उत्तर प्रदेश

एक साधू ऐसा भी जो भीख में मिले 2.5 लाख रूपये वापस कर गया

मेरठ : साधु को रूपये और मोहमाया से क्या लेना देना। ये बाते धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में लिखी हुई सुनी जाती हैं। आज जब देश में साधु-संतो की आड में रूपये कमाने वालों की फौज खडी हैं और उनके काले कारनामें हर दिन अखबारों की सुर्खियां बनते हैं, लेकिन इन्हीं की जमात में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके कारण यह समाज आज भी भारतीयता की मिसाल बना हुआ है। ऐसी ही एक घटना मेरठ के मिर्जापुर गांव में घटित हुई। करीब 10 दिन पहले गांव में एक साधु भिक्षा मांग रहा था। भिक्षा मांगते हुए साधु गांव निवासी कुलदीप के घर पहुंचे और भिक्षा मांगी। कुलदीप की मां ने जब साधू को और उनके कपडों को देखा तो उन्हें उस पर दया आ गई। वे भीतर गई और सेफ में पुराने कपडों से भरी एक थैली उठाकर बाहर लाई और साधू को दे दी। साधू कपडों की थैली लेकर चला गया। शाम को जब कुलदीप वापस गांव लौटे तो उन्होंने सेफ खोलकर कपडों की थैली के बारें में पूछताछ शुरू कर दी। कपडों की थैली में उन्होंने ढाई लाख रूपये लाकर कुछ दिन पहले रखे थे। जो एक जमीन के बैनामा कराने के लिए बैंक से निकाले थे। यह बात जब उन्होंने घर पर बताई तो सभी घर वालां के पैरों तले जमीन सरक गई। मां ने बताया कि वो थैली तो उन्होंने एक भीख मांगने वाले साधू को दे दी है।

शनिवार को वही साधू कुलदीप के घर आया और थैली में रखे रूपये वापस देने लगा। कुलदीप और उसके परिजनों ने तो रूपये वापस पाने की संभावना ही छोड दी थी। लेकिन जब साधू ढाई लाख रूपये लेकर उनके परिजनों के सामने खडा था तो किसी को विश्वास ही नहीं हुआ। सधू ने कहा कि रूपये पैसे से उनका क्या काम उन्होंने तो उस थैली को कुछ दिन बाद खोला तो उसमें रूपये निकले जिन्हें वह लौटाने के लिए फिर से उस घर तक आ पहुंचे हैं। साधू-संत को पैसों की क्या जरूरत, यह बात कहते हुए उन्होंने परिवार को यह रकम लौटा दी। यह घटना पूरे इलाके में चर्चा में बनी हुई है। रकम लौटाने वाले संत का नाम पूजीराम हैं और वे 80 साल के हैं। उन्होंने किसी को अपना पता ठिकाना नहीं बताया और चाय पीकर खाना खाकर वापस चले गए।

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