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कमर और पेट पतला और जांघों को पुष्ट बनाता है पादहस्तासन

लखनऊ : हाथों से पैरों को पकड़कर यह आसन किया जाता है इसलिए इसे पादहस्तासन कहते हैं। यह आसन पेट और कमर के पास जमा फैट को कम करने में मदद करता है जिससे कमर पतली और आकर्षक बनती है। यही नहीं शरीर को लचीलापन भी मिलता है। यही कारण है कि सिर्फ महिलाएं पादहस्तासन का हाथ थामें, यह सही नहीं है। पुरुषों को भी पादहस्तासन अपने पर्फेक्ट बॉडी शेप के लिए करना चाहिए। कंधे और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों को धीरे-धीरे ऊपर उठाकर हाथों को कंधे की सीध में लाकर थोड़ा-थोड़ा कंधों को आगे की ओर झुकाते हुए सिर के ऊपर तक उठायें। ध्यान रहे कि कंधे कानों से सटे हों। हथेलियां सामने की ओर हों। जब बांहें एक-दूसरे के समानान्तर ऊपर उठ जाएं तब धीरे-धीरे कमर को सीधा रख सांस अंदर लेते हुए नीचे की ओर झुकना प्रारम्भ करें। झुकते समय भी ख्याल रखें कि कंधे कानों से सटे ही रहें। घुटने सीधे रखते हुए दोनों हथेलियों से एड़ी-पंजे मिले दोनों पांव को टखने के पास से कस के पकड़कर माथे को घुटने से स्पर्श करने का प्रयास करें। सांस अंदर बाहर करते रहें। सुविधा अनुसार 30-40 सेकंड इस स्थिति में रहें। वापस आने के लिए धीरे-धीरे इस स्थिति से ऊपर उठिए। खड़ी मुद्रा में आकर हाथों को पुनः कमर से सटाने के बाद विश्राम स्थिति में आएं।पतली कमर के लिए पादहस्तासन लाभकारी है। साथ ही इसके करने से शरीर में लचीलापन भी आता है। इसके अलावा जिन लोगों को अपने कद में वृद्धि करनी है, उनके लिए भी यह सहायक है। हालांकि एक उम्र के बाद कद में वृद्धि असंभव होती है। बावजूद इसके शरीर में खिंचाव होने से कद की सामान्य वृद्धि देखी जा सकती है। बच्चों के लिए यह आसन बेहद फायदेमंद है। खासकर उन बच्चों के लिए जिन्हें अपने कद को लेकर संदेह है। पादहस्तासन की खूबी की सूची अभी खत्म नहीं हुई है। पुरुष इस आसन को न करने की ठोस वजह दे सकते हैं कि यह आसन महिलाओं के लिए कारगर है। जबकि चैड़े सीने की चाह रखने वालों के लिए भी यह योगासन फायदेमंद है। अतः अगर आपमें परफेक्‍ट बॉडी शेप के साथ चौड़े सीने की चाहत है तो इस आसन से दूरी कम करिये। इसके अलावा यह आसन मूत्र-प्रणाली, गर्भाशय तथा जननेन्द्रिय स्रावों के लिए विशेष रूप से कारगर है। इससे कब्ज दूर होती है। पीठ और रीढ़ की हड्डी को यह आसन मजबूत करता है और लचीला भी बनाता है। जंघाओं और पिंडलियों की मांसपेशियों को भी मजबूत करता है। आंतों के व पेट के प्रायः समस्त विकार इस आसन को नियमित करने से दूर होते हैं।
पादहस्तासन को करने से पहले कई प्रकार की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। अगर आप अपने पैरों को नहीं छू पा रहे हैं तो इसका आहिस्ता आहिस्ता अभ्यास करें। इसे कतई झटपट पूरा करने की कोशिश न करें। पैरों की मांसपेशियों आहत हो सकती हैं। झटके से गर्दन नीचे करने से गर्दन लचक सकती है। इसी तरह की और भी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अगर इसे करने की सही विधि से आप बावस्ता नहीं हैं तो बेहतर होगा कि योग विशेषज्ञों से संपर्क करें।इसके अलावा अगर आपमें रीढ़ की हड्डी की किसी भी तरह की शिकायत है तो इस आसन से दूरी बनाए रखें। पेट से जुड़ी हर किसी भी प्रकार की बीमारी पादहस्तासन करने की इजाजत नहीं देते। अतः इसे न करें। साथ हृदय रोगी, उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए भी यह आसन सही नहीं है। उन्हें इसके नुकसान झेलने पड़ सकते हैं। एसिडिटी से पीडि़त लोगों के लिए भी यही सलाह दी जाती है कि वह इसे न करें।

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