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अयोध्या मामला: वकील बोले- ‘भगवान का बंटवारा नहीं हो सकता’

अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई जारी रहेगी. मंगलवार को रामलला विराजमान के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राम जन्मस्थान स्वयं में भगवान है और भगवान का बंटवारा नहीं हो सकता. बिना बंटवारा साझा कब्जा कैसे हो सकता है. इसलिए जन्मस्थान पर हिन्दू मुस्लिम के साझा कब्जे की बात तो मानने लायक नहीं है.

वकील ने कहा था कि राम जन्मस्थान पर हमेशा से हिन्दुओं की आस्था रही है और वे वहां पूजा अर्चना करते रहे है. रामलला की ओर से इस बारे में हाईकोर्ट में रखे गए सबूतों और फैसले के अंशों का हवाला दिया गया था. सुनवाई के दौरान रामलला पक्ष की ओर से जिरह के तरीके पर मुस्लिम पक्ष के राजीव धवन ने ऐतराज जाहिर किया था और कहा था कि वो सिर्फ इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दे रहे है, दलीलों के समर्थन के कोई सबूत पेश नहीं कर रहे है.

धवन के टोकने पर नाराज चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम ये साफ कर देने चाहते है कि हमे कोई जल्दी नहीं है, मामले में सभी पक्षों को जिरह का पूरा मौका मिलेगा. वैद्यनाथन जिस तरह से अपना पक्ष रख रहे है, उन्हें रखने दे. आपको भी छूट रहेगी, आप जिस अंदाज में जिरह करना चाहे, अपनी बारी आने पर करे. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सप्ताह में 5 दिन ही होगी सुनवाई इस अवधि में कोई कटौती नहीं की जाएगी और रोजाना सुनवाई होगी. परासरण ने कहा था कि हम ये नहीं कह रहे कि पूरी अयोध्या ज्यूरिस्ट परसन है और हम जन्मभूमि की बात कह रहे है. जस्टिस बोबड़े ने पूछा था कि क्या इस समय रघुवंश डाइनेस्टी में कोई इस दुनिया में मौजूद है. परासरण ने कहा था कि मुझे नहीं पता.

परासरण ने रामायण में उल्लेख था कि सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और रावण के अंत करने की बात कही तब विष्णु ने कहा था कि इसके लिए उन्हें अवतार लेना होगा. इस बारे में जन्मभूमि का वर्णन किया गया है और इसका महत्व है हिन्दू शास्त्र में जन्मस्थान कि महत्ता स्पष्ट है और हिन्दुओं से संबंधित कानून उसी शास्त्र पर आधारित हैं. मंदिर कि परिक्रमा के साथ पूरे परिसर कि परिक्रमा भगवान कि आराधना है. परासरण ने पुष्कर, मधुरई समेत तमाम स्थानों का उदाहरण दिया था. पिछले गुरुवार को रामलला विराजमान की तरफ से जारी बहस में पेश वकील के परासरन ने ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादिप गरीयसि’ संस्‍कृत श्लोक का हवाला देते हुए कहा था कि जन्मभूमि बहुत महत्वपूर्ण होती है. राम जन्मस्थान का मतलब एक ऐसास्थान जहां सभी की आस्था और विश्वास है.

जस्टिस अशोक भूषण ने रामलला के वकील से पूछा था कि क्या कोई जन्मस्‍थान एक न्यायिक व्यक्ति हो सकता है?.हम एक मूर्ति को एक न्यायिक व्यक्ति होने के बारे में समझते हैं, लेकिन एक जन्‍मस्‍थान पर कानून क्या है? रामलला के वकील के परासरन ने कहा था कि यह एक सवाल है जिसे तय करने की जरूरत है. जस्टिस बोबड़े ने उत्तराखंड HC के फैसले का ज़िक्र किया जिसमें नदी को जीवित व्यक्ति बताते हुए अधिकार दिया गया था. इस बीच सुनवाई शुरू होते ही सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी रिट याचिका का कोर्ट में खड़े होकर ज़िक्र करना चाहा लेकिन कोर्ट मे उन्हें रोक दिया था

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