उत्तराखंड

खड़ी चढ़ाई चढ़ हजारों भक्त पहुंचे बाबा केदार के दर

कपाट खुलने के साथ ही केदारनाथ धाम में आस्था का सैलाब उमड़ने लगा है। पहले ही दिन गौरीकुंड से 16 किमी की खड़ी चढ़ाई पैदल तय कर हजारों भक्त केदारनाथ पहुंचे। इनमें ऐसे भक्त भी शामिल थे, जो कपाट खुलने पर हर वर्ष बाबा के दर पर हाजिरी देते हैं। इन भक्तों के कदम तब भी नहीं थमे, जब जून 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ जाने के लिए रास्ता भी नहीं रह गया था। खड़ी चढ़ाई चढ़ हजारों भक्त पहुंचे बाबा केदार के दर

केदारधाम पहुंचे भक्तों का जोश देखने लायक है। कोई बीते एक दशक से लगातार बाबा के दर्शनों को पहुंच रहा है तो कोई दो दशक से। नंदुरबार महाराष्ट्र के 64 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक केडी गिरासे कहते हैं, ‘मैं पिछले 15 वर्षों से कपाट खुलने के मौके पर केदारनाथ आ रहा हूं। आपदा के बाद वर्ष 2014 में भी मैं पूरी टीम के साथ बाबा के दर्शनों को आया था। हालांकि, अब हालात काफी बदल चुके हैं। पैदल रास्ते में खाने-ठहरने की पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं। केदारपुरी में भी रहने के लिए भी पर्याप्त स्थान उपलब्ध है।’ अलवर राजस्थान की 62 वर्षीय गृहणी लक्ष्मी देवी कहती हैं, ‘बीते 11 वर्षों से कपाट खुलने पर मैं परिवार के साथ बाबा के दर्शन कर रही हूं। यहां आकर हमें शांति एवं सुकून का जो अहसास होता है, वह और कहीं संभव नहीं।’ 

अयोध्या के 62 वर्षीय किसान यशोधर सिंह वर्ष 2010 से लगातार केदारधाम आ रहे हैं। कहते हैं, ‘इस बार व्यवस्थाएं बीते वर्ष की तुलना में काफी सुधरी हुई हैं। गौरीकुंड में भी पुराना रास्ता सुचारु होने से यात्रियों को काफी लाभ मिल रहा है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच मार्ग पर दुश्वारियां भी नहीं हैं।’ 

रुद्रप्रयाग निवासी 58 वर्षीय शिक्षक कालिका प्रसाद सेमवाल भी पिछले 35 वर्षों से हर साल कपाटोद्घाटन पर केदारधाम पहुंचते हैं। कहते हैं, आस्था के आगे दुश्वारियों के कोई मायने नहीं। भगवान की राह में मुश्किलें तो होती ही हैं। हालांकि, केदारपुरी में यात्रियों के लिए खाने-ठहरने के पर्याप्त इंतजाम हैं। 

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