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गोरखपुर महोत्सव में दूसरी शाम रवि किशन तथा मालिनी अवस्थी ने बांधा समा

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर में चल रहे तीन दिवसीय गोरखपुर महोत्सव की दूसरी शाम लोक गायिका मालिनी अवस्थी तथा भोजपुरी फिल्म अभिनेता रवि किशन के नाम रही। महोत्सव में कल का दिन और शाम माटी की बोली यानी भोजपुरी के नाम रहा। गोरखपुर महोत्सव में दूसरी शाम रवि किशन तथा मालिनी अवस्थी ने बांधा समा

दोपहर बाद यह सिलसिला स्थानीय कलाकारों से शुरू हुआ तो शाम ढलते ही भोजपुरी के बड़े नाम मंच दिखने लगे। पहले ‘सोन चिरइया’ आयोजन के तहत पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने प्रदेश की लोक संस्कृति की छटा बिखेरी तो बाद में भोजपुरी फिल्म स्टार रवि किशन ने आकर मनोरंजन की खुराक पूरी कर दी। इन खूबसूरत प्रस्तुतियों से शाम से आधी रात कब हो गई, पता ही नहीं चला।

लोगों झूमते रहे और तालियों से कलाकारों की हौसलाफजाई करते रहे। मशहूर लोक गायिका स्व. मैनावती देवी को समर्पित यह कार्यक्रम शहर के लोगों के दिल में उतर गया। कार्यक्रम को यादगार बनाने में अलका निवेदन की आवाज ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका संचालन वहां पर सभी को खूब भाया। 

मालिनी के मंच पर खिला लोक संस्कृति का फूल

‘सोन चिरइया’ कार्यक्रम के तहत मशहूर लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने आते ही भोजपुरी में गोरक्ष वंदना कर मंच पर लोक संस्कृति को उतारने की मंशा उजागर कर दी। ‘सारे जगवा में कइले अजोर गोरखनाथ बाबा..’ सुनाकर गीत-संगीत का सिलसिला आगे बढ़ाया। लोकगीतों की शुरुआत उन्होंने सोहर से की और अयोध्या में भगवान राम और मिथिला में माता सीता के जन्म से जुड़ा सोहर सुनाकर सबका दिल जीत लिया। इस क्रम को उन्होंने विरह गीत से आगे बढ़ाया ‘काहे को जाए विदेश हो रसिया..’ सुनाकर लोगों को भावुक कर दिया।

फिर शुरू हुआ प्रदेश की विभिन्न क्षेत्रों के लोकनृत्य का सिलसिला। सबसे पहले अयोध्या की फरुआही के साथ जब युवाओं की टोली मंच पर उतरी तो लोग उनकी लोक कला देखकर हतप्रभ रह गए। फरुआही को लेकर दर्शकों की एकाग्रता को मालिनी ने ‘रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे’ और ‘झुलनी में गोरी लागा हमार पिया’ गाकर भंग किया और साथ नृत्य करने के लिए मजबूर कर दिया। फिर तो यह सिलसिला चल पड़ा।

गाजीपुर का धोबिहवा, बुंदेलखंड का राई, बांदा की पाई डंडा नृत्य बारी-बारी से होता रहा और बीच-बीच में मालिनी के लोक गीतों पर श्रोता झूमते रहे। अंत में फागुनी बयार बही और सभी लोक कलाकार मंच पर होली खेलने के लिए मौजूद थे। मालिनी ‘होली खेलें रघुवीरा गाती रहीं’ और लोक कलाकार उस धुन पर फूलों की होली खेलते हुए अपनी कला का प्रदर्शन करते रहे। यह अद्भुत दृश्य प्रदेश की सांस्कृतिक एकता की तस्वीर पेश कर रहा था तो उसकी गवाह बनी शहर की लोक संस्कृति प्रेमी जनता।

खास अंदाज में डायलाग से छा गए रवि किशन 

गोरखपुर महोत्सव के भोजपुरी नाइट को यादगार बनाने के लिए मंच पर जब मशहूर फिल्म स्टार रवि किशन उतरे तो दर्शकों ने उनका जोरदार स्वागत किया। उन्होंने भी दर्शकों का पूरी गर्मजोशी से इस्तकबाल किया और अपने खास अंदाज में ‘हर-हर महादेव’ का जयकारा लगाकर इस बात का अहसास करा दिया कि वह पूरी दमदारी से मंच पर हैं। 

शुक्रवार को ही रिलीज हुई अपनी फिल्म ‘मुक्काबाज’ का डायलाग ‘ना बीस रुपये राघव की जान ले सकते हैं और न बीस हजार रुपये में राघव को खरीद सकते हैं’ जब रवि किशन ने सुनाया तो लोगों ने तालियां बजाकर फिल्म की सफलता के लिए उन्हें आश्वस्त किया। फिर तो रवि किशन का उत्साह बढ़ गया। उन्होंने भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री सुभी शर्मा के साथ ‘जीया जीया हो बिहार क लाला’ गीत पर नृत्य प्रस्तुत का सर्द माहौल में गर्मी ला दी। बीच-बीच में भोजपुरी की अलख जगाकर वह लोगों को जोड़ते दिखे। ‘लिट्टी चोखवा लागेला बड़ा मजेदार’ गीत की प्रस्तुति से उन्होंने दर्शकों का मन मोह लिया। अपना लोकप्रिय जुमला ‘जिंदगी झंड बा फिर भी घमंड बा’ बोलना भी रवि किशन नहीं भूले, जिसे सुनकर दर्शक पुलकित हो उठे।

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