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आज चंडीगढ़ जाएंगे गृहमंत्री, कई प्रोजेक्टों पर लिए जाएंगे अहम फैसले

गृहमंत्री अमित शाह आज चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं। वे इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 स्थित हयात होटल में नॉर्दर्न जोनल काउंसिल की 29वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे। सूत्रों की मानें तो अमित शाह ट्राइसिटी में रिंग रोड प्रोजेक्ट, मोनो या फिर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट और इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को लेकर कई सालों से लंबित योजनाओं को रफ्तार दे सकते हैं। इसके अलावा पीजीआई पर बढ़ रहे पड़ोसी राज्यों के बोझ को लेकर भी कोई फैसला हो सकता है। गृहमंत्री के आने से पहले बुधवार और वीरवार को पूरे दिन प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां चलती रहीं। बुधवार को प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने भी अधिकारियों की रिव्यू मीटिंग ली। इस दौरान प्रशासक ने सभी विभागों के अधिकारियों को विकास कार्यों का खाका तैयार करने को कहा।

सूत्रों के अनुसार, ट्राइसिटी में ट्रैफिक अर्बन ट्रांसपोर्ट पॉलिसी प्लानिंग पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाने पर भी चर्चा हुई। ट्रैफिक कंजेशन कम करने के साथ ही वाहनों के संचालन को बेहतर बनाने के लिए साल 2016 में केंद्र सरकार के साथ तीनों प्रदेशों का एक एग्रीमेंट हुआ था।

इसके तहत अर्बन ट्रांसपोर्ट पॉलिसी पर चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और केंद्र सरकार को मिलकर 25-25 करोड़ खर्च करने हैं। जानकारी के मुताबिक, गृह मंत्रालय की ओर से इस पैसे का ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए कैसे खर्च करना है, इसको लेकर तीनों प्रदेशों से एक संयुक्त खाका तैयार करने को कहा गया है।

112 हेल्पलाइन नंबर का उद्घाटन भी करेंगे
गृहमंत्री अमित शाह के आगमन को लेकर चंडीगढ़ पुलिस सुरक्षा के दृष्टि से पूरी तरह चौकन्नी हो गई है। पुलिस की मानें तो शहर के लगते बार्डर एरिया पर पुलिस की चप्पे चप्पे पर तैनाती रहेगी। साथ ही शहर में पीसीआर, चीता कर्मी गश्त करते हुए नजर आएंगे। इसके अलावा अन्य विंग भी पूरी तरह मुस्तैद है।

शुक्रवार को अमित शाह सेक्टर-9 स्थित पुलिस हेडक्वार्टर सेकेंड फ्लोर पर बने नए 112 हेल्पलाइन नंबर का उद्घाटन करने होटल हयात में आ रहे हैं। इस दौरान शहर के अलग अलग थाना प्रभारी समेत कई इंस्पेक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा ट्रैफिक रूट पर भी विशेष ध्यान रखा गया है।

गृह मंत्री बनने के बाद पहली बार चंडीगढ़ आएंगे अमित शाह
गृह मंत्री बनने के बाद अमित शाह पहली बार चंडीगढ़ आएंगे। इससे पहले वह लोकसभा चुनाव के दौरान सांसद किरण खेर के लिए प्रचार करने सेक्टर-27 के रामलीला मैदान आए थे। चंडीगढ़ प्रशासन ने गृह मंत्री के चंडीगढ़ दौरे को लेकर तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं। इसको लेकर प्रशासक की ओर से अधिकारियों की कई बैठक भी ली जा चुकी है।

पहली बार आठ प्रदेशों की सहभागिता
गृहमंत्री अमित शाह के आने से ट्राइसिटी में विकास के जो भी प्रोजेक्ट रुके हुए हैं उन्हें रफ्तार तो मिलेगी ही साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि इसकी मॉनिटरिंग अब सीधे गृह मंत्रालय करेगा। केंद्रीय गृहमंत्री नॉर्दर्न जोनल काउंसिल के अध्यक्ष होते हैं। मीटिंग में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और पहली बार यूटी बने लद्दाख के साथ चंडीगढ़ शामिल होंगे। बताते चलें कि लद्दाख पहली बार केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद नॉर्दर्न जोनल काउंसिल की मीटिंग में भाग लेगा जबकि जम्मू कश्मीर तो पहले भी इसका सदस्य रहा है।

पिछले साल नहीं हुई थी मीटिंग
नॉर्दर्न जोनल काउंसिल की बैठक आमतौर पर हर साल होती है लेकिन 2018 में यह बैठक नहीं हो सकी थी। इससे पहले परिषद की 28वीं बैठक भी चंडीगढ़ में ही हुई थी, जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने की थी। अब एक साल बाद काउंसिल की 29वीं मीटिंग हो रही है। बता दें कि नॉर्दन जोनल काउंसिल की 29वीं बैठक पहले 3 सितंबर को चंडीगढ़ में होनी थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह यह मीटिंग लेने आ रहे थे, लेकिन उनके शेड्यूल की वजह से मीटिंग को स्थगित करना पड़ा था।

पिछली बैठक में इन मुद्दों पर हुई थी चर्चा
नॉर्दर्न जोनल काउंसिल की 28वीं बैठक में 18 विषयों पर चर्चा करने के साथ-साथ कई निर्णय लिए गए थे। चंडीगढ़ के प्रशासक व पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन डिप्टी सीएम निर्मल सिंह के अलावा पंजाब और हरियाणा के मुख्य मंत्री भी बैठक में मौजूद थे। बैठक में स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग पर चर्चा की गई थी।

काउंसिल में आमतौर पर आर्थिक और सामाजिक योजना के क्षेत्र में साझा हित, सदस्य राज्यों के बीच किसी तरह के सीमा विवाद, भाषाई अल्पसंख्यक या अंतर-राज्य परिवहन के साथ राज्य पुनर्गठन कानून, 1956 से जुड़े या इससे पैदा किसी भी मुद्दे पर विचार-विमर्श होता है और सिफारिशें की जाती हैं।

स्थापित प्रक्रिया और चलन के मुताबिक परिषद की बैठक से पहले इसकी स्थायी समिति की बैठक होती है, जिसमें परिषद के सामने रखे जाने वाले एजेंडा आइटमों पर सलाह-मशविरा होता है और इन्हें प्राथमिकता दी जाती है।

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