जीवनशैली

आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए पति से जरूर कराएं ये काम

अपनी आर्थिक जरूरतों को नजरअंदाज न करें

अगर आप एक गृहिणी हैं और आपकी स्वयं की आय का कोई साधन नहीं है तो अपनी आर्थिक आवश्यकताओं को नजरअंदाज न करें। पूरी तरह से पुरुष साथी के अधीन रहने की बजाय अपने लिए आर्थिक प्रबंध करें। अपने निजी आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करना आपका अधिकार है। साथ ही, कुछ विशेष कदम भी उठाने चाहिए, ताकि आप आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें…आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए पति से जरूर कराएं ये काम

अपने लिए स्वास्थ्य बीमा की मांग करें

अपने पति से पूरे घर के लिए स्वास्थ बीमा मांगने में संकोच न करें और ख्याल रखें कि इस बीमा सुविधा के दायरे में आप भी आएं। आप यदि बड़े शहर में रहती हैं, तो यह बीमा 5-10 लाख का होना चाहिए। जैसे-जैसे आप 40 की उम्र पार करेंगी, मतलब अपने बुढ़ापे की ओर बढ़ेंगी आपको खुद के लिए अपने रेगुलर बेसिक मेडिकल प्लान के अलावा क्रिटिकल इलनैस प्लान की भी मांग करनी चाहिए। यह बीमा कम से कम 20 से 25 लाख का होना चाहिए।

पति को लाइफ इंश्योरेंस लेने के लिए कहें

अगर आपकी कोई भी आमदनी नहीं है और बच्चे हो गए हैं और पति ने लोन भी ले रखा है, तो उन पर जोर डालें कि वह खुद के लिए लाइफ इंश्योरेंस खरीद लें ताकि अगर आपके पति को अचानक कुछ हो जाए, तो आर्थिक रूप से आपका भविष्य सुरक्षित रहे और आपको किसी तरह की आर्थिक दिक्कत का सामना न करना पड़े। याद रखें कि यह बीमा आपकी वार्षिक आमदनी का 4-5 गुना हो। वरना अगर आपके पति ने बहुत ज्यादा लोन लिया हुआ है, तो बीमा उस लोन को चुका सके इतना तो हो ही।

उनकी आधिकारिक उत्तराधिकारी बनें

घर के इंवेस्टमेंट और पॉलिसी लेने के फैसले केवल अपने पति पर न छोड़ें। हां यदि आपकी इन चीजों में कोई रुचि नहीं है, तो भी कम से कम यह पता रखें कि आपके पति सभी जरूरी दस्तावेजों को कहां रखते हैं और उन्होंने कहां-कहां पैसे लगाए हुए हैं। याद रखें कि अपने पति के सभी अकाउंट्स में या तो आप उनके साथ जॉइंट अकाउंट के रूप में मौजूद रहें या फिर हर जगह आपका नाम उनके नॉमिनी यानि कि उत्तराधिकारी के रूप में हो। इससे अपने पति को कुछ हो जाने पर आपको बेहद आसानी से उनके इकट्ठा किए गए पैसे मिल सकेंगे। साथ ही दस्तावेजों में बतौर आर्थिक उत्तराधिकारी दर्ज रहने पर आपको आर्थिक लाभ भी मिल सकता है।

शादी के बाद बैंक अकाउंट जारी रखें

भले आप बेरोजगार हों, लेकिन शादी के शुरूआती कुछ सालों में अपने नाम वाला बैंक अकाउंट और इंवेस्टमेंट बंद न करें। अगर आपका पति आप पर यह दबाव भी डाले कि आप इन्हें जॉइंट अकाउंट बना लें, तब भी आप ऐसा न करें। हां आप उनके साथ एक जॉइंट अकाउंट जरूर खोल लें, लेकिन अपने अकाउंट में उन्हें साझेदार न बनाएं और अपने नाम वाला अकाउंट चलाती रहें। इससे आपको आर्थिक आत्मनिर्भरता मिलेगी। सबसे खास बात यह कि तलाक हो जाने के बाद भी आपका हक अपने पैसों पर बना रहेगा।

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