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अर्थव्यवस्था पर गंभीर चोट करेगी ये महामारी, RBI ने जताई चिंता

देशभर में जारी लॉकडाउन और कोरोना वायरस महामारी के गंभीर असर के बावजूद आरबीआई को पूरा भरोसा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था जल्द ही पटरी पर आ जाएगी। आरबीआई ने बृहस्पतिवार को जारी मौद्रिक नीति रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस महामारी का संकट खत्म होते ही हमारे उपायों का असर अर्थव्यवस्था पर दिखने लगेगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि मौजूदा हालत में विकास दर को लेकर कोई अनुमान जताना संभव नहीं है, क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के चक्र में फंसती जा रही है।

हालांकि, लॉकडाउन खत्म होने के बाद 2020-21 में हमारी विकास दर दोबारा पटरी पर आ जाएगी। आरबीआई ने अपने नोट में कहा, पिछले वित्त वर्ष में रबी के बंपर उत्पादन और खाद्य कीमतों में उछाल से ग्रामीण क्षेत्रों में खपत बढ़ने की पूरी उम्मीद है। इससे अर्थव्यवस्था को बहुत सहारा मिलेगा, जो पिछली तिमाही में 5 फीसदी के आसपास पहुंच गई थी।

इसके अलावा, रेपो रेट में 0.75 फीसदी की कटौती से सस्ते हुए कर्ज और टैक्स दरें कम किए जाने से भी घरेलू मांग में तेजी आएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सस्ते क्रूड से सरकारी खजाने पर बोझ तो कम होगा, लेकिन यह उद्योगों को हुए नुकसान और वैश्विक व्यापार में आई कमी की भरपाई नहीं कर सकता है।

महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत
आरबीआई का कहना है कि इस साल महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिलेगी। बीते मार्च में खुदरा महंगाई की दर चार महीने के निचले स्तर 5.93 फीसदी पर आने का अनुमान है, जो फरवरी में 6.58 फीसदी रही थी। इस साल जून तिमाही में खुदरा महंगाई 4.8 फीसदी, सितंबर तिमाही में 4.4 फीसदी, दिसंबर तिमाही में 2.7 फीसदी और मार्च तिमाही में 2.4 फीसदी रहने का अनुमान है।

4.8 फीसदी रह सकती है भारत की विकास दर : संयुक्त राष्ट्र…
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर घटकर 4.8 फीसदी रह सकती है। 2021-22 में इसके 5.1 फीसदी रहने का अनुमान है। इसमें कहा गया है कि भारत के विकास दर अनुमानों में पहले के मुकाबले काफी कमी आई है।

बेरोजगारी बढ़ने से भी उपभोक्ताओं की भावनाएं प्रभावित हुई हैं। इसके अलावा, भारत को निर्यात और कृषि गतिविधियों से जुड़ी चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ‘एशिया और प्रशांत का आर्थिक एवं सामाजिक सर्वेक्षण 2020: संवहनीय अर्थव्यवस्थाओं की ओर’ में आगाह किया गया है कि कोविड-19 के कारण दुनियाभर को गंभीर आर्थिक परिणाम भुगतने होंगे।

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