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ओम बिड़ला लोकसभा के स्‍पीकर चुने गए, मोदी बोले- लोकसभा के लिए गर्व का वक्‍त

मध्‍य प्रदेश के कोटा से भाजपा सांसद ओम बिड़ला  को 17वीं लोकसभा  का अध्‍यक्ष चुन लिया गया है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकसभा के यह गर्व का समय है। ओम बिड़ला ने आठ बार की सांसद और निवर्तमान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की जगह ली है।

बिड़ला को खुद चेयर तक ले गए प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने पर ओम बिड़ला के नाम का प्रस्ताव रखा। इसके बाद कांग्रेस, तृणमूल, द्रमुक और बीजद समेत कई दलों ने प्रस्‍ताव का समर्थन किया। ओम बिड़ला के लोकसभा अध्‍यक्ष चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद उन्हें चेयर तक लेकर गए। बिड़ला ने मंगलवार को लोकसभा के अध्‍यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया था।

तीन बार विधायक व दो बार सांसद
राजनीतिक गलियारों में लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए ओम बिड़ला का नाम भले ही चौंकाने वाला रहा है, लेकिन संसदीय अनुभव उनके पास है। 57 वर्षीय बिड़ला तीन बार (2003, 2008 और 2013) राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे हैं। उन्होंने संसदीय सचिव की जिम्मेदारी भी संभाली है। वह लगातार दूसरी बार कोटा से जीतकर लोकसभा में पहुंचे हैं। उन्होंने कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 2.5 लाख वोटों के अंतर से हराया था।

राम मंदिर आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका
बतौर सांसद ओम बिड़ला की सदन में उपस्थिति 86 फीसद रही। उन्होंने 671 सवाल पूछे और 163 संसदीय चर्चाओं में हिस्सा लिया। वर्ष 1991 से लेकर 12 सालों तक वह भाजयुमो के प्रमुख नेता रहे हैं। राज्य में वह भाजयुमो अध्यक्ष रहे हैं तो राष्ट्रीय स्तर पर उपाध्यक्ष का पद संभाला है। राजनीति के क्षेत्र में उन्हें सबको साथ लेकर चलने में माहिर माना जाता है। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए जेल में यातनाएं भोगीं।

राजस्थान को अहमियत भी रही वजह
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस पद के लिए ओम बिड़ला का नाम सुझाया था। ओम बिड़ला के चयन में राजस्‍थान में भाजपा का प्रदर्शन की भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है। अगर चुनावी नतीजों की बात करें तो राजस्थान से पार्टी न सिर्फ सभी सीटें जीती बल्कि वोट भी करीब साठ फीसद था। फिलहाल राजस्थान से मोदी मंत्रिमंडल में तीन मंत्री हैं।

अब तक केवल दो बार लोकसभा सदस्य
आमतौर पर माना जाता है कि संसद के निचले सदन यानी लोकसभा को चलाने के लिए काफी अनुभवी अध्यक्ष की जरूरत होती है। इस अहम जिम्मेदारी को निभाने के लिए ऐसे राजनेता की दरकार होती है जो विधायी कार्यों, नियमों और कानूनों में सिद्धहस्त होता है। कोई नेता इसमें तभी पारंगत माना जाता है जब वह कई बार संसद के किसी सदन का सदस्य बन चुका होता है। लेकिन ओम बिरला अब तक केवल दो बार लोकसभा सदस्य रहे हैं।

कम संसदीय अनुभव पहले नेता नहीं
वैसे यह पहली बार नहीं है जब कोई कम संसदीय अनुभव वाले किसी राजनेता को इस पद पर बैठाया गया हो। वर्ष 1952 में लोकसभा अध्‍यक्ष चुने गए जीवी मालवंकर, 1956 में चुने गए एमए अयंगर, 1967 में चुने गए नीलम संजीव रेड्डी, 1967 में चुने गए जीएस ढिल्लन के पास केवल एक बार का संसदीय अनुभव था। वहीं वर्ष 1962 में चुने गए सरदार हुकुम सिंह के पास तीन बार का संसदीय अनुभव था। साल 2014 में चुनी गईं सुमित्रा महाजन सात बार सांसद के तौर पर निर्वाचित हुईं थी।

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