप से आए यात्रियों के बाद इसकी संवेदनशीलता बढ़ती गई।

शुरु में रहस्यमयी निमोनिया मानकर करते रहे इलाज
अमेरिकी वैज्ञानिक एड्रियाना हेग्यू ने बताया कि न्यूयॉर्क में बड़े पैमाने पर परीक्षण शुरू होने से पहले यहां के डॉक्टर इस बीमारी को रहस्यमयी निमोनिया मानकर ही इलाज करते रहे। हेग्यु और उनकी टीम ने न्यूयॉर्क के तीन अस्पतालों के 75 मरीजों के नाक से लिए गए नमूनों की जांच की।

हर मौसम में भिन्न होता है एन्फ्लूएंजा
हेग्यू के मुताबिक, सभी जीव समय के साथ बदलते रहते हैं, लेकिन आरएनए वायरस के प्रत्येक चक्र में कुछ त्रुटियां पेश होती है। ऐसा एसएआरएस-सीओवी-2 के मामले में भी हुआ। यही कारण है कि एन्फ्लूएंजा वायरस हर मौसम में भिन्न होते हैं और नए टीकों की आवश्यकता पड़ती है।

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