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कई साल बाद रक्षाबंधन पर बना शुभ योग, कब राखी बांधना होगा लाभप्रद


नई दिल्ली : साल में एक बार आने वाले रक्षाबंधन त्योहार के दिन भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देते हैं। इस बार रक्षाबंधन के त्योहार को 26 अगस्त रविवार को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन का त्योहार मनाए जाने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें सबसे प्रमुख कारण है श्रावण पूर्णिमा। रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। साल 2018 में यह तिथि 26 अगस्त को है। यही वजह है कि इस बार भाई-बहन के इस स्नेह के त्योहार को 26 अगस्त को मनाया जाएगा। इस साल सबसे अच्छी बात यह है कि इस बार तिथियों को लेकर कोई उलझन वाली स्थिति नहीं है।

पूर्णिमा तिथि का आरंभ शनिवार की शाम 3 बजकर 17 मिनट से हो रहा है और यह अगले दिन शाम 5 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। शनिवार को सुबह 9 बजकर 15 मिनट से श्रवण नक्षत्र भी शुरू हो रहा है जो रविवार को 4 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। 25 अगस्त को 3 बजकर 17 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू होने के बावजूद राखी का त्योहार 26 अगस्त को इसलिए मनाया जाएगा क्योंकि 26 अगस्त को सूर्योदय काल में पूर्णिमा तिथि होने से इस दिन पूर्णिमा तिथि मान्य होगी। शनिवार को चतुदर्शी तिथि में सूर्योदय की वजह से शनिवार को यह त्योहार नहीं मनाया जाएगा। दूसरी बात यह भी है कि शनिवार को पूर्णिमा तिथि के साथ भद्रा भी लगा होगा। रविवार को 4 बजकर 20 मिनट तक श्रवण नक्षत्र होने से इस समय तक राखी बंधवाना सबसे शुभ रहेगा। रक्षाबंधन के दिन इस साल बेहद शुभ संयोग बनने जा रहा है।

दरअसल, चार साल में पहली बार राखी के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार भद्राकाल को अशुभ माना समय माना जाता है। इसलिए जितने घंटे यह योग रहता है, उतने समय में शुभ काम नहीं करते। इस दौरान राखी बांधने या पावन कार्य करने का शुभ फल नहीं मिलता है, ऐसा शास्त्रों में लिखा है। भद्रा दिन की शुरुआत में ही समाप्त होने से पूरे दिन शुभ योग बना रहेगा। ऐसे में आप पूरे दिन राखी का त्योहार मना सकते हैं यानी बहनों और पुरोहितों से राखी बंधवाने के लिए पूरा दिन होगा आपके पास।

रक्षाबंधन पर भद्राकाल नहीं होने से दिन भर राखी बांधना शुभ है। हालांकि, बहनें राहुकाल में अपने भाइयों को राखी बांधने से बचें। 26 अगस्त के दिन शाम 4:30 से 6 बजे तक राहुकाल रहेगा। इस समय अवधि के अलावा किसी भी समय राखी बांधी जा सकेगी। पूर्णिमा तिथि शाम 5 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। इस दिन भगवान विष्णु के एक अवतार हयग्रीव का भी जन्मदिन है। इसलिए राखी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष शुभ फलदायी है। भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार के पीछे देवी लक्ष्मी का भी योगदान था इसलिए भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करना धन और समृद्धिदायक रहेगा।

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