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क्या आपको भी है किडनी स्टोन..? तो इन 5 बातों का रखें ख्याल

किडनी हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है। हालांकि प्राकृतिक तौर पर ही किडनी बहुत मजबूत अंग होता है। लेकिन कई बार हम अपनी कुछ गलतियों और लापरवाही की वजह से किडनी की समस्याओं की चपेट में आ जाते हैं। किडनी की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ब्लड फिल्टर के रूप में काम करने वाले इस ऑर्गन के बिना व्यक्ति का जीवित रहना मुश्किल है। ऐसे में अगर आप हमेशा स्वस्थ रहना चाहते है तो किडनी की देखभाल बहुत जरूरी है। हमारे शरीर में किडनियों का जोडा पीठ के मध्य भाग में पसलियों के ठीक नीचे स्थित होता है। इनका आकार हमारी मुट्ठी के बराबर होता है और ये देखने में राजमा जैसी लगती हैं।क्या आपको भी है किडनी स्टोन..? तो इन 5 बातों का रखें ख्याल

किडनी स्टोन है बड़ी बीमारी

किडनी जब खून को फिल्टर करती है तो उसमें से सोडियम और कैल्शियम के अलावा अन्य मिनरल्स के अवशेष बारीक कणों के रूप में निकल कर यूरेटर के माध्यम से ब्लैडर तक पहुंचते हैं, जो यूरिन के साथ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन जब कभी-कभी खून में इन तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है तो ये किडनी में जमा होकर रेत के कणों या पत्थर के टुकडों जैसा आकार ग्रहण कर लेते है और इनसे ब्लैडर तक यूरिन पहुंचने के रास्ते में रुकावट आती है।

किडनी खराब होने के लक्षण

जब भी किसी की किडनी में कोई समस्या पैदा होती है उसके लक्षण साफ तौर पर शरीर में दिखते हैं। वो अलग बात है कि व्यक्ति कभी अंजाने में और कभी लापरवाही के चलते इन्हें नजरअंदाज कर देता है। आइए जानते हैं क्या हैं किडनी खराब होने के लक्षण। पेट में तेज दर्द, बार-बार टॉयलेट जाना, पेशाब करते वक्त हल्का दर्द होना, पेशाब के साथ ब्लड आना, कंपकंपी के साथ बुखार, भूख न लगना और जी मिचलाना आदि किडनी खराब होने के मुख्य लक्षण हैं।

किडनी स्टोन के उपचार

कई बार किडनी में स्टोन की समस्या दवाओं से भी सही होने का नाम नहीं लेती। लेकिन अगर समस्या गंभीर न हो तो यह दवाओं से ही ठीक हो जाती है। बावजूद इसके कई बार किडनी में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। जिसके चलते स्टोन सख्त हो जाते हैं और उन्हें निकालने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है। हालांकि, आजकल सर्जरी के अलावा लैप्रोस्कोपी, यूरेट्रोस्कोपी जैसी कई तरह की नई तकनीकें विकसित की जा चुकी हैं, जिनकी मदद से स्टोन को आसानी से बाहर निकाला जा सकता है और मरीज को कोई तकलीफ भी नहीं होती।

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