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कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के मशहूर बावखलेश्वर मंदिर के तोड़ने का रास्ता साफ

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के मशहूर बावखलेश्वर मंदिर के तोड़ने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, मंदिर से जुड़े ट्रस्ट ने राज्य सरकार से अपील की है कि वे धार्मिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए कोई पॉलिसी बनाएं।

नई दिल्ली: अधिकारियों ने महाराष्ट्र के नवी मुंबई स्थित प्रसिद्ध बावखलेश्वर मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया है। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के एक हफ्ते बाद आया है। अदालत ने मंदिर ट्रस्ट की उस स्पेशल लीव पेटिशन को खारिज कर दिया, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा मंदिर और अन्य अतिक्रमण को तोड़ने के आदेश को चुनौती दी गई थी। यह मंदिर महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलमेंट कॉपरेशन (MIDC) की जमीन पर है। वर्ष 2013 में वाशी के संदीप ठाकुर नामक सामाजिक कार्यकर्ता ने मंदिर ट्रस्ट के खिलाफ एक पीआईएल दाखिल की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि ट्रस्टी और एनसीपी नेता गणेश नाइट के रिश्तेदार संतोष टंडेल ने गैरकानूनी तरीके से तीन मंदिर बनवाए हैं। पीआईएल में दावा किया गया था कि इन अवैध निर्माण की वजह से एमआईडीसी की 1.4 लाख स्क्वायर मीटर जमीन पर अतिक्रमण है। वहीं, एमआईडीसी के सूत्रों के मुताबिक, इस केस से जुड़े सभी डिटेल्स एमआईडीसी के सीईओ को दे दिए गए हैं। एक अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है, इसलिए हमें मंदिर तोड़ने के हाई कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा। इसके लिए आदेश दे दिए गए हैं।’ बीते हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने बावखलेश्वर मंदिर ट्रस्ट की याचिका को खारिज किया है। इसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के 2013 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें सरकारी जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया गया था। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि, “इस अतिक्रमण को हटाने के लिए भारी पुलिस बंदोबस्त की जरूरत होगी।” बता दें कि अतिक्रमण वाले क्षेत्र में मंदिर के अलावा वे निर्माण भी आते हैं, जिन्हें सौंदर्यीकरण के नाम पर बनाए गए हैं। वहीं, ट्रस्ट ने सरकार से अपील की थी कि वे इन अतिक्रमण को कानूनी मान्यता दे दें। ट्रस्ट का यह भी दावा है कि मंदिर 2009 के पहले बना है। इस बीच, ठाकुर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने जानना चाहा है कि हाई कोर्ट के आदेश को लेकर राज्य सरकार और एमआईडीसी ने इस मामले में क्या कदम उठाए हैं। इस मामले में सुनवाई 24 अक्टूबर को होनी है। वहीं, मंदिर से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उन्होंने राज्य सरकार से अपील की है कि वे धार्मिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए कोई पॉलिसी बनाएं।

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