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उत्तराखंड में बढ़ सकते हैं बिजली के दाम, 10 फीसदी तक बढ़ोतरी के आसार

उत्तराखंड पावर कारपोरेशन विद्युत नियामक आयोग को नए वित्तीय वर्ष से बिजली की दरों में आठ से 10 फीसदी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव कर सकता है। निगम को 30 नवंबर तक आयोग में अपनी पिटीशन दाखिल करनी है। शुक्रवार को निगम के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा और उनकी टीम पिटीशन को अंतिम रूप देने के लिए दिन भर माथापच्ची करती रही। यूपीसीएल शनिवार तक आयोग में पिटीशन दाखिल कर देगा। आयोग के सचिव नीरज सती के मुताबिक, पिटकुल और यूजेवीएनएल आयोग में अपनी पिटीशन दाखिल कर चुके हैं।

करीब नौ फीसदी का इजाफा कर चुका है यूपीसीएल
उधर, वित्तीय घाटे का सामना कर रहे यूपीसीएल इस वित्तीय वर्ष में बिजली की दरों में करीब नौ फीसदी का इजाफा कर चुका है। पहली बार निगम को अपने घाटे से उबरने के लिए आयोग को एक ही सत्र में दो-दो बार पिटीशन दाखिल करनी पड़ी।

आयोग ने उसकी पिटीशन पर विद्युत दरों के प्रस्ताव पर मुहर लगाई। दो बार विद्युत दरों में इजाफा करने के बाद निगम पर दोबारा बिजली की दरों को ज्यादा महंगा न करने का दबाव है। चूंकि आगामी वित्तीय वर्ष के दौरान उसके खर्चों में इजाफा होने की संभावना है।

आठ से 10 फीसदी की वृद्धि का प्रस्ताव
माना जा रहा है कि निगम अपने प्रस्ताव में घरेलू, वाणिज्यिक, कृषि क्षेत्र की बिजली दरों में कुल मिलाकर आठ से 10 फीसदी की वृद्धि का प्रस्ताव कर सकता है। इसके पक्ष में निगम ने जो तर्क तैयार किए हैं।

उसमें वित्तीय घाटे के अलावा, कंपनियों से खरीदी जाने वाली बिजली की दरों में संभावित वृद्धि, सातवें वेतन आयोग के बाद वेतन, भत्तों और अन्य मदों में खर्च में हुई बढ़ोत्तरी शामिल है। इन खर्चों को पूरा करने के लिए उसने अपना एनुअल रेवेन्यू रिक्वायरमेंट (एआरआर) का प्रस्ताव तैयार किया है।

प्रस्तावों पर आयोग करेगा सुनवाई
पिटीशन के प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद विद्युत नियामक आयोग दिसंबर महीने में स्थान स्थान पर जाकर जन सुनवाई करेगा। जनसुनवाई के बाद आयोग विद्युत की दरों का निर्धारण करेगा। यानी निगम की पिटीशन में बिजली दरों के प्रस्ताव में बदलाव हो सकता है।

आयोग के सचिव नीरज सती के मुताबिक, सभी पिटीशन प्राप्त होने के बाद उनका परीक्षण होगा और उसके बाद जन सुनवाई की प्रक्रिया आरंभ होगी। सभी पक्षों को सुनने और परीक्षण व अध्ययन के बाद आयोग दरों का निर्धारण करेगा।

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