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इससे पहले भी आतंकियों के चंगुल से भारतीयों को ऐसे छुड़ाया गया है

नई दिल्ली । आतंकी संगठन आइएसआइएस के चंगुल से भले ही 39 भारतीयों को छुड़ाया नहीं जा सका। मगर ऐसा नहीं है कि इससे पहले भारतीयों को छुड़ाने का रेस्क्यू ऑपरेशन सफल नहीं हुआ है। इससे पहले भी विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह की अगुवाई में दो सफल अभियान के दम पर भारतीयों को आतंकियों के चंगुल से छुड़ाकर सकुशल भारत लाया गया है।

ऐसे दो मामले हैं, जिसमें आतंकियों के कब्जे में मौजूद भारतीयों को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर भारत लाया गया हो। एक मामला 2004 का है, जब भारतीय ट्रक ड्राइवरों को बचाया गया था। वहीं दूसरी घटना में केरल की 46 नर्सों को बचाया गया, जो इराक के एक हॉस्पिटल में काम करती थीं।

 

ऐसे नर्सों को बचाया गया

भारतीय नर्सों को इराकी शहर तिकरित के एक हॉस्पिटल से अगवा किया गया था। इन्हें सकुशल छुड़ाने के लिए भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हर खाड़ी देश के विदेश मंत्रियों से संपर्क साधा था। इराक में सालों से काम कर रहे केरल के कुछ उद्योगपतियों ने इनकी रिहाई में अहम रोल निभाया था।

ट्रक ड्राइवरों को ऐसे छुड़ाया गया

इसी तरह भारतीय ट्रक ड्राइवरों को अमेरिका के खिलाफ लड़ रहे आतंकी संगठन ने अगवा कर लिया था। जिस वक्त इन ड्राइवरों को अगवा किया गया, वो कुवैत से इराक जा रहे थे। उस वक्त केंद्र की मनमोहन सरकार ने उन्हें सकुशल छुडाने के लिए अभियान चलाया था। उसके तहत विदेश राज्य मंत्री ई अहमद ने आतंकियों से बात की थी। इसके बाद उन्होंने भारतीय ड्राइवरों को छोड़ दिया था।

केरल के फादर को भी रेस्क्यू किया गया

इसके अलावा यमन में ऐसा ही एक अभियान चलाया गया था। जिसमें केरल के ईसाई धार्मिक गुरू फादर टॉम उज्हुनलील को छुड़ाया गया था। उन्हें ओमान की मदद से पिछले साल सितंबर में आतंकी संगठन आइएसआइएस के चंगुल से छुड़ाया गया था। इस मामले में ईसाई धर्म गुरू को छोड़न के लिए वेटिकन ने भी अपील की थी। वहीं जुलाई 2016 में जूडिथ डिसूजा नाम के एक भारतीय एनजीओ कर्मचारी को काबुल से रेस्क्यू किया गया था।

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