जीवनशैली

अलंकृत सब्जियों में से एक है लाल पत्ता गोभी

नई दिल्ली: यह भी एक अति सुन्दर अलंकृत सब्जियों में से एक है। यह बन्द लाल गोभी वर्गीय फसलों में अत्यन्त लोकप्रिय हो चुकी है। क्योंकि बाहर पत्तों का रंग लाल तथा अन्दर के पत्तों का रंग गहरा लाल होता है। इनका हरे बन्द गोभी के समान आकार होता है। इस गोभी को अधिकतर मॉडर्न बाजार व उच्च स्तर की सब्जी मण्डियों में बेचा जाता है। लाल बन्द गोभी का आजकल फाइव स्टार होटलों व अन्य होटलों में अधिक प्रयोग होता है। यह आजकल बाजार या सब्जी मण्डियों में भी देखने को मिलता है। इसका उपयोग अन्य सब्जियों के साथ, सलाद तथा भूजी के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसको कच्चा सलाद के रूप में सेवन करने से ब्लड-प्रेशर को अधिक राहत मिलती है। इस सब्जी को उगाने का प्रचलन पहाड़ी मैदानी क्षेत्रों में अधिक बढ़ता जा रहा है। यह ठन्डे मौसम की फसल है। जो सर्दी के मौसम में उगाई जाती है। इसकी अगेती फसल उगाकर अधिक आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है, क्योंकि इसका अधिक उपयोग विवाह, पार्टी तथा अन्य उत्सवों में जहां अधिक लोगों की संख्या बनती हो, सलाद, सब्जी व सजावट के रूप में अधिक उपयोग में लाया जाता है। इसमें खनिज लवण, कैल्सियम, लोहा, प्रोटीन, कैलोरीज आदि प्रचुर मात्रा में होते हैं।

लाल पत्ता गोभी की खेती के लिए आवश्यक भूमि व जलवायु

सर्वोत्तम भूमि हल्की दोमट से लेकर हल्की चिकनी भूमि में भी उगाया जा सकता है तथा भूमि का पी.एच. मान 6.०-7.० के बीच उत्तम रहता है। भूमि जीवांश-युक्त अवश्य होनी चाहिए। यह ठन्डी जलवायु का पौधा है जो शरदऋतु में उगाया जाता है। कम आर्द्रता तथा तापमान 2०-3० डी०सेग्रेड तक उचित रहता है। अधिक तापमान पर हैड स्वस्थ नहीं तैयार हो पाते।
गोभी की खेती के लिए खेत की तैयारी लाल पत्ता गोभी के लिए 2-3 बार मिट्टी पलटने वाले हल या हैरो से जुताई करनी चाहिए, क्योंकि खरीफ मौसम की फसल लेने के उपरान्त यह पत्ता गोभी लगाते हैं। इसलिए गत वर्ष उगने वाली फसल के ठूंठ या अन्य अभिशेष न रह पाएं। इस प्रकार से खेत में 3-4 जुताई करके खेत को भुरभुरा भली-भांति करें तथा प्रत्येक जुताई के बाद पाटा अवश्य चलाएं। खेत में जुताई 8-1० दिन के अन्तराल से करें, जिससे प्रत्येक जुताई से घास-फूस सूख जाए व कीड़े-मकोड़े भी नष्ट हों जाएं । तत्पश्चात आवश्यकतानुसार क्यारियों की लम्बाई-चौड़ाई रखकर बनाए।

लाल पत्ता गोभी की उन्नतिशील किस्में

लाल पत्ता गोभी की अधिक किस्में नहीं हैं, लेकिन इसकी दो उन्नत किस्में हैं जो हमारे यहां उगाई जाती हैं-
1. रेड-राक किस्म- यह भी किस्म आसानी से उगाई जाती है। इसके हैड 25०-3०० ग्राम वजन के होते हैं जो लाल रंग के होते हैं।
2. रेड-ड्रम हैड- यह किस्म आकार में बड़ा, अन्दर से गहरा लाल, ठोस होता है। जिसका वजन 5०० ग्राम से 1.5 किलो तक, आसानी से उत्पन्न किया जा सकता है।

लाल पत्ता गोभी के बीज की बुवाई की विधि

लाल पत्ता गोभी के बीज की बुवाई के लिए उचित तापमान पर 1०-15 सेमी. ऊंची पौधशाला में क्यारी तैयार करें तथा इस क्यारी में छोटी-छोटी 2-4 सेमी. दूरी की पंक्ति बनाकर 2-3 सेमी. की गहराई रखकर बीज 1-4 मि.मी. की दूरी पर बोएं । तत्पश्चात इन पंक्तियों में पत्ती की सड़ी खाद या कम्पोस्ट बारीक करके हल्की परत देकर ढकें तथा हल्की सिचाई से नमी बनाए रखें। इस प्रकार से 2०-25 दिन में पौध तैयार हो जाएगी।

बीज की मात्रा

बीज स्वस्थ होने पर 4००-5०० ग्राम प्रति हैक्टर तथा 2००-25० ग्राम प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है। बीज की अन्य गोभी की तरह रंग, आकार व मोटाई होती है।

खाद व उर्वरकों की मात्रा

सड़ी गोबर की खाद 1०-12 टन प्रति हैक्टर खेत तैयारी के समय भली-भांति जुताई द्बारा मिलाएं तथा आवश्यकतानुसार उर्वरकों की मात्रा दें। औसतन 6० किलो नत्रजन, 4० किलो फास्फोरस तथा 4० किलो पोटाश प्रति हैक्टर देने से उत्पादन अधिक मिलता है। आधी नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा को खेत तैयारी के समय दें तथा आधी शेष नत्रजन पौध रोपाई के 3० दिन व 6० दिन बाद दो बार में खड़ी फसल में छिड़क कर देने से हैड स्वस्थ प्राप्त मिलते हैं।

सिचाई

प्रथम सिचाई पौध की रोपाई के समय करें तथा शरद ऋतु की फसल होने से 12-15 दिन के अन्तराल पर सिचाई करनी चाहिए। अन्यथा सफेद-सी भूमि जब सूखने लगे तो पानी देना चाहिए।

खरपतवार-नियन्त्रण

पौध की रोपाई के 15-2० दिन बाद छोटे-छोटे खरपतवार व घास उग आती है। इन्हें निकालना बहुत आवश्यक है। अन्यथा खाद्य-प्रतियोगिता से मुख्य फसल के पौधे कमजोर पड़ जाएंगे।

निकाई-गुड़ाई

पौधों की निकाई-गुड़ाई करना एक मुख्य कृषि-क्रिया है, क्योंकि वायु-संचार हेतु एक-दो सिचाई के बाद खुरपी, हैन्डो से जमी हुई मिट्टी को अवश्य खोलें जिससे फसल के पौधे स्वस्थ बने रहें तथा साथ ही खुरपी से मिट्टी को पौधों की जड़ के पास चढ़ाए, जिससे पौधा गिर न पाएं। इसी को मिट्टी चढ़ाना कहते हैं। पौधों पर 1०-12 सेमी. मिट्टी चढ़ाए। इस प्रकार से 2-3 निकाई-गुड़ाई करें।

शीर्षों की कटाई

शीर्षों को पूर्ण विकसित होने पर ही काटें अर्थात जब शीर्ष कठोर हो जाए तथा रंग लाल, आकार बड़ा तब पत्तियों सहित ही काटे तथा एक-दो पत्तियों को कम किया जा सकता है। इस प्रकार से लाल पत्ता गोभी ताजा बना रहता है।

पैदावार

लाल पत्ता गोभी भी हरे बन्द या पत्ता गोभी की तरह उपज देता है। इसकी उपज 15०-2०० क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है। किचन-गार्डनिग के लिए भी यह उत्तम फसल है। जोकि क्यारियों में व गमलों में लगे लाल पत्ता गोभी, ब्रोकली या अन्य विदेशी सब्जी खाने को तो मिलती ही हैं, लेकिन क्यारियां या किचन-गार्डन भी पौधों के रंगों से सुन्दर व सजावटी लगती हैं। ये सब्जियां भी अन्य गोभी वर्गीय फसलों की तरह उगायी जाती हैं। इनकी भी कृषि-क्रियाएं समान हैं।

रोगों से लाल पत्ता गोभी के पौधों का बचाव

लाल पत्ता गोभी में कैटरपिलर अधिकतर लगता है व पिछेती फसल में एडिस भी लगते हैं। नियन्त्रण हेतु नुवान, मोनोक्रोटोफास तथा मेटासीड के 1-2% घोल के छिड़काव से नियन्त्रण किया जा सकता है।
बीमारी पौध में अधिकतर सड़न-रोग मुख्यत: लगती है तथा कभी-कभी पत्तियों पर धब्बे हो जाते हैं। दोनों के लिए फफूंदीनाशक बेवस्टीन या डाइथेन, एम-45 को 2 ग्राम प्रति लीटर के घोल का छिड़काव करना चाहिए।

 

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