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उन्नाव केस: पीड़िता के मौत से पहले के शब्द – मैं मरना नहीं चाहती, बच तो जाऊंगी ना…

उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता ने शुक्रवार की रात 11.40 बजे सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। सफदरजंग अस्पताल की ओर से पहले ही अंदेशा जताया जा चुका था कि नब्बे फीसदी जली पीड़िता के लिए अगले 48 घंटे बेहद अहम हैं। पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने बेटी की मौत की सूचना नहीं दी। बता दें कि पीड़िता को गुरुवार देर रात लखनऊ के सिविल अस्पताल से एयरलिफ्ट करके सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पीड़िता ने इलाज के दौरान अपने भाई से आखिरी बार कहा था कि जिन्होंने मेरी ऐसी हालत की है, उन्हें छोड़ना मत। साथ ही उसने यह भी कहा था कि अभी वह मरना नहीं चाहती है।

डॉक्टरों ने कहा- देश में दरिंदगी की हद पार
नब्बे फीसदी जली हुई उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता की आवाज ढंग से नहीं निकल रही थी। जलने की वजह से उसके गले की श्वांस और आहार नली पूरी तरह से सूज चुकी थीं। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में जब उन्नाव की जलाई गई रेप पीड़िता बृहस्पतिवार की रात नौ बजे पहुंची तो वह डॉक्टरों से कुछ कहना चाह रही थी।

पीड़िता के पास में खड़े अस्पताल के बर्न यूनिट के हेड डॉ. शलभ और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनील गुप्ता ने बताया कि उसके मुंह से निकली हुई बातें इतनी ही समझ में आ रहीं थी कि वह जानना चाह रही थी कि वह बच जाएगी न।

डॉक्टरों ने बताया कि उसने इशारों में और हल्की आवाज में कहा कि वह मरना नहीं चाहती है। उसने यह भी कहा कि उसके साथ ऐसा करने वाला कोई बचे न। थोड़ी बहुत बात करते करते वह पूरी तरह से निढाल हो गई। पीड़िता को तुरंत वेंटीलेटर पर रखा गया क्योंकि नब्बे फीसदी तक जलने से उसके शरीर में बहुत लिक्विड बह चुका था।

डॉक्टरों के अथाह परिश्रम के बावजूद पीड़िता को बचाया नहीं जा सका और उसने शुक्रवार की रात 11.40 बजे सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया।

हर घंटा मुश्किल होता है ऐसे मरीजों के लिए
सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनील गुप्ता ने बताया कि पीड़िता का शरीर 90 फीसदी आग की चपेट में आने के कारण उसे पहचान पाना भी मुश्किल हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि उसे पेट्रोल डालकर जलाया गया हो। बीते बृहस्पतिवार रात अस्पताल आने के बाद कुछ देर तक उसकी हालत में स्थिरता देखने को मिली। थोड़ा सा पानी भी धीरे-धीरे पिया था। ऐसी स्थिति में कोई भी मरीज हर घंटे गंभीर हालत में पहुंचता है। हालांकि हम बचा नहीं सके।

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