दस्तक-विशेषसाहित्य

इट्स माई लाइफ…

डॉ. पुष्पा सक्सेना

हॉलिडे रिसोर्ट के बाहर युवा पीढ़ी कुछ रंग जमाने के मूड में थी। पिछले दो दिनों की लगातार बारिश ने सबको अपने कमरों में कैद रहने को बाध्य कर दिया था। आज शाम आसमान खुलते ही लड़कों ने सूखी लकड़ियाँ जमा करनी शुरू कर दी थीं। आज रात जम कर कैम्प-फ़ायर चलेगा। उनके उत्साह से साथ आए प्रौढ़ भी उत्साहित हो चले थे। पहाड़ी मौसम का क्या ठिकाना, जब आकाश खुले मौज मना लो वरना फिर वही डिप्रेसिंग वेदर उन पर हावी हो जाएगा।
कैम्प-फ़ायर की तैयारियाँ पूरी हो चुकी थीं। रॉबिन ने जोरों से आवाज़ लगाई थी,
‘हे, ऑल ऑफ़ यू कम आउट। लेट्स हैव म्यूजिक एण्ड डांस।’
रोहन ने म्यूजिक सिस्टम चालू कर दिया था। लड़के-लड़कियों और बच्चों ने संगीत पर झूम-झूमकर नाचना-गाना शुरू कर दिया। अचानक वो उदास शाम बहुत रंगीन हो उठी। बारिश से धुली प्रकृति बेहद खूबसूरत लगने लगी थी।
रॉबिन जैसे सबका चहेता हीरो बन गया था। प्रभुदेवा की स्टाइल में नृत्य करते रॉबिन ने जब जलती आग को पार किया तो बुजुर्गो ने डर से साँस रोक ली और युवा पीढ़ी ने जोरों से तालियाँ बजा, उसका अभिनंदन किया था। रॉबिन को डांस करते देखना, सचमुच एक अनुभव था। आकर्षक व्यक्तित्व के साथ उसकी नृत्य मुद्राओं ने सबको विस्मय-विमुग्ध कर दिया था।
‘अगर लड़के को फिल्म वाले देख लें तो तुरन्त ब्रेक मिल जाए। इसे तो फिल्म्स में ट्राई करना चाहिए।’ मिस्टर आजमानी ने राय दी थी।
‘आप ठीक कह रहे हैं, मुझे तो डर है कहीं ये हमारी लड़कियों का मन न मोह ले। मुश्किल में पड़ जाएँगें सारे पापा लोग।’ रामदास जी की बात पर सब जोरों से हँस पड़े थे।
उस पहाड़ी क्षेत्र का वह हॉलीडे रिसोर्ट न केवल देशी बल्कि विदेशी पर्यटकों के भी आकर्षण का केंद्र था। शहर से दूर एकान्त में स्थित उस हालीडे रिसोर्ट में पर्यट्कों के लिए सारी सुख-सुविधाएं उपलब्ध थीं। हेल्थ केयर सेंटर, मसाज ब्यूटी पार्लर, स्केटिंग और डांसिंग फ्लोर के अलावा रोज की ज़रूरतों के लिए छोटी-सी मार्केट भी थी। रिसोर्ट की अपनी अलग ही दुनिया थी। भीड़भाड़ से दूर, शांति की खोज में आए पर्यटकों के लिए वो हॉलीडे रिसोर्ट स्वर्ग ही था।
युवा पीढ़ी ने सचमुच रंग जमा लिया था। रॉबिन और उसके दोस्तों ने अपने रंग में बड़ों को भी शामिल कर लिया था।


‘हे लिसिन एवरीबडी! डू यू नो हाऊ टू प्ले पिंक पायजामा?’
‘नही…..ई ……..’ समवेत स्वर गूंजा था।
‘ओके मैं एक्सप्लेन करता हूँ। पहले सब एक सर्कल में आ जाइए। अंकल-आंटी, यंग फ्रेंड्स सबको घेरे में आना है। कम ऑन एवरीबडी………’
रॉबिन की पुकार पर सब घेरे में सिमट आये थे। तभी रॉबिन की दृष्टि कोने में सिमटी खड़ी निकिता पर पड़ी थी। सबके उस सर्कल में चले जाने पर अकेली छूट गई निकिता जैसे घबरा-सी रही थी। तेजी से निकिता के पास पहुँचे रॉबिन ने उसका हाथ पकड़, घेरे में खींचना चाहा था। निकिता के प्रतिरोध पर रॉबिन हँस पड़ा था-
‘कम आँन बेबी, लेट्स एन्ज्वाँय। अपने ग़म भूल जाओ’
निकिता को सर्कल में शामिल कर रॉबिन ने गेम समझाना शुरू किया था-
‘हाँ तो ये गेम ऐसे है, आपको अपने नेक्स्ट पर्सन के कान में किसी फिल्म का नाम देना है, वह व्यक्ति अपने अगले पर्सन को किसी दूसरी फिल्म का नाम देगा। बस ऐसे ही करते जाना है, समझ गए?’
‘यस….।’ उत्साहपूर्ण स्वर उभरे थे।
‘एक-दूसरे के कान में पिक्चर का नाम फुसफुसाते सर्कल पूरा हो गया था।
अब? रॉबिन ने समझाया था, ‘गेम इज वेरी सिम्पल। आपको जिस फिल्म का नाम बताया गया है, उसके आगे “इन पिंक पायजामा” जोड़कर फिल्म का नाम बोलते जाइए। नाउ दिस यंग लेडी विल स्टार्ट’
‘दिल देके देखो इन पिंक पायजामा’, हँसी का दौर पड़ गया था।
‘हम आपके हैं कौन, इन पिंक पायजामा’
अजीब समाँ बँध गया था, कुछ अजीबोगरीब नामों के साथ जुड़कर पिंक पायजामा बेहद सेक्सी बन गया था। निकिता की बारी आते ही मौन छा गया था। रॉबिन उसके पास आया-
‘हाय निकिता बेबी, बोलती क्यों नहीं?’ निकिता जैसे और सिमट गई थी।
‘हे! व्हाँट इज राँग? तुम खेल समझ गई न?’
निकिता ने ‘हाँ’ में सिर हिलाया था।
‘फिर बोलती क्यों नहीं?’
निकिता फिर चुप रही।
‘अगर तुम नहीं बोलोगी तो हम गेम यहीं खत्म करते हैं, तुम्हारे लिए सबका मज़ा खत्म हो जाएगा।’
निकिता के मौन पर सबको नाराज़गी थी। मम्मी की तो नाक ही कट गई। इस लड़की की वजह से उन्हें कितनी शर्मिन्दगी उठानी पड़ती है! निकिता के कंधे जोर से दबा उन्होंने अपना गुस्सा उतारा था-
‘यू सिली गर्ल, अगर दिमाग नहीं है तो गेम में शामिल क्यों हुई? अब बोल भी दे’
फुसफसाहट में कहे गए मां के शब्द निकिता को आतंकित कर गए, घर पर रोज उनके निर्देश-डाँट सुनती निकिता, अब क्या चुप रह सकती थी।
‘सैक्सी गर्ल इन पिंक पायजामा’
हँसी के फौव्वारे छूट गए थे। सबकी दृष्टि निकिता की पिंक सलवार पर पड़ गई थी। व्हॉट ए कोइंसीडेंस! डनकी हँसी पर हथेलियों में मुँह छिपा निकिता अपने काटेज की ओर दौड़ गई थी। दूर तक लोगों की हँसी उसका पीछा करती रही थी।
जब से मम्मी-पापा यूके से आए हैं, उसके शांत-स्थिर जीवन में व्यवधान पड़ गया था। दादी के संरक्षण में वह अपने को कितना सुरक्षित पाती थी! बंधी-बंधाई दिनचर्या, रोज सुबह मंदिर में पूजा के बाद कॉलेज जाना, शाम को दादी को रामायण पढ़कर सुनाना और रात में दादी से सटकर लेटी निकिता, गहरी नींद में डूब जाती। बाबा की मृत्यु पर आए मम्मी-पापा को दादी के एकान्तवास की चिन्ता थी। लाख कहने पर भी दादी लंदन जाने को तैयार नहीं हुई थीं। हाँ बेटे से ये जरूर कहा था,
‘अगर मेरे अकेलेपन की इतनी ही चिन्ता है तो निक्की को छोड़ जा, मुझे देखने को घर के पुराने मुनीम जी और माली हैं ही, तुझे चिन्ता करने की जरूरत नही। ये पूरा कस्बा तेरे पिता का आभारी है।’
मम्मी ने राहत की साँस ली थी। दादी को साथ रखने में उन्हें कितनी असुविधाएँ झेलनी पड़तीं! एक बार निकिता को छोड़ते मन हिचका था, पर पति ने समझाया था,
‘वहाँ तुम्हारा इतना बिजी प्रोग्राम रहता है, तीन बच्चों में से एक यहाँ रह जाए तो कुछ बर्डेन कम होगा। माँ निक्की को अच्छी तरह देख सकती हैं। आखिर मैं भी तो उन्हीं की देखरेख में पला-बड़ा हुआ हूँ।’
पति की बातों में सच्चाई थी। वैसे भी अपने बच्चों में निकिता का सामान्य रंग-रूप, गौरी को अपने गोर-चिट्टे रंग का मज़ाक-सा उड़ाता लगता था। दूसरे दोनों बच्चे मनोज और नेहा, उन्हीं पर गए थे। निकिता का साँवला रंग, उसकी ददसाल की देन था, शायद इसीलिए मम्मी को निकिता से कभी भी ज्यादा लगाव नही रहा। इस बार भारत आने पर उन्हें लगा, निकिता की साँवली काया खिल आई थी। शायद यह उसकी उम्र का तकाजा था। सोलह साल की उम्र में तो हर लड़की मोहक दिखती है, पर उसके तौर-तरीकों ने गौरी को परेशान कर डाला था। लम्बे बालों को कसकर दो चोटियों में गूंथ, बालों की शोभा ही नष्ट हो गई थी। सुबह-शाम पूजा-पाठ करने वाली लड़की से यूके का कौन लड़का शादी करेगा?
रात में गौरी ने पति से कहा था, ‘सुनो जी, इस बार निक्की को साथ ले जाना है, यहाँ रहकर यह निरी गँवार बन गई है।’
पत्नी की बात सुन निखिल परेशान हो उठे थे। कुछ ही दिनों में उन्होंने जान लिया था माँ और निक्की किस तरह एक-दूसरे से जुड़ गई थीं, उन्हें अलग करना, उनके प्रति अन्याय होगा। निकिता अब क्या लंदन के जीवन से साम्य बिठा सकेगी?
पति को सोच में डूबा देख गौरी झुझँला उठी थी, ‘क्या सोच रहे हो! लड़की की जिन्दगी यूं खराब नहीं की जा सकती, कुछ तो करना ही होगा।’
‘वही सोच रहा हूँ। ऐसा करते हैं हम सब किसी हिल स्टेशन पर चलते हैं, देखते हैं निक्की हमारे साथ रह सकेगी या नहीं।’
‘क्या मतलब? हमारी बेटी हमारे साथ नहीं रह पाएगी, आखिर हमारा खून है वो।’
‘तुमने देखा नहीं, माँ के साथ वह किस तरह जुड़ गई है। उन दोनों को अलग करना क्या आसान होगा?’
‘इसमें तुम्हारी ही गलती है, मैंने तो पहले ही कहा था, उसे यहाँ छोड़ना ग़लती थी।’
‘ठीक है, चलो इसी बहाने एक सप्ताह सब साथ एन्ज्वाँय कर लेंगे और मेरी बात की सच्चाई का भी टेस्ट हो जाएगा।’
अपने ही माँ-बाप, भाई-बहनों के साथ निकिता अपने को बेहद अजनबी पाती थी। दादी के साथ सब कुछ कितना सहज और सामान्य-सा लगता था। गौरी उसकी आदतों से परेशान थी। बार-बार निर्देश देती, वह झुँझला उठती-
‘हे भगवान, ये तो एकदम जाहिल बन गई है। हाथ से दाल-भात खाती, कैसी तो लगती है!’
डर कर निकिता चावल खाना छोड़, रोटी कुतरने लगती। मनोज और नेहा उसे कौतुक से देखते, क्या सचमुच वो उनकी बड़ी बहन थी?
उसी निकिता को आज सबके सामने कैसे आशोभनीय शब्द दोहराने पड़े थे, ‘सैक्सी गर्ल इन पिंक पायजामा।’
कमरे के पलंग पर औंधी पड़ी निकिता रोती जा रही थी, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी, ‘मे आई कम इन’
निकिता घबरा उठी थी। जल्दी से आँसू पोंछ दरवाजा खोला था, सामने रॉबिन खड़ा था।
‘हे बेबी! व्हाट इज़ दिस? आँसुओं में डूबी राजकुमारी, तुम्हें क्या तकलीफ़ है? क्या हुआ?’ रॉबिन सचमुच कंसर्न दिख रहा था।
रॉबिन की सहानुभूति पर निकिता के आँसू फिर बह चले थे। आश्चर्य से रॉबिन ने उसकी ठोढ़ी उठाकर फिर पूछा था,
‘कम आँन! क्या हुआ, निकिता बेबी?’
‘कुछ नहीं’
‘फिर रोती क्यों हो?’
‘हमें ये सब गंदी बातें अच्छी नहीं लगतीं।’
रॉबिन ठठाकर हँस पड़ा था।
‘ओह गॉड! तुम खेल को सीरियसली लेती हो?’
‘खेल में ऐसी बातें कही जाती हैं? सब क्या सोचते होंगे?’
‘पागल… सिम्पली मैड। अरे ये खेल है, कोई इन बातों को सीरियसली नहीं लेता। सच तो ये हैं तुम्हारी वहाँ से एबसेंस का भी किसी ने नोटिस नहीं लिया।’
‘फिर तुम यहाँ कैसे आए?’
‘क्योंकि मैंने तुम्हारी एबसेंस फील की थी, निक्की बेबी!’ अपनी बात खत्म करते रॉबिन ने प्यार से निक्की के माथे पर झूल आई लट संवार दी । निकिता सिहर उठी।
‘आर यू फ़ीलिंग कोल्ड?’
निकिता ने नहीं में सिर हिलाया था।
‘अच्छा तो आज से हम दोनों दोस्त हुए, बोलो मंजूर है?’ रॉबिन ने अपनी हथेली खोल आगे बढ़ा दी थी। निकिता उस खुले हाथ पर अपना हाथ देती हिचक रही थी। रॉबिन ने उसका हाथ पकड़ जोर से दबाया था।
‘अब हम दोस्त हैं, नाउ नो मोर क्राइंग। चलो एक कप काँफ़ी हो जाए।’
‘हम काँफ़ी नहीं पीते।’
‘फिर क्या दूध पीती हो?’ रॉबिन शरारत में मुस्करा रहा था।
‘हाँ।’ कहते निकिता को शर्म आई थी।
‘चलो आज मैं काँफ़ी बनाता हूँ, टेस्ट करके देखोगी तो दूसरे के हाथ की काँफ़ी कभी नही पियोगी।’
निकिता असमंजस में पड़ गई थी। रॉबिन उसको लगभग खींचता-सा अपनी काटेज में ले गया था। निकिता को एक कुर्सी पर बैठा उसने दो कप काफ़ी तैयार की थी। विस्मित निकिता उसे देखती रह गई थी। काफ़ी का मग निकिता को थमा, उसने म्यूजिक सिस्टम ऑन किया था। पहला-पहला प्यार है… निकिता रोमांचित हो उठी थी। जैसे वह सपनों में जाग रही थी।
‘तुम्हें डांस आता है?’
‘नहीं’
‘सीखोगी?’
‘हमें शर्म आती है’
‘सिली गर्ल! किसी भी आर्ट को सीखने में शर्म क्यों? मैं डांस करता अच्छा नहीं लगता?’
निकिता चुप रह गई थी।
‘मैं अच्छा नहीं लगता?’
‘लगते हो’ बहुत मुश्किल से कह पाई थी।
‘तुम डांस करती बहुत अच्छी लगोगी, निक्की बेबी! शैल वी स्टार्ट?’
निकिता का हाथ पकड़ रॉबिन ने उठाया था।
‘नहीं, हमें शर्म आती है। हम डांस नहीं करेंगे’
‘हम दोनों दोस्त हैं, अब एक-दूसरे से शर्म क्यों? देखना दो दिन में सीख जाओगी।’
निकिता की कमर में हाथ डाल, रॉबिन ने स्टेप्स बताने शुरू किए थे। निकिता जैसे अपना होश खो बैठी थी। पाँवों को पंख लग गए थे, रॉबिन के इशारों पर वह स्वप्नवत् नाचती गई थी।
‘वैरी गुड। ये तुम्हारा पहला लेसन था, कल दूसरा लेसन शुरू होगा। आज के स्टेप्स अच्छी तरह याद कर लेना वरना मेरी डांस-पार्टनर कैसे बन पाओगी?’
‘तुम्हारी डांस-पार्टनर मैं… रॉबिन, तुमने यही कहा है न?’ खुशी में पगी निकिता बोल नहीं पा रही थी।
‘हाँ। यही मेरा चैलेंज है, बोलो मेरा साथ दोगी न, निक्की?’ निकिता मुश्किल से सिर हिला सकी थी।
‘तो पक्का रहा। चलो तुम्हें पहुँचा आऊं, देर हो रही है।’ रॉबिन के साथ अपने काटेज पहुंची निकिता जैसे सपने से जगा दी गई थी।
‘ओके निकिता, सी यू टुमारो, बाय’ हाथ हिलाता रॉबिन चला गया था।
मम्मी-पापा वगैरह अभी भी बाहर के प्रोग्राम में बिज़ी थे। निकिता डांस स्टेप्स का रिहर्सल कर रही थी, कल उसे रॉबिन को चौंका देना था। उसके थककर सो जाने के बाद नेहा, मनोज के साथ मम्मी-पापा वापस आए थे। दूसरे दिन सबका पिकनिक स्पॉट्स देखने जाने का प्रोग्राम था। निकिता ने कहीं भी जाने से साफ़ मना कर दिया था। ठीक समय पर रॉबिन आया था। आज काफ़ी निकिता ने बनाई थी। डांस के स्टेप्स सिखाते रॉबिन ने निकिता को न जाने कितनी बार अपने पास खींचा था। बार-बार रोमांचित होती निकिता सपने में जीती रही थी।
पाँच दिन बाद रॉबिन ने सबके सामने उसे अपने साथ नृत्य के लिए आमंत्रित किया था। नेहा तो चौंक गई थीं डांस में एक्सपर्ट उतनी लड़कियों के रहते निकिता को बुलाकर रॉबिन क्या उसका अपमान नहीं कर रहा था।
इट्स माई लाइफ़….गीत चल रहा था। रॉबिन के बढ़े हाथ में अपना हाथ देती निकिता डांस-फ्लोर पर उतर आई थी। नेहा की आँखें विस्मय में फैल गई थी। पति की ओर देख, गौरी मुस्कराई थी।
डांस-फ्लोर पर निकिता सहज दिख रही थी। लोगों की दृष्टि मात्र से संकुचित होने वाली निकिता आज रॉबिन के साथ डांस-फ्लोर पर थी। सब कुछ कितना अच्छा लग रहा था!
‘कल मैं जा रहा हूँ बेबी’ धीमे से रॉबिन ने कहा था।
‘क्या…….आ………कहाँ..क्यों?’ निकिता जाग गई थी।
‘घर, तुम्हें भी तो जाना है न?’
‘नहीं, तुम नहीं जाओ, रॉबिन………!’
‘मैं एक जगह बँधकर नहीं रह सकता, बेबी। वैसे भी अब तुम्हें मेरी जरूरत नहीं है, यू नो डांसिंग…’
‘नहीं रॉबिन, हमें तुम्हारी जरूरत है। हमें छोड़कर नहीं जाओ।’ निकिता की आँखें भर आई थीं।
‘कम ऑन निकिता, तुम मैच्यूर लड़की हो, बच्चों की तरह नहीं रोते, सिली गर्ल…’
‘तुमने हमसे दोस्ती क्यों की, रॉबिन?’
‘क्योंकि तुम एक अच्छी लड़की हो, दूसरी लड़कियों से बहुत अलग। तुम हमेशा याद रहोगी। नाऊ चियर अप निकिता- इट्स माई लाइफ़…’
मस्ती में गीत गुनगुनाता रॉबिन, निकिता को फ्लोर के बाहर पहुंचा, सामने खड़ी लड़की का हाथ पकड़े फ्लोर पर पहुंच गया था। लड़की को चक्कर दिलाते रॉबिन को निकिता स्तब्ध ताकती रह गई थी।
‘चल निक्की, देर हो रही है।’ गौरी ने स्नेह से उसके कंधे पर हाथ धरा था।
कॉटेज पहुँचते ही नेहा शुरू हो गई थी,
‘मम्मी, निक्की ने क्या सरप्राइज दिया! मैं तो इमेजिन भी नहीं कर सकती थी, शी कुड डांस सो वेल…’
‘हूँह। इसे डांस सिखाने के पूरे पाँच हजार दिए हैं, वरना क्या ये डांस कर पाती?’
‘किसे पाँच हजार दिए हैं, मम्मी?’ नेहा ताज्जुब में थी।
‘अरे उसी डांसर…….. रॉबिन को। वो तो इसे सिखाने को तैयार ही नहीं था, कहता था इसे डांस सिखाने की जगह किसी पत्थर की मूरत को सिखा देगा, पर पाँच हजार पर मान गया। आज उसने डिमांस्ट्रेट किया था, बाकी रकम जो लेनी है।’ ‘नहीं…… तुम झूठ बोलती हो, वो हमारा दोस्त है…… हमारा दोस्त है।’ अपने सारे टूटे सपनों के साथ निकिता पलंग पर ढेर हो गई थी।

वाशिंगटन, अमेरिका

PushpaSaxena@hotmail.com

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