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आधार कार्ड वालों के लिए सबसे जरूरी खबर, जून से कहीं भी नहीं देना…

आधार कार्ड के दुरुपयोग को लेकर यूआईडीएआई ने बड़ा कदम उठाया है। अब कोई भी आपके आधार की जानकारी अपने पास ज्यादा समय तक नहीं रख पाएगा। बता दें कि बुधवार को ही UIDAI ने आम आदमी की व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रखने और उसे मजबूत बनाने के लिए कई कदमों का ऐलान किया था। UIDAI के सीईओ अजय भूषण पाण्डेय ने बिजनेस अखबार इकनॉमिक टाइम्स के साथ बातचीत में कहा है कि यहां तक कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट या अन्य सरकारी एजेंसियों को भी अपना आधार नंबर नहीं देना होगा, जिन्हें कानूनी रूप से आधार की जानकारी देने की जरूरत है। लोग वर्चुअल ID के इस्तेमाल से इन एजेंसियों में अपने आधार नंबर ऑथेंटिकेट कर सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि यह नया नियम इस साल जून महीने से लागू हो जाएगा। 

आधार कार्ड वालों के लिए सबसे जरूरी खबर, जून से कहीं भी नहीं देना...

UIDAI सीईओ ने बताया कि अगर कस्टमर अपनी मर्जी से आधार नंबर नहीं देगा तो यह ऑथेंटिकेशन का प्रमुख स्रोत नहीं बनेगा। यहां तक कि ऑनलाइन टैक्स रिटर्न्स फाइल करने जैसे कामों में भी आधार की जगह वर्चुअल आईडी नंबर देकर काम चलाया जा सकता है। 8 साल पुरानी एजेंसी यूआईडीएआई ने सबसे महत्वपूर्ण सिक्यॉरिटी अपग्रेड के तहत ‘वर्चुअल आईडी’ तैयार करने का ऐलान किया जिसे किसी सर्विस के लिए ऑथेंटिकेशन के वक्त 12 अकों के आधार नंबर की जगह इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसमें ऑथेंटिकेशन एजेंसी को लोगों की बहुत कम जानकारी मिल पाएगी। लोगों पास यह विकल्प भी होगा कि वह अपना वर्चुअल आईडी नहीं बनाएं और हमेशा आधार नंबर का ही उपयोग करें। 

पाण्डेय ने कहा, ‘हमने सुश्चित किया है कि वे सर्विस प्रवाइडर्स भी इनसे (वर्चुअल आईडी से) आधार ऑथेंटिकेट कर सकें जिन्हें यह जानकारी स्टोर करने की अनुमति नहीं है। इससे उनके नेटवर्क में किसी भी रूप में कोई सूचना जमा नहीं हो पाएगी।’ उन्होंने कहा कि अगर सर्विस प्रवाइडर्स आधार नंबर जानने के गलत तरीके अपनाते हैं तो इसे क्राइम मानते हुए उन्हें सजा दी जाएगी।
 बुधवार को यूआईडीएआई ने ऑथेंटिकेशन के लिए पूरे डेमोग्रैफिक डेटा तक पहुंच रोकने के मकसद से सीमित केवाइसी फीचर लॉन्च किया। यूआईडीएआई अपनी 350 से ज्यादा ऑथेंटिकेशन एजेंसियों के लिए जरूरी सूचनाओं की पुष्टि करेगी। सीईओ अजय भूषण पाण्डेय ने कहा, ‘हम उन्हें पूछेंगे कि किस कानून के तहत वे केवाइसी के लिए कह रहे हैं। आखिरकार सरकार और कानून तय करेंगे कि किस सर्विस प्रवाइडर को कितना डेटा दिया जाना जरूरी है। अगर किसी एजेंसी को सिर्फ नाम और पता चाहिए तो उन्हें ज्यादा जानकारी क्यों दी जाए?’ 

यूआईडीएआई अगले कुछ हफ्तों पर इस विचार बहस करती रहेगी और मार्च तक अपना सिस्टम भी तैयार कर लेगी। पाण्डेय ने बताया, ‘1 जून तक सभी ऑथेंटिकेशन एजेंसियों को नई पद्धति अपनानी होगा। अगर वे नया सिस्टम नहीं अपनाएंगे तो उनका लाइसेंस वापस ले लिया जाएगा और उन्हें दुबारा लाइसेंस तभी मिलेगा जब वे नया सिस्टम तैयार कर लेंगे।’ 

 

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