दस्तक-विशेष

गए को बाई-बाई, नए का टैम्पो हाई

उर्मिल कुमार थपलियाल
जाहिर है दस्तक देने से पहले ही नए साल ने आपके जीवन में प्रवेश कर ही लिया होगा। अब स्वागत तो करना ही है, चाहे अधमरे मन से किया जाए। संभव है नए साल में वे सभी छप्पर फट गये होंगे, जिन पर पिछले कुछ महीनों से मोदी जी अपनी बांस बल्ली टिकाए थे। जिन मकानों में दरवाज़े नहीं होते वहां भला कैसी दस्तक। सांड़ दस्तक देकर नहीं आते। दूल्हा टुन्न हो, बाराती धुत्त हों, स्वागत तो करना ही पड़ता है। किसी ने पूछा- गए साल में क्या खोया-क्या पाया। अब इसका जवाब क्या दें। नंगे भला क्या खोएं क्या पाएं? अंधे की आंख में काजल पोतने का क्या कोई फायदा हुआ है जो होगा। गए का मतलब पुराने नोट। नए का मतलब नए नोट।
कौन नहीं जानता कि गए साल ने जाते-जाते हमारे गाल पर नोटबंदी की करारी चपत मारी है। नए साल में अगले महीने तक चुनाव हमारे दूसरे गाल पर चपत मारेगा। जनता को और क्या चाहिए। कुछ साल पहले मैंने हर साल नए साल से विनती की थी कि- नए साल हमको ये उम्मीद दे दे। तू सपने न दे पर हमें नींद दे दे। कभी कुछ नहीं मिला। पिछले साल तो लाइन में लगना ही किस्मत में बदा था। इस साल भी छोटे बेटे को लाइन में खड़ा कर दिया है। भाइयों और बहनों भारतीय मतदाता तो वो मासूम गधा है जो लटकती गाजर पसंद करता है। जो भौंकता है वो आदमी नहीं होता और जो सिर्फ भाषण देता है वो कुत्ता नहीं होता। जानवरों में रिश्तेदारी और नैतिकता कहां होती है यार।
नए साल में घूरे के दिन फिरेंगे या नहीं कोई नहीं जानता। इतना जरूर है कि नगर निगम ने कूड़े पर इत्र छिड़कवा दिया है। कुत्ते और सुअर तक बगैर नाक में पट्टी बांधे बिना मजे से विचरण कर रहे हैं। किन्नरों को तो ताली बजाने से ही नेग मिलता है न। भिखमंगे के कटोरे में खोटी चवन्नी हो या हजार पांच सौ के नोट क्या फर्क पड़ता है। हम लोग जूतियां बदल सकते हैं पांव नहीं। के.पी. भाई ने कभी मुझे समझाया था कि अपने पजामे में रहो पहाड़िये कहीं के। अपने बच्चों के आगे ईंटा पत्थर रखवाते रहो मियां। इस देश में ठोकर खाकर ही बच्चे आगे बढ़ते हैं। नए साल की अगवानी में खर्च होते रहो बस। सांप की पीठ सहलाने से वो काटना नहीं छोड़ता। आया समझदानी में। वाकई सरकार की नीयत में कोई खोट नहीं होती। खोट तो जनता की किस्मत में होती है। बकरे के थन को दुहने से क्या फायदा। उसे तो कुर्बानी चाहिए। ईद नजदीक आते ही वह घबराने लगता है। अगले इतिहास में यही तो लिखा जाएगा कि श्री कृष्ण भगवान द्वारा गोवर्धन उठाए जाने की तरह भगवान मोदी ने रातोंरात पूरे भारत को लाइन में खड़ा करवा दिया था। अभी तक वो खड़ा आदमी खड़े-खड़े ही सब कुछ कर रहा है। कुछ तो खड़े खड़े डिजिटल और कैशलैस हो गए हैं। सुना है नए साल सब काले कलूटे बिल्कुल गोरे हो जाएंगे। गोरे मुख पर ही कलंक फबता है।
मुझे पक्का यकीन है कि नया साल नए गुल खिलाएगा। आसमान से धान बरसेंगे। हर घर में सोने की चिड़िया चहकेगी। वृद्ध महिलाओं के मुहांसे निकलने लगेंगे। लोगबाग दही मलकर दूध से नहाएंगे। पाकिस्तान में राम मंदिर बनेगा। सारा चीन बौद्ध भिक्षु बन जाएगा। अमरीका में आर.एस.एस. की शाखाएं खुलेंगी। भारत मोगाम्बो स्टाइल में विश्वगुरु हो जाएगा। भीख का लेनदेन भी ऑन लाइन होगा। नोटबंदी को रामराज कहा जाएगा। नए अवतार का उदय होगा। भाजपा को वोट देना धर्म की तरह अनिवार्य हो जाएगा। भाड़े पर विपक्षी तैयार किए जाएंगे ताकि फर्जी लोकतंत्र बना रह सके।
मुझे लगता है कि सरकारी आदेशों के अंतर्गत नए साल में बच्चे पैदा होते ही नर्स से नैन मटक्का करने लगेंगे। इस साल चोरी करते हुए कोई चोर खांसेगा नहीं ताकि पकड़ा न जा सके। सब जानते हैं कि संन्यासी जन्मजात नहीं होता। भोग विलास के बाद ही संन्यास लिया जाता है। चतुर छुटभइये ही नेता का विनाश करते हैं। मुसम्मी और नींबू का गला दबाने से ही रस निकलता है। जनता का जूस भी ऐसे ही निकाला जाता है, हम सरकार को चाहे जितना हड़काएं। सूत के डोरे में एेंठन कहां होगी। रिश्वत मिलने पर ही दरोगा अपनी मूंछ मरोड़ता है। वकील झूठ न बोले तो खाएगा कमाएगा क्या। अब नए साल से क्या-क्या मांगें। मैंने कल सपना देखा कि नए महाभारत में द्रौपदी जाग गई है। चीर हरण होते ही नई द्रौपदी ने क्रोधित होकर दुशासन का वध कर डाला। इसके बाद तो मेरी आंख खुलनी ही थी। 

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