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घोटाले का जिम्मेदार कौन: PNB या RBI, सिस्टम को बदलने के मूड में सरकार

पंजाब नेशनल बैंक (PNB) महाघोटाले के सामने आने के बाद केंद्र सरकार अब बैंकों और इसके रेग्युलेटर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) में निगरानी का नया तरीका बनाने पर विचार कर रही है. दोनों जगहों पर निगरानी का मौजूदा सिस्टम फेल होने पर ही PNB जैसा महाघोटाला इतना ज्यादा फैल गया.घोटाले का जिम्मेदार कौन: PNB या RBI, सिस्टम को बदलने के मूड में सरकार

केंद्र सरकार की चिंता की वजह है कि RBI के पास भी बैंकों में इस तरह के फ्रॉड को रोकने के लिए इंतजाम नहीं हैं. या फिर इस मामले में इन प्रावधानों का उचित तरीके से इस्तेमाल ही नहीं किया गया.

इस बात की भी समीक्षा की जा रही है कि क्या RBI अपनी जिम्मेदारी निभाने से चूक गया. सरकार का मानना है कि RBI की जिम्मेदारी केवल बैंकों में एनपीए घोषित करने के बाद पूरी नहीं हो जाती. सूत्रों के मुताबिक सरकार इस घटनाक्रम के बाद चिंतित है.

शनिवार को चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यम ने RBI से बेहतर ढंग से निगरानी करने की मांग की थी. उन्होंने सवाल खड़े किए थे कि घोटाले के दौरान रेग्युलेटर या सुपरवाइजर यानी RBI क्या कर रहा था! उन्होंने कहा था कि ऑडिटिंग की आंतरिक व्यवस्था के अलावा बाहरी व्यवस्था भी होनी चाहिए. हालांकि, एक दिन पहले RBI ने इस घोटाले को एक या ज्यादा बैंक कर्मचारियों के गलत काम का नतीजा और आंतरिक व्यवस्था का मामला बताया था.

बता दें कि फिलहाल RBI बैंकों की शाखाओं की जांच नहीं करता है. यह पहले भी कई बार सरकार को लिख चुका है कि यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बोर्ड में शामिल नहीं होना चाहता है. RBI ने कहा है कि वह इन बैंकों का रेग्युलेटर है और इनके फैसलों में शामिल होगा तो यह हितों का टकराव होगा.

केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे को नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के किए घोटाले से झटका लगा है. केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि PNB जैसा महाघोटाला बैंकिंग सेक्टर में कहीं और न हो रहा हो, इसके लिए मौजूदा सिस्टम की समीक्षा करने की जरूरत है. अधिकारी का कहना है कि बैंकों में आंतरिक निगरानी के लिए कई तरीके होते हैं. PNB मामले में यह साफ तौर पर फेल हुआ है. PNB के मामले में कई स्तरों पर निगरानी व्यवस्था फेल हुई है.

सरकारी अधिकारी का कहना है कि PNB घोटाले को रोकने में असफल रहे निगरानी अधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि अगर बैंक के अधिकारियों ने ऑडिटर्स की चेतावनी को नजरअंदाज किया तो उनपर आपराधिक कार्रवाई होनी चाहिए.

आपको बता दें कि नीरव मोदी की फ्लैगशिप फर्म फायरस्टार इंटरनेशनल लिमिटेड के ऑडिटर डेलाइट हैसकिंस एंड सेल्स एलएलपी ने दो साल पहले इस ओर ध्यान खींचा था. तब इसने नीरव की फर्म की कमजोर आंतरिक व्यवस्था पर चिंता जाहिर की थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि ऐसे घोटालों में जिम्मेदारी तय करने के लिएसार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के ओनरशिप मॉडल को बदला जाए.

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