दस्तक-विशेष

कश्मीर की त्रासदी

प्रसंगवश : ज्ञानेन्द्र शर्मा 
kashmir kee trasadiपिछली आठ जुलाई को एक मुठभेड़ में आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर के जो हालात हुए हैं, उनके बाद उसे 7 जुलाई के हाल में वापस आने को पता नहीं कितना समय लगेगा। जितना भी समय लगे, पुराने हालात बहाल होना आसान नहीं है। मैं इस घटना के 15 दिन पहले कश्मीर में था, सब तरफ शांति थी, होटल लबालब भरे हुए थे, हाउसबोट, शिकारे मेहमानों से लकदक थे, गुलमर्ग से लेकर पहलगाम तक वाहनों की आमद-दरफ्त चरम पर थी, घाटी में उसके पर्यटन स्थलों पर रौनक थी, चहल पहल थी। हमने अपने टैक्सी वाले से कहा, भाई कश्मीर आने से पहले डर लग रहा था लेकिन यहां आकर दिल खुश हो गया। वह बोला, देख लीजिए कहीं कुछ गड़बड़ नहीं है, बस मीडिया वाले उल्टा सीधा दिखाते हैं। लेकिन कुछ ही समय में घटनाक्रम ऐसा बदला कि आम लोगों को आनन फानन वहां से भागना पड़ा। हमारा टैक्सी वाला कह रहा था- देखिए जनाब यही 4-5 महीने तो हमारे कमाने के दिन होते हैं। इन्हीं महीनों में हम जो कमा लेते हैं, उसी से साल भर गुजारा होता है। बरफ पड़ने लगती है तो बहुत कम मुसाफिर आते हैं, हालॉकि अक्टूबर के बाद वादियों में अलग किस्म की रंगत आ जाती है। सेव के बागान हरे से लाल हो जाते हैं, तरह-तरह के फूल खिल जाते हैं, ट्यूलिप के बागों में रौनक आ जाती है। मौसम गुलाबी ठण्डक से खुशगवार हो जाता है। लेकिन उसके बाद चार महीने सब कुछ ठप हो जाता है।
अभी टैक्सी वाला मिलता तो कहता, पता नहीं किसकी नजर लग गई साहेब। हम लोगों का बहुत नुकसान हो गया। ट्रैवल एजेंसियां ठप पड़ी हैं क्योंकि बुकिंग नहीं हो रही हैं और जो थीं, वे कैंसिल हो गई हैं। होटलों को भारी घाटा हो रहा है। घोड़े वाले अपने घोड़ों को खाली टहलाने और दाना खिलाने को मजबूर हैं। पर्यटन से जुड़े तमाम स्थल सूने पड़े हैं सो उनसे जुड़े कई तरह के कारोबारियों को नुकसान हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों से ज्यादा पर्यटकों ने इस बार घूमने के लिए कश्मीर का रुख किया था लेकिन अब कुछ उलट-पुलट हो गया है। लेकिन बहुत से लोग अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। वे मानते हैं कि अब कुछ दिनों में सामान्य हालात वापस आएंगे और इसके साथ ही रौनक भी लौटेगी लेकिन वह बात तो अब नहीं होगी। 7 जुलाई और उसके पहले गर्मिर्यों में जो गहमागहमी थी, वह अब इस साल तो होने से रही। कश्मीर की वादियां कितने दिन और वीरान रहती हैं, कोई नहीं जानता। हां, यह सब कोई चाहता है कि जल्द से जल्द हालात सुधरें और ऐसा हो कि धरती पर बसे इस स्वर्ग से फिर से लोग रूबरू हों।

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