उत्तराखंड

केदारनाथ के स्कूल बनाये जा रहे साउंडप्रूफ

देहरादून : केदारनाथ से करीब 45 किलोमीटर दूर नारायणकोटि के गांव भेटसेम में नन्ही बच्ची खुशबू को अक्सर आसमान में टकटकी लगाए ऊपर उड़ते हैलीकाप्टर को देखना पड़ता था।

कुछ महीने पहले तक हैलीकाप्टर की जोरदार आवाज के कारण खुशबू की भौंहें तन जाती थीं। दरअसल, उसका गांव उस रूट पर पड़ता था जिस पर हैलीकाप्टर के माध्यम से केदारनाथ धाम के श्रद्धालुओं को ले जाया जाता था। मगर अब वह जाते हुए हैलीकाप्टर को देख कर खुशी से हाथ हिलाती है और फिर उछलती-कूदती अपनी नवनिर्मित कक्षा में चली जाती है जिसकी खिड़कियों में साऊंडप्रूफ (ध्वनिरोधी) शीशे फिट किए गए हैं। अब खुशबू को अपने स्कूल में हैलीकाप्टरों का शोर नहीं सुनना पड़ेगा। उत्तराखंड की पहाडिय़ों में अपनी तरह के इस अनूठे प्रयास के तहत रुद्रप्रयाग जिले के 9 सरकारी स्कूलों की कक्षाओं को साऊंडप्रूफ बनाया जा रहा है। ये स्कूल 6 महीने लम्बी चलने वाली चारधाम यात्रा के उस रूट पर पड़ते हैं जिस पर हैलीकाप्टर यात्रियों को लेकर केदारनाथ जाते हैं। हैलीकाप्टर का संचालन करने वाली कम्पनी की ओर से ही स्कूलों को साऊंडप्रूफ बनाया जा रहा है। दरअसल केदारनाथ के पास स्थित फाटा, गुप्तकाशी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग तथा नारायणकोटि जैसे स्थानों के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों ने शिकायत की थी कि उन्हें इन हैलीकाप्टरों की वजह से काफी शोर झेलना पड़ता है, जो दिन में कम से कम 60 चक्कर लगाते हैं। उनकी आवाज में शिक्षकों की आवाज दब कर रह जाती है। बच्चों का कहना था कि इससे उन्हें पढ़ाई पर ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई होती है। बच्चों की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने समाधान निकालने के प्रयास के लिए हैलीकाप्टर कम्पनियों से सम्पर्क साधा। कई दौर की बातचीत के बाद इन कम्पनियों ने उन 9 स्कूलों के 18 कमरों को साऊंडप्रूफ बनाने की हामी भरी, जो सर्वाधिक प्रभावित थे। रुद्रप्रयाग के जिला मैजिस्ट्रेट मंगेश घिलडियाल ने कहा कि हैलीपैड के पास के स्कूलों के बच्चों को यह समस्या अधिक थी। शोर इतना होता था कि बच्चे क्लासरूम में बैठ नहीं सकते थे। मंगेश ने बताया कि उन्होंने अंतत: हैलीकाप्टर आप्रेटर्स को उनके सी.एस.आर. (कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) फंड से साऊंडप्रूफ क्लासरूम बनाने हेतु धन उपलब्ध करवाने के लिए मना लिया। उन्होंने बताया कि फिलहाल इन 9 स्कूलों में से प्रत्येक की 2-2 कक्षाओं को साऊंडप्रूफ बनाया जा रहा है। एक कमरे को साऊंडप्रूफ बनाने में करीब डेढ़ लाख रुपए की लागत आती है। हैलीकाप्टर आप्रेटर्स के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे इस बात को सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि विद्यार्थियों को दोबारा शिकायत करने का मौका न मिले। इस परियोजना में शामिल एक कम्पनी आर्यन एविएशन के अधिकारी कर्नल वी.आर. शर्मा ने बताया कि भेटसेम के प्राथमिक स्कूल की कक्षा में पुरानी खिड़कियों को नई आधुनिक खिड़कियों से बदला गया है। इसके अलावा छत भी नए सिरे से तैयार की गई है, जिस पर कंक्रीट की दो परतें डाली गई हैं। इस वजह से अब बाहर का शोर क्लासरूम में काफी कम आएगा। इस प्रयास से शिक्षकों को भी राहत मिली है। सिरसी के सरकारी प्राथमिक स्कूल के हैडमास्टर संजय प्रसाद ने कहा कि गत कुछ वर्षों से कक्षाएं लेना बहुत कष्टदायक बन गया था। बच्चों को सुनाने के लिए उन्हें चिल्लाना पड़ता था। अब सब ठीक है। भेटसेम के जिस प्राथमिक स्कूल में खुशबू पढ़ती है, के विद्यार्थियों का कहना है कि अब उन्हें उनकी नई कक्षा में पढऩे में मजा आ रहा है, जिसका उद्घाटन कुछ दिन पहले ही हुआ है। अब उन्हें स्कूल आना अच्छा लगता है।

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