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चंद्रयान-2 तैयार, 15 जुलाई को रात 2.51 बजे प्रक्षेपण, सितम्बर में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर करेगा लैंडिंग

बेंगलुरु : महत्वाकांक्षी मिशन मून को पूरा करने के लिए चंद्रयान-2 तैयार है और प्रक्षेपण से पहले तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। चंद्रयान-2 को ले जाने वाले प्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क-III की श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्‍पेस सेंटर पर अंतिम जांच चल रही है। इसरो 15 जुलाई को रात 2.51 बजे चंद्रयान का प्रक्षेपण करेगा। इसरो के मुताबिक 6 सितंबर को चंद्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान-2 उतरेगा। जीएसएलवी की उड़ान से पहले उसके सभी उपकरणों की जांच की जा रही है। जीएसएलवी को लॉन्‍च करने के लिए इसरो के पास केवल 10 मिनट होगा। इसी वजह से रात 2.51 से 3.01 के बीच इसरो को चंद्रयान-2 को रवाना करना होगा। इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 में 3 मॉड्यूल आर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) हैं। जीएसएलवी मार्क-3 चंद्रयान 2 आर्बिटर और लैंडर को धरती की कक्षा में स्थापित करेगा, जिसके बाद उसे चांद की कक्षा में पहुंचाया जाएगा। चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 के पहुंचने के बाद लैंडर निकलकर चांद की धरती पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चांद की धरती पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर उससे निकलेगा और चहलकदमी करते हुए विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा। इसरो को उम्मीद है कि भारत का चंद्रयान 6 सितंबर को चांद पर कदम रखेगा। गौरतलब है कि चंद्रयान-2 के कुछ टेस्ट पूरे न हो पाने के कारण इसको लॉन्च नहीं किया जा सका था। भारत के पहले चंद्रयान के साथ रोवर और लैंडर नहीं थे। इस बार इनको भी मिशन का हिस्सा बनाया गया है। इसरो ने चंद्रयान-2 को पहले 2017 में और फिर 2018 में लॉन्च करने का ऐलान किया था, लेकिन यह मुमकिन नहीं हो पाया। इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने हाल में कहा था कि इसरो अब इसे जल्द ही लॉन्च करने का हर संभव प्रयास करेगा। चंद्रयान-2 का वजन 3290 किलो होगा। चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के बाद इसका ऑर्बिटर, लैंडर से अलग हो जाएगा। इसके बाद लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और फिर रोवर उससे अलग हो जाएगा। ऑर्बिटर कई संवेदनशील उपकरणों, कैमरों और सेंसर्स से लैस होगा। इसी तरह रोवर भी अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होगा। ये दोनों मिलकर चंद्रमा की सतह पर मिलने वाले मिनरल्स और अन्य पदार्थों के बारे में डेटा भेजेंगे। इसरो इस पर स्टडी करेगा। लैंडर को चंद्रमा के साउथ पोल में उतारा जाएगा। इसके लिए दो जगहों का चयन किया गया है। इनमें से एक स्थान को जल्द फाइनल किया जाएगा। इनमें से किसी भी जगह पर और किसी देश का लैंडर नहीं उतरा है। इसरो के मुताबिक, साउथ पोल की जमीन सॉफ्ट है और रोवर को मूव करने में यहां किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। रोवर में 6 पहिए हैं और इसका वजन 20 किलो है। रोवर के लिए पावर की कोई दिक्कत न हो, इसके लिए इसे सोलर पावर उपकरणों से भी लैस किया गया है। इससे पृथ्वी से रोवर की दूरी का सटीक पता लगाने में आसानी होगी। इससे पहले 2008 को चंद्रयान-1 को लॉन्च किया था, लेकिन ईंधन की कमी के कारण यह मिशन 29 अगस्त 2009 को ही खत्म हो गया था।

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