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आइएमए की देशव्यापी हड़ताल का यूपी में दिखा बड़ा असर, इलाज के लिए भटकते रहे मरीज

लखनऊ : कोलकाता में डॉक्टर्स के साथ अभद्रता के मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बेहद गंभीर होने के कारण सरकारी के साथ प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर्स के कार्य बहिष्कार का बड़ा असर उत्तर प्रदेश में भी पड़ा है। एसजीपीजीआइ सहित प्रदेश के बड़े अस्पताल के डॉक्टर्स हाथ पर काली पट्टी बांधकर कार्य बहिष्कार पर हैं। जिसके कारण प्रदेश में चिकित्सा सेवा ठप हो गई है। मरीज के साथ तीमारदार बेहद परेशान हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर पश्चिम बंगाल और पूरे भारत मे बढ़ रहे हमलों के विरोध में चिकित्सक हड़ताल पर हैं। उत्तर प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से अस्पताल की स्वास्थ्य सेवायें पूरी तरह से चरमरा गई हैं। इसका सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है। लखनऊ में मेडिकल यूनिवर्सिटी के साथ ही आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज, मेरठ व प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज में भी काम ठप है। सीनियर के साथ जूनियर डॉक्टर्स काली पट्टी पहनकर अपना विरोध जता रहे है। एसजीपीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान में जूनियर डॉक्टर के कार्य बहिष्‍कार करने पर मरीज परेशान रहे। हड़ताल की घोषणा के बाद भी राजधानी में केजीएमयू और लोहिया संस्‍थान में मरीज आ रहे हैं और उनके बैरंग लौटने का सिलसिला जारी है। वहीं जांच के लिए भी मरीज भटकते रहे। केजीएमयू, पीजीआई और लोहिया संस्‍थान में मरीजों को नहीं देखा गया। वहीं मरीजों को जांच करवाने में भी पसीने छूट गए। केजीएमयू, पीजीआई और लोहिया संस्थान के पर्चा काउंटर पर सन्नाटा पसरा रहा। वहीं लोहिया अस्पताल, बलरामपुर, सिविल, लोकबंधु और रानीलक्ष्मीबाई संयुक्त अस्पतालों में मरीजों की भीड़ उमड़ी। निजी नर्सिंग होम और डायग्नोस्टिक सेंटर के हड़ताल में शामिल होने की वजह से मरीजों की जांचें भी नहीं हो पाई। सीटी स्‍कैन, एमआरआई, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए लोग परेशान नजर आए। वहीं खून की जांच के लिए भी निजी पैथोलॉजी से लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ा। राजधानी के निजी अस्पतालों में भी मरीजों का बुरा हाल रहा। फातिमा, विवेकानंद पॉलीक्लीनिक, चरक हॉस्पिटल समेत कई बड़े अस्पतालों की ओपीडी बंद रही। सुबह आठ बजे से शुरू होने वाली ओपीडी में हजारों की संख्या में लोग वापस हुए। गोरखपुर, अलीगढ़, अयोध्या, झांसी, बरेली, मुरादाबाद के मेडिकल कॉलेजों में हड़ताल का असर देखने को मिल रहा है। डॉक्टर्स के कार्य बहिष्कार के कारण मरीज से लेकर उनके परिजन अस्पताल में दर-दर भटकते नजर आ रहे हैं। प्रयागराज में भी सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स भी लगातार तीसरे दिन भी कामकाज ठप्प किये हुए है और तालाबंदी कर पूरी तरह हड़ताल पर हैं। ऐसी ही कुछ तस्वीर लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की भी है। यहां सिविल, बलरामपुर, डफरिन, क्वीन मेरी के साथ प्राइवेट अस्पताल में भी डॉक्टर्स काम पर नहीं हैं। सभी हाथ में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से अस्पताल की स्वास्थ्य सेवायें पूरी तरह से चरमरा गई हैं। आईएमए ने देशभर के सरकारी व निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों व नर्सिंग होम में ओपीडी सेवा ठप रखने की अपील की है। अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा जारी हैं। इसके बाद भी डॉक्टर्स की कम संख्या होने से मरीज व तीमारदारों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां पर भी लोग इलाज के बिना ही मायूस होकर वापस लौटने को मजबूर हैं। गोरखपुर में निजी चिकित्सक हड़ताल पर चले गए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आह्वान के बाद डॉक्टरों ने इमरजेंसी छोड़ सभी सेवाएं ठप रखने का निर्णय लिया है। हालांकि सरकारी अस्पतालों में पहले की तरह ओपीडी, इमरजेंसी और अन्य सेवाएं संचालित हो रही हैं। आइएमए गोरखपुर के अध्यक्ष व वरिष्ठ सर्जन डॉ.एपी गुप्ता और सचिव डॉ.राजेश कुमार गुप्ता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एक ही दिन में कई डॉक्टरों को निशाना बनाया गया। गंभीर रूप से घायल दो डॉक्टरों को उसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां वह मरीजों का इलाज करते थे। ऐसे असुरक्षित माहौल में डॉक्टर दूसरों को कैसे स्वास्थ्य सेवाएं दे पाएंगे। कहा कि हड़ताल के दौरान इमरजेंसी सेवाएं पहले की तरह चलेंगी। आइएमए की हड़ताल का उत्तर प्रदेश मेडिकल सेल्स रिप्रजेंटेटिव्स एसोसिएशन ने भी समर्थन किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष एसके डे और सचिव हेमंत कुमार सिंह ने कहा कि कोलकाता में डॉक्टरों पर हमला और बाद में डॉक्टरों पर ही पुलिस की कार्रवाई का सभी निंदा करते हैं। कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटना के बाद देशभर के डॉक्टर लामबंद हो गए हैं। कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक मरीज की मृत्यु के बाद उसके परिजनों ने दो डाक्टरों के साथ मारपीट की थी। जिसके बाद बीते मंगलवार से ही पश्चिम बंगाल में डाक्टर हड़ताल पर हैं। आईएमए ने केंद्र सरकार से डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय अस्पताल सुरक्षा कानून बनाने और उसे पूरे देश में सख्ती से लागू कराने की मांग की है। अलीगढ़ में आइएमए व डॉक्टरों के अन्य संगठनों ने सोमवार से 24 घंटे की हड़ताल का एलान किया है। ओपीडी सेवाएं ठप रहेंगी, केवल इमरजेंसी सेवाएं चलेंगी। सातवें वेतन की मांग को लेकर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी है। यह हड़ताल तीन दिन रहेगी। आइएमए अध्यक्ष डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि अलीगढ़ आइएमए में करीब 450 डॉक्टर पंजीकृत हैं। डेंटल एसोसिएशन ने भी समर्थन कर प्रतिष्ठान बंद रखने का निर्णय लिया है। सोमवार सुबह छह बजे से मंगलवार सुबह छह बजे तक हॉस्पिटल, क्लीनिक, अल्ट्रासाउंड सेंटर, पैथालॉजी लैब समेत सभी चिकित्सा सेवाएं बंद रहेंगी। केवल गंभीर मरीजों को राहत देते हुए इमरजेंसी सेवाएं खुली रहेंगी। सचिव डॉ. सुवेक वाष्र्णेय ने कहा कि डॉक्टरों के साथ होने वाली ऐसी घटनाए दुर्भाग्यपूर्ण हैं। सीएमओ डॉ. एमएल अग्र्रवाल ने हड़ताल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मरीजों को घबराने की जरूरत नहीं है। तीनों जिलास्तरीय अस्पतालों व सभी सीएचसी-पीएचसी पर डॉक्टरों को अलर्ट कर दिया गया है। जो डॉक्टर छुट्टी पर हैं, उन्हें बुलाया गया है। सभी जगह पर्याप्त दवाएं उपलब्ध हैं। एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने भी सोमवार से हड़ताल शुरू कर दी। इसकी मांग सातवां वेतमान लागू कराने की है। रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने 17 से 22 जून तक हड़ताल पर जाने का एलान किया है। सातवां वेतनमान हर जगह लागू हो गया है। एएमयू, बीएचयू व दिल्ली के यूसीएमएच में लागू नहीं हो सका है। इस मांग को लेकर 107 दिन हमने धरना भी दिया। कई बार कुलपति से मुलाकात की। यूजीसी भी गए, लेकिन बात नहीं बनी। सोमवार सुबह 8 बजे से जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे। प्रदर्शन भी होगा। 18 जून को दिल्ली जाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। हड़ताल 22 जून तक तय हुई है, इसे अनिश्चितकाल के लिए भी किया जा सकता है। बैठक में आरडीए की सचिव सादमा शाहीन भी मौजूद थीं। एसजीपीजीआई ने रविवार को ऐलान कर दिया था कि सोमवार को किसी भी तरह का नया रजिस्‍ट्रेशन नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद भी मरीज सुबह से ही ओपीडी में दिखाने पहुंचे। वहीं केवल पुराने मरीजों को ही सीनियर डॉक्‍टरों ने देखा। यहां तक कि केजीएमयू और लोहिया संस्‍थान में भी मरीजों के बैरंग लौटने जारी रहा। केजीएमयू में ट्रॉमा सेंटर में मरीज देखे गए। वहीं क्वीनमेरी, मानसिक रोग विभाग, लिंब सेंटर, लॉरी कॉर्डियोलॉजी समेत केजीएमयू के सभी विभागों में ओपीडी नहीं चली कोई भी नए मरीज नहीं देखे गए। रेजिडेंट डॉक्टरों के समर्थन में सरकारी अस्पताल को खोलने के आदेश जारी हुए हैं। राजधानी के बलरामपुर, सिविल, लोहिया, लोकबंधु समेत सभी सीचएचसी और पीएचसी में डॉक्‍टरों ने हाथ पर काली पट्टी बांधकर काम किया। वहीं हड़ताल को देखते हुए सीएमओ डॉ नरेंद्र अग्रवाल ने सभी सरकारी अस्पतालों को अलर्ट पर रहने के लिए कहा है। यूपी में डॉक्टरों की हड़ताल से अस्पतालों में हाहाकार मच गया है। परिजन अपने मरीजों को लेकर इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। अस्पतालों में भीड़ लग गई और लोग परेशान नजर आ रहे हैं। दरअसल, पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के विरोध की आंच लखनऊ सहित पूरे यूपी में नजर आ रही है। केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया संस्थान और सभी निजी अस्पतालों में आज हड़ताल है जिससे जिलों से आए मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। डॉक्टर हड़ताल पर बैठे हुए हैं। केजीएमयू में डॉक्टर्स का कहना है कि हम लोगों की सेवा करने के लिए हैं लेकिन हम पर हमले हो रहे हैं। ये बंद होना चाहिए। डॉक्टर जब खुद सुरक्षित होंगे तभी लोगों की मदद कर पाएंगे। लखनऊ के लोहिया अस्पताल में लगी मरीजों व उनके परिजनों की भीड़।

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