उत्तराखंड

गांव में शौचालयों के बाहर लिखा है घर के मुखिया का नाम

देहरादून : नरेंद्र मोदी की ‘देवालय से पहले शौचालय’ की परिकल्पना को भारत-चीन सीमा से लगा उत्तरकाशी जिले का जनजातीय गांव बगोरी साकार कर रहा है। यह ऐसा गांव है, जहां आपको किसी के घर का पता पूछने के लिए भटकना नहीं पड़ता। बल्कि घर के निकट बने शौचालय के दरवाजे पर अंकित घर के मुखिया का नाम पढ़कर आप आसानी से उस घर में पहुंच सकते हैं। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर भागीरथी नदी के किनारे बसा है बगोरी गांव। यहां जाड़-भोटिया जनजाति के 250 परिवार निवास करते हैं। हर्षिल से डेढ़ किमी की दूरी पर स्थित इस गांव को जाने वाले रास्ते से ही स्वच्छता की झलक दिखने लगती है। इस गांव में साफ-सुथरे रास्ते से होकर जैसे ही गांव के करीब पहुंचते हैं, पर्यटकों व अतिथियों के लिए बना सार्वजनिक शौचालय नजर आता है। गांव में प्रवेश करते ही चौड़े पत्थरों से बने रास्ते और जल निकासी के लिए बनाई गई नालियां दिखाई देती हैं। गांव में मकानों की फेहरिस्त शुरू होते ही हर घर का शौचालय दिख जाता है। इन शौचालयों के दरवाजे पर संबंधित परिवार के मुखियाओं के नाम लिखे गए हैं। इससे आसानी पता चल जाता है कि कौन-सा घर किसका है। स्वच्छता की इस अनूठी पहल के कारण बगोरी गांव आज उत्तरकाशी जिले में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। इसके लिए बगोरी को उत्तरकाशी जिले का पहला ‘गंगा ग्राम’ भी घोषित किया गया है। ग्राम पंचायत बगोरी के प्रधान भवान सिंह राणा बताते हैं कि गांव को स्वच्छ बनाने में हर ग्रामीण की भागीदारी निभाई है। गांव के सभी 250 परिवारों के पास अपना शौचालय है और उस शौचालय में पानी की भी व्यवस्था है। बताया कि 40 फीसद शौचालयों के निर्माण में स्वजल परियोजना ने ग्रामीणों का सहयोग किया।

सामूहिक राय पर सभी परिवारों ने शौचालयों के बाहर घर के मुखिया का नाम अंकित किया है। साथ ही गांव के निकट कूड़ा निस्तारण केंद्र भी बनाया गया है। जिसमें ग्रामीण घरों से निकलने वाले जैविक-अजैविक कूड़े को अलग-अलग डालते हैं। प्रधान भवान सिंह कहते हैं कि अब गांव में चैन देवता, रिंगाली देवी व कचड़ू देवता के मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य किया जाना बाकी है। बगोरी गांव में पर्यटन विभाग ने पठालों (स्थानीय चौड़े पत्थरों) से रास्ते का निर्माण कराया है। प्रधान भवान ङ्क्षसह ने बताया कि पहले पर्यटन विभाग गांव के रास्तों पर टाइल्स लगा रहा था। लेकिन, ग्रामीणों के विरोध करने पर पठालों से रास्ता बनाया गया, जो बेहद खूबसूरत लगता है। बीते सात नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बगोरी गांव में स्थित सेना के कैंप में दीपावली मनाने आए थे। तब बगोरी में सेना के हेलीपैड से दूर खड़े ग्रामीणों को पास बुलाकर पीएम ने उनका हालचाल भी जाना। ग्रामीणों ने उन्हें जब ‘गंगा ग्राम’ बगोरी की स्वच्छता के बारे में बताया तो पीएम काफी खुश हुए। 

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