दस्तक-विशेष

क्या हरियाणा सरकार रोक पायेगी पेपर लीक घोटाले?

हाल की जज भर्ती परीक्षा (16 जुलाई, 2017) के पेपर लीक घोटाले में हाईकोर्ट के ही रिक्रूटमेंट रजिस्ट्रार डॉ. बलविंदर शर्मा की संदिग्ध भूमिका ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को भी सोचने को मजबूर कर दिया। हरियाणा सिविल जज भर्ती परीक्षा के पेपर सेट कराने से रिजल्ट निकालने तक का सारा जिम्मा डॉ. शर्मा का था तथा 2015 में पंजाब में जजों की भर्ती भी इन्होंने ही करवाई थी। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की रिक्रूटमेंट कोर्ट क्रिएशन कमेटी ने हरियाणा जज भर्ती परीक्षा को स्क्रैप करने की सिफारिश की थी। कमेटी ने जांच में पाया कि कुछ परीक्षार्थियों को पेपर से पहले ही प्रश्न पत्र का पता चल गया था।

चंडीगढ़ से जगमोहन ठाकन

हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में संचालित वर्तमान भाजपा सरकार क्या केवल पेपर लीक सरकार बन कर रह गयी है? भले ही हरियाणा की भाजपा सरकार ईमानदारी, कुशल प्रशासन तथा भ्रष्टाचार मुक्त हरियाणा के कितने ही दावे करती रहे, परन्तु आज सरकार द्वारा की जा रही कंडक्टर से लेकर जज तक की भर्ती परीक्षाओं के पेपरों की सरे आम ‘लीकेज’ व बिक्री के मामले सरकार की विफलता के प्रतीक बन कर उसके माथे पर कलंक दाग के रूप में उभरते स्पष्ट नजर आ रहे हैं, और सरकार ना जाने अपनी किस विवशता की खीज में कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है। अगर यों ही भर्ती परीक्षाओं के पेपर बिकते रहे तो कैसे आम बेरोजगार एवं गरीब परिवार का अभ्यर्थी इन परीक्षाओं में कम्पीट कर पायेगा? उसके नौकरी पाने के दरवाजे तो हमेशा के लिए अवरुद्ध हो जांयेंगे और केवल और केवल पैसे के बलबूते पर ही नौकरी पाने वाले व्यक्ति ही सफल हो पायेंगे। क्या पैसे के दम पर नौकरी पाने वाले जजों से आम आदमी न्याय की आस कर पायेगा? फिर तो राम रहीम गुरमीत जैसे लोग कभी भी सजा नहीं पाएंगे। कैसे आगे आयेंगे ईमानदारी, निष्पक्षता एवं दबंगता के प्रतीक न्यायमूर्ति जग दीप सिंह जैसे लोग? आखिर क्यों नहीं रुक पा रहे विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक घोटाले? क्या पेपर लीक करने वाले गैंग सरकार के विजिलेंस तंत्र से ज्यादा तीव्र व प्रभावशाली हैं या सरकारी तंत्र की मिलीभगत चौकड़ी सरकार की तथा कानून की कोई परवाह नहीं करती? क्या उन्हें किसी का कोई भय नहीं है ?
हाल की जज भर्ती परीक्षा (16 जुलाई, 2017) के पेपर लीक घोटाले में हाईकोर्ट के ही रिक्रूटमेंट रजिस्ट्रार डॉ बलविंदर शर्मा की संदिग्ध भूमिका ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को भी सोचने को मजबूर कर दिया। हरियाणा सिविल जज भर्ती परीक्षा के पेपर सेट कराने से रिजल्ट निकालने तक का सारा जिम्मा डॉ शर्मा का था तथा 2015 में पंजाब में जजों की भर्ती भी इन्होंने ही करवाई थी। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की रिक्रूटमेंट कोर्ट क्रिएशन कमेटी ने हरियाणा जज भर्ती परीक्षा को स्क्रैप करने की सिफारिश की थी। कमेटी ने जांच में पाया कि कुछ परीक्षार्थियों को पेपर से पहले ही प्रश्न पत्र का पता चल गया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि रजिस्ट्रार डॉ बलविंदर कुमार शर्मा ने परीक्षा में एक उम्मीदवार सुनीता के साथ एक साल में 760 कॉल या मेसेज एक्सचेंज किये। उल्लेखनीय है कि पिंजौर निवासी एक वकील तथा इसी जज परीक्षा में एक उम्मीदवार रही सुमन ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर कोर्ट को बताया था कि हरियाणा जज भर्ती परीक्षा का पेपर डेढ़ करोड़ रुपये में बिक रहा था और इसकी उसे भी सुशीला नाम की एक लड़की के माध्यम से पेशकश की गयी थी, जो उसके साथ एक कोचिंग संस्थान में कोचिंग ले रही थी। सारी डील सुनीता नाम की एक लड़की, जो हाई कोर्ट के ही रिक्रूटमेंट रजिस्ट्रार डॉ. बलविंदर कुमार शर्मा के संपर्क में थी, द्वारा की जा रही थी जो खुद भी जज परीक्षा की एक उम्मीदवार थी और बाद में वही जनरल केटेगरी की टॉपर भी रही।
हाई कोर्ट ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए शुक्रवार, 15 सितम्बर, 2017 को चंडीगढ़ पुलिस को आदेश दिया है कि एसआईटी बनाकर केस की जांच करवाई जाये।
हरियाणा में नौकरियों की भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी का यह कोई पहला मामला नहीं हैं। हरियाणा के ही एक पूर्व मुख्यमंत्री अपने पुत्र के साथ जेबीटी अध्यापक भर्ती मामले में पहले ही जेल में सजा काट रहे हैं। अगर गत दो वर्षों पर दृष्टिपात करें तो पता चलता है कि वर्ष 2015 में एसआईपीएमटी का पेपर रोहतक से लीक हुआ था। इस पेपर को लगभग 250 लोगों को लीक करवाने की खबरें आई थीं और इसमें औसतन 25 लाख रुपये प्रति व्यक्ति की डीलिंग बताई जा रही है। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा रविवार, 10 सितम्बर, 2017 को हुई कंडक्टर भर्ती परीक्षा में पेपर लीक मामले में हरियाणा पुलिस ने रोहतक जिले के महम निवासी कपिल तथा सुनारियां खुर्द निवासी धरमेंदर को गिरफ्तार किया है, इनके पास से 75 परीक्षार्थियों के एडमिट कार्ड मिले बताये जा रहे हैं और पूछताछ में प्रत्येक से पेपर लीक कराने के लिए 6 लाख रुपये में की गयी सौदेबाजी भी सामने आई बताई जा रही है। हरियाणा आबकारी एवं कराधान विभाग में आबकारी निरीक्षक परीक्षा में भी पेपर लीक कराने का मामला सामने आ रहा है। यानी मामला अंतहीन है।
वर्तमान मीडिया खबरों तथा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी एवं हरियाणा से विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला के आरोपों को अगर सही माना जाए तो खट्टर सरकार की छवि पेपर लीक सरकार की ही बनती जा रही है। 18 सितम्बर, 2017 को जारी एक बयान में सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि तीन वर्ष बीतने के बाद भी हरियाणा के नौजवान के पास ना रोटी है ना रोजगार। नौकरियों में घालमेल और गोलमाल चरम सीमा पर है व भ्रष्टाचार का बोलबाला है। सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में तेरह पेपर लीक घोटाले हो चुके हैं। दूसरी तरफ भाजपा के हरियाणा में मीडिया प्रभारी राजीव जैन इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए उलटे आरोप लगाते हैं-‘भाजपा सरकार ने चौटाला के इनेलो तथा पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकारों द्वारा नौकरी, परीक्षा व साक्षात्कार की प्रक्रिया में लगे माफिया तंत्र को तोड़ने का काम किया है। आज कांग्रेस माफिया तंत्र टूटने से तकलीफ में है। हर भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी करने के तार रोहतक से जुड़े हैं’। उल्लेखनीय है कि रोहतक पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा का गृह क्षेत्र है।
वर्तमान कंडक्टर भर्ती घोटाले पर जैन कहते हैं -‘कंडक्टर परीक्षा का मामला पेपर लीक का नहीं है अपितु फर्जी पेपर बेचने तथा एक सेंटर पर नकल कराने से जुड़ा है’।
क्या भाजपा के मीडिया प्रभारी जैन का यह स्वीकरना कि मामला फर्जी पेपर बेचने तथा एक सेंटर पर नकल कराने का है, वास्तव में यह नहीं बतला रहा कि भर्ती परीक्षाओं में घाल मेल व घोटाले हो रहे हैं। फर्जी पेपरों का बेचना तो और भी गंभीर मामला है। आज पेपर फर्जी बिके हैं कल फर्जी नियुक्ति पेपर बिकेंगें, परसों फर्जी अधिकारी बनकर लोग सड़कों पर आ जायेंगे। कौन रोकेगा इन्हें? क्या यह सरकार की नाकामी नहीं दर्शा रही है। क्या यह सरकार की ड्यूटी नहीं है कि प्रान्त में निष्पक्ष व सुचारू ढंग से जन सामान्य की विश्वसनीयता के साथ कर्मचारियों तथा अधिकारियों की भर्ती हों? किसी भी प्रान्त तथा देश के नागरिक तभी गलत काम करते हैं जब तक उन्हें किसी कड़ी सजा का भय ना हो या सरकार जानबूझकर या अपनी अक्षमता के कारण ऐसे कृत्यों को रोक पाने में नाकामयाब हो। हालांकि भाजपा सरकार की ही पुलिस हाल की कंडक्टर भर्ती में इसे पेपर लीक का मामला मानती है।
पुलिस के अनुसार कंडक्टर भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र धरमेंदर नामक युवक ने परीक्षा दे रहे एक अन्य युवक जींद के कर्मजीत के साथ मिलकर लीक किया था। पुलिस ने धरमेंदर को मौके पर ही दबोचा था और पाया था कि उसके मोबाइल फोन से प्रश्न पत्र व्हाट्स एप द्वारा रोहतक के एक मोबाइल नंबर पर भेजा गया था और रोहतक से धरमेंदर के मोबाइल नंबर पर प्रश्न पत्र के उत्तर भी आने शुरू हो गए थे। पर क्या हरियाणा की भाजपा सरकार इन पेपर लीक घोटालों को रोक पायेगी? या पैसे व सत्ता में पहुंच के बल पर गड़बड़ी करने में माहिर लोग सरकारी पदों पर आसीन होते रहेंगे और प्रान्त की प्रतिभाएं हताशा व निराशा के माहौल में दम तोड़ती रहेंगीं? ल्ल

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