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कार्तिक पूर्णिमा को काशी के मंदिर में प्रकट होते हैं शनिदेव, दर्शन करने से मिलती है ग्रह दोषों से मुक्ति

ज्योतिष डेस्क : उत्तराखंड में कई प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर है। उन्हीं मंदिरों में से एक शनिदेव का मंदिर उत्तरकाशी जिले के गांव खरसाली में स्थित है। शनिदेव का प्राचीन मंदिर समुद्र तल से करीब 7000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि मंदिर में साल में एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन शनिदेव प्रकट होते हैं, कहा जाता है की इस दिन शनिदेव के ऊपर रखे घड़े या कलश खुद ही बदल जाते हैं। ये कैसे होता है इस बारे में कोई नहीं जानता। मान्यता के अनुसार जो भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आता है उसे शनिदोष से मुक्ति मिलती है। कथाओं के अनुसार बताया गया है की मंदिर में दो बड़े फूलदान रखे हैं जिनको रिखोला और पिखोला कहा जाता है। इस फूलदान को जंजीर से बांध के रखा जाता है। क्योंकि कहानी के अनुसार पूर्णिमा के दिन ये फूलदान यहां से चलने लगते हैं और चलकर नदी की ओर जाने लगते हैं। खरसाली में यमनोत्री धाम भी है जो की शनि धाम से करीब 5 किलोमीटर दूर है।

यमुना नदी को शनिदेव की बहन माना जाता है। कहा जाता है कि हर साल अक्षय तृतीय पर शनि देव अपनी बहन यमुना से यमुनोत्री धाम में मुलाक़ात करके खरसाली लौटकर आते हैं। यहां प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यह स्‍थान पांडवों के समय का माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा करवाया गया था। इस पांच मंजिला मंदिर के निर्माण में पत्थर और लकड़ी का उपयोग किया गया है। इसीलिए ये बाढ़ और भूस्‍खलन से सुरक्षित रहता है। मंदिर में शनिदेव की कांस्य मूर्ति सबसे ऊपर वाली मंजिल पर स्‍थापित है। मंदिर में एक अखंड ज्योति भी मौजूद है। ऐसी मान्‍यता है कि इस अखंड ज्योति के दर्शन मात्र से ही जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं।

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