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कुम्भ में लोगों की असीम आस्था : राज्यपाल

राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में कुम्भ लोगो लाॅन्च किया गया

लखनऊ : प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि कुम्भ में लोगों की असीम आस्था है, जो उन्हें संगम तट पर खींचकर लाती है। उन्होंने कहा कि यह विश्व का सबसे बड़ा आस्था पर आधारित श्रद्धालुओं का समागम है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों की संख्या में लोग शान्तिपूर्ण ढंग से भाग लेने आते हैं। कुम्भ की इस महत्ता के मद्देनजर यूनेस्को ने भी इसे ‘इन्टैन्जिबिल कल्चरल हेरिटेज’ का दर्जा दिया है। इससे भारत का सांस्कृतिक संदेश दुनिया तक पहुंचेगा। राज्यपाल ने यह विचार आज यहां राजभवन में आयोजित कुम्भ लोगो लाॅन्च, यू0पी0 टूरिज्म की टैगलाइन ‘यू0पी0 नहीं देखा तो इण्डिया नहीं देखा’ के अनावरण तथा ओ0एस0टी0एस0 पोर्टल के शुभारम्भ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कुम्भ को पहचान मिलने से दुनिया को भारत की संस्कृति को समझने में आसानी होगी। राज्य सरकार कुम्भ को सफल बनाने और पर्यटन के उद्देश्य से इसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के लिए सतत प्रयास कर रही है। इसके दृष्टिगत कुम्भ मेला प्राधिकरण की स्थापना की गयी। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन की प्रत्याशा में सभी तैयारियां की जा रही हैं, ताकि श्रद्धालुओं को कोई कठिनाई न हो। उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रयाग (इलाहाबाद) में होने वाला कुम्भ-2019 अत्यन्त सफल आयोजन होगा और इससे उत्तर प्रदेश की एक नई पहचान बनेगी।

कुम्भ को पूरी भव्यता से आयोजित करने का अवसर ‘उत्तर प्रदेश’ को मिला है और राज्य सरकार इसमें कोई कमी नहीं आने देगी : मुख्यमंत्री

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज का यह कार्यक्रम कुम्भ-2019 को दुनिया भर में ‘यूनीक ईवेंट’ के रूप में प्रस्तुत करने और इसके प्रचार-प्रसार के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। कुम्भ-2019 के लोगो के लाॅन्च से श्रद्धालुओं को इससे जुड़ने में आसानी होगी। साथ ही, पोर्टल से उन्हें पर्यटन सम्बन्धी सभी प्रकार की सूचनाएं आसानी से मिल सकेंगी। यूनेस्को द्वारा कुम्भ को मान्यता देने के सम्बन्ध में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का धन्यवाद देते हुए कहा कि यह उनके अथक प्रयासों से ही सम्भव हो सका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 में आयोजित होने वाले कुम्भ को पूरी भव्यता और दिव्यता से आयोजित करने का अवसर ‘उत्तर प्रदेश’ को मिला है और राज्य सरकार इसमें कोई कमी नहीं आने देगी। उन्होंने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति पूर्ण है और वह पूर्णता से ही सम्पूर्ण सृष्टि को देखती है। इसीलिए 6 वर्ष पर आयोजित होने वाले आयोजन को ‘कुम्भ’ और 12 वर्ष पर आयोजित होने वाले आयोजन को ‘महाकुम्भ’ का नाम दिया गया है। कुम्भ का आयोजन प्रयागराज में संगम के तट पर होता है। संगम को त्रिवेणी कहा जाता है। इसका ऐतिहासिक महत्व है। कुम्भ में स्नान करने पर श्रद्धालु स्वयं को धन्य मानते हैं।

इससे पूर्व कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि प्रयाग में संगम पर स्नान करने से मोक्ष मिल जाता है। कुम्भ ऐसा आयोजन है, जिसमें करोड़ों लोग प्रचलित मान्यताओं/ आस्थाओं के मद्देनजर शान्तिपूर्ण ढंग से एकत्रित होते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कुम्भ-2019 का सफल आयोजन करके इसकी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्राण्डिंग करेगी। राज्य सरकार का प्रयास उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर प्रमुखता के साथ स्थापित करने का है। अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रमुख सचिव पर्यटन ने कहा कि उत्तर प्रदेश अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। प्रयाग (इलाहाबाद) में आयोजित होने वाला कुम्भ मेला विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इस मेले की गणना विश्व के विशालतम श्रद्धा समागम के रूप में होती है। कुम्भ आयोजन की रूप रेखा तैयार करना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। इसी के दृष्टिगत आज यहां इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डाॅ0 दिनेश शर्मा सहित राज्य सरकार के मंत्रिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा मीडिया के प्रतिनिधि मौजूद थे।

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