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कैलाश मानसरोवर यात्रा में 96 और तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाला गया, 1300 अभी भी फंसे हैं

खराब मौसम के चलते इसबार कैलाश मानसरोवर जाने वाले करीब डेढ हजार यात्री सिमीकोट, हिलसा और तिब्बत में फंसे हुए हैं। नेपाल के रास्ते कैलाश-मानसरोवर जा रहे तीर्थयात्रियों को नेपाल सरकार की मदद से निकाला जा रहा है। काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने बयान जारी कर बताया है कि आज सुबर करीब 96 तीर्थयात्रियों को सिमीकोट से निकाला गया है जबकि 1300 यात्री अभी भी सिमीकोट, हिलसा और तिब्बत में फंसे हुए हैं। बता दें कि इस यात्रा के दौरान मंगलवार को दो के मारे जाने की खबर है जिन्हें हेलिकॉप्टर से वापस लाया जा रहा है। बता दें कि इससे पहले 150 यात्रियों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।  

कैलाश मानसरोवर यात्रा में 96 और तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाला गया, 1300 अभी भी फंसे हैंमंगलवार को काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने बयान जारी करते हुए कहा कि हिलसा से सिमीकोट गए 150 तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। हिलसा में बुनियादी ढांचे की कमी के चलते बचाव कार्यों में दिक्कतें आ रही थीं, वहीं सिमीकोट में बोर्डिंग, आवास, संचार और  चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। 

दूतावास ने बताया कि उन्होंने स्थानीय अथॉरिटी और फ्लाइट ऑपरेटर्स से संपर्क करके 9 कॉमर्शियल उड़ानों के जरिए 158 यात्रियों को सिमीकोट से नेपालगंज सुरक्षित निकाल लिया। नेपालगंज में सभी तरह की चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हैं और 3 घंटे की सड़क यात्रा के जरिए  लखनऊ पहुंचा जा सकता है। वहीं दूतावास नेपाल सेना के साथ भी संपर्क में हैं, ताकि मौसम में सुधार होते ही हेलीकॉप्टर के जरिए उड़ान भरी जा सके। 

दूतावास ने अपने बयान में कहा कि स्पेशल हेलीकॉप्टर्स के जरिए 2 तीर्थयात्रियों के शवों को भी काठमांडू से नेपाल लाया जा रहा है। इनमें केरल की लीला महेंद्र नारायण (56) की 2 जुलाई को सिमीकोट में शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने की वजह से मौत हो गई थी, वहीं सत्या लक्ष्मी नारायण सुब्बा राव की 3 जुलाई को तिब्बत में हार्ट अटैक से मौत गई थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सिमीकोट में 525, 550 हिलसा और तिब्बत की तरफ 500 तीर्थयात्री फंसे हुए थे, जिनमें से 150 को मंगलवार को निकाल लिया गया था। भारतीय दूतावास वहां फंसे सभी तीर्थयात्रियों के संपर्क में हैं और उन्हें हर संभव मदद उपलब्ध कराई जा रही है, साथ ही उनके वहां रहने और खाने-पीने की बेहतर व्यवस्था की जा रही है।

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