स्वास्थ्य

कम सोने से सिकुड़ने लगता है दिमाग, हो सकती हैं कई गंभीर बीमारियां

रिसर्च बताती है कि अगर आप रोजाना शरीर की जरूरत से कम नींद लेते हैं, तो आपका दिमाग सिकुड़ने लगता है। नींद न आने की समस्या को अनिद्रा या इन्सोम्निया (Insomnia) कहा जाता है। आजकल युवाओं में ये समस्या काफी देखने में मिलती है।

नैेशनल स्लीप फाउंडेशन के अनुसार टीनएज में आपको 8-10 घंटे की नींद जरूरी है, जबकि 20 साल से बड़े लोगों यानी युवाओं के लिए रोजाना 7-8 घंटे की नींद बहुत जरूरी है। अगर कई बार आप किसी कारण से कम भी सोते हैं, तो रोजाना कम से कम 6 घंटे की नींद बहुत जरूरी है। लंबे समय तक कम नींद लेना आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।

क्या है अनिद्रा
अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति पूरी रात बिस्तर पर करवटें बदलता रहता है। बेचैनी, करवटें बदलना, बार-बार नींद खुल जाना, बीच रात में नींद टूटने के बाद दोबारा न आना, आदि अनिद्रा रोग के लक्षण माने जाते हैं। समान्यतः अनिद्रा रोग तीन प्रकार का होता है, क्षणिक अनिद्रा, अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक।

क्षणिक अनिद्रा- इस समस्या में कोई व्यक्ति रात को ठीक से सो नहीं पाता। यह समस्या 2 से 3 रातों तक ही अपना असर दिखाती है। प्राय: इस रोग से कोई व्यक्ति तभी ग्रस्त होता है, जब उसे अचानक कोई बड़ी खुशी मिल गई हो या फिर तनाव। इसके अलावा उत्तेजना, बीमारी एवं सोने के तरीकों, यहां तक कि बिस्तर आदि के कारण भी यह समस्या हो सकती है।

अल्पकालिक अनिद्रा- इस अनिद्रा में यह समस्या थोड़ी गंभीर होती है, क्योंकि इसमें व्यक्ति लगातार 2 से 3 हफ्तों तक ठीक से सो नहीं पाता। व्यवसाय में बदलाव, तलाक, कोई गंभीर बात या बीमारी, आर्थिक परेशानी अथवा किसी करीबी की मृत्यु आदि इस विकार के प्रमुख कारण होते हैं। इस समस्या के लिए हमारा भोजन और दिनचर्या भी कफी हद तक जिम्मेदार हैं।

क्यों नहीं आती रात में नींद?
नींद न आने के कई कारण हो सकते हैं। इसकी वजह से सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ने लगता है। मानसिक तनाव, अधिक क्रोध, अधिक उत्तेजना, कब्ज, धूम्रपान, चाय-कॉफी का अत्यधिक सेवन, आवश्यकता से कम या अधिक खाना या गरिष्ठ मसालेदार भोजन का सेवन करना आदि इसके कारण हो सकते हैं।

क्या कहती है रिसर्च?
एक शोध में दावा किया गया कि अनिद्रा की बीमारी से व्यक्ति का दिमाग सिकुड़ सकता है। यूनिवर्सिटी आफ कैंब्रिज के प्रमुख शोधकर्ता इलिमैरीजी अल्टेना के मुताबिक अनिद्रा रोग मस्तिष्क के ‘वायटल ग्रे मैटर’ में कमी के कारण होता है। यह ग्रे मैटर मस्तिष्क और शरीर की गतिविधयों को नियंत्रित करता है। ये शोध प्रसिद्ध जर्नल Neurology में छापा गया है।

अनिद्रा से पीड़ित लोगों में, निर्णय लेने में मददगार व समझाने वाले गेर मैटर का घनत्व कम हो जाता है। इस शोध से अनिद्रा के नए उपचार का मार्ग भी प्रशस्त हुआ था। इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने अनिद्रा रोगियों के मस्तिष्क की तुलना सामान्य नींद लेने वालों से की थी और पाया था कि अनिद्रा से पीड़ित लोगों में सबसे ज्यादा गे्र मैटर घनत्व का नुकसान हुआ।

अनिद्रा का उपचार
अनिद्रा से बचने के कई उपाए हैं। यदि पूरी नींद नहीं ले पा रहे हैं तो कही न कही इसमें हमारे भोजन की भी भूमिका होती है। कई शोध इस बात की पुष्टी करते हैं कि हम संतुलित आहार नहीं लेते हैं, तो अनिद्रा की समस्या होती है। अतः भोजन को सही कर इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। भोजन में ज्यादा शक्कर, तली चीजें, चर्बीयुक्त पदार्थ, ज्यादा मसालेदार भोजन, चाय-कॉफी व अल्कोहल इत्यादि का सेवन न करें। व पौष्टिक भोजन लें।

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