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चीन की आर्मी यूनिट पर अमेरिका ने लगाया बैन, भारत को दी चेतावनी

नई दिल्ली : अमेरिकी सरकार ने रूस से सुखोई एसयू-25 लड़ाकू विमान और जमीन से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइलें खरीदने के लिए चीनी सेना की एक अहम इकाई पर कड़े प्रतिबंध लगाते हुए भारत को भी चेतावनी दी है।

अमेरिकी प्रशासन ने कहा कि अगर भारत रूस से एस—400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद करता है, तो भविष्य में उसके ऊपर भी प्रभाव पड़ सकता है। सीएएटीएसए एक्ट में अपने प्रतिद्वंद्वियों पर प्रतिबंध लगाने की क्षमता है। अमेरिका ने कहा है कि चीन के रक्षा मंत्रालय के उपकरण विकास विभाग की खरीद ने रूस पर उसके प्रतिबंधों का उल्लंघन किया है। अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, इस कार्रवाई का मकसद रूस की दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों के जवाब में उस पर हर्जाना लगाना है। अमेरिका ने एस-400 मिसाइल के साथ-साथ सुखोई S-35 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए चीनी सैन्य इकाई पर प्रतिबंध लगाने के तुरंत बाद भारत को चेतावनी दी है। ऐसा पहली बार था जब ट्रंप प्रशासन ने सीएएटीएसए एक्ट के तहत तीसरे देश पर प्रतिबंध लगाया, जबकि रूस की गतिविधियों पर लगाम लगाने और उसे दंडित करने के लिए इस एक्ट को तैयार किया गया था। इस पर अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि वह चीनी रक्षा मंत्रालय के उपकरण विकास विभाग के खिलाफ 2017 कानून लागू कर रहा था। साथ ही, सीएएटीएसए नियमों के तहत उसने 33 रूसी खुफिया और सैन्य से जुड़े कार्यों को ब्लैकलिस्टेड करने की घोषणा की थी। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, इन प्रतिबंधों का अंतिम लक्ष्य रूस है। सीएएएटीएसए प्रतिबंध किसी विशेष देश की रक्षा क्षमताओं को कमजोर करने के उद्देश्य से नहीं तैयार किया गया है। रूस की घातक गतिविधियों के खिलाफ इसे लागू करना, उनका लक्ष्य है। अमेरिका ने कहा कि सीएएटीएसए कानून लागू होने के बाद चीन ने दिसंबर, 2017 में 10 सुखोई लड़ाकू विमान और सुखोई—25 का वितरण किया था। वहीं इसी साल जनवरी में जमीन से हवा तक मार करने में सक्षम एस—21 मिसाइल और एस—400 को अपने खेमे में शामिल किया गया था। प्रतिबंध कानून लागू होने के बाद चीन ने रूस से दोनों लेनदेन किए। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के तहत रूस की मुख्य हथियार निर्यात इकाई और चीन की उपकरण विकास विभाग, रोसोबोरोनक्सपोर्ट के बीच बातचीत हुई। हालांकि अमेरिका ने अभी इस बात का जवाब देने से इंकार किया है कि क्या एस—400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने की कोशिश कर रहे भारत और तुर्की जैसे देशों के खिलाफ भी वह ऐसी ही कार्रवाई करेगा? दिल्ली में भारत और अमेरिका के बीच हुए हालिया 2+2 वार्ता के दौरान रूस के साथ रक्षा समझौता एक प्रमुख मुद्दा था, जिसमें वाशिंगटन ने संकेत दिया था कि रूस के साथ अपने पुराने संबंधों पर भारत को छूट मिल सकती है। हालांकि, शुक्रवार के प्रतिबंधों से पता चलता है कि उसने अपना रुख बदल दिया है।

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