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चुनावी चक्रव्यूह में फंसा आईपीएल 2019

नई दिल्ली : आम चुनाव 2019 के चक्रव्यूह में भारत के सियासी दल ही नहीं देश की सबसे बड़ी घरेलू क्रिकेट लीग आईपीएल भी फंसी हुई है। राजनीतिक पार्टियों की तरह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड भी चुनाव आयोग की तरफ निहार रहा है क्योंकि आम चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद ही वह आईपीएल का विस्तृत कार्यक्रम जारी कर पाएगा। यह तो पहले ही तय हो चुका है कि इस बार आम चुनाव होने के बावजूद आईपीएल भारत में ही होगा। 2009 में आईपीएल का दूसरा संस्करण चुनाव के कारण दक्षिण अफ्रीका में और 2014 में इस लीग के आधे मैच दुबई में आयोजित किए गए थे। फ्रेंचाइजी और विज्ञापनदाता इस बार टूर्नामेंट यहीं आयोजित करवाने के पक्ष में थे और बीसीसीआई ने उनकी राय को तवज्जो दी। बोर्ड की तरफ से पहले ही कहा जा चुका है कि इस बार यह घरेलू टूर्नामेंट 23 मार्च से आयोजित किया जाएगा। आम चुनाव भी अप्रैल से मई के बीच में ही होने हैं। बोर्ड के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि हमने आईपीएल का कार्यक्रम तैयार कर लिया है, लेकिन उसके आयोजन स्थल तय नहीं किए हैं। अगर हम अभी कार्यक्रम जारी करेंगे तो उसमें मैदानों को इंगित नहीं किया जाएगा। चुनाव की तारीखें आने के बाद ही आयोजन स्थल के साथ विस्तृत कार्यक्रम जारी किया जाएगा। भारत के जिस राज्य में जिस तारीख को मतदान होगा उससे सात दिन पहले और तीन दिन बाद तक आईपीएल के मैच आयोजित नहीं कराए जाएंगे। जैसे तमिलनाडु में अगर 23 अप्रैल को चुनाव है तो चेन्नई के स्टेडियम में 16 से 26 अप्रैल तक मैच नहीं आयोजित होगा। जब उनसे पूछा कि इस बार बीसीसीआई को ज्यादा परेशानी होगी तो उन्होंने कहा कि दिक्कत होगी भी और नहीं भी होगी। आईपीएल के 12वें सत्र की शुरुआत जल्द होने वाली है और आईपीएल की मूल आठ फ्रेंचाइजियों में से सिर्फ तीन ही अपने मूल अवतार में हैं। आईपीएल के अभिशाप ने कई की प्रतिष्ठा को तबाह और नष्ट कर दिया है एवं कई प्रमोटर और उद्योगपतियों को नुकसान उठाना पड़ा है। पिछले 11 साल से इसमें बने हुए मूल फ्रेंचाइजी मालिकों को नए प्रसारण करार से भुगतान में छूट का इंतजार है। मुकेश अंबानी के मालिकाना हक वाली मुंबई इंडियंस, शाहरुख खान, जूही चावला और जय मेहता के मालिकाना हक वाली कोलकाता नाइटराइडर्स (केकेआर) और मोहित बर्मन (48 प्रतिशत), नेस वाडिया (23 प्रतिशत), प्रीति जिंटा (23 प्रतिशत) और करन पॉल (6 प्रतिशत) की हिस्सेदारी वाली किंग्स इलेवन पंजाब मालिकाना स्वरूप के मामले में बरकरार हैं और उन्होंने पूरे 11 सत्र खेले हैं। इसके अलावा रॉयल चैलेंजर्स बंगलोर, चेन्नई सुपर किंग्स, सनराइजर्स हैदराबाद (डेक्कन चार्जर्स), दिल्ली कैपिटल्स (दिल्ली डेयरडेविल्स) और राजस्थान रॉयल्स मूल रूप में नहीं हैं। विजय माल्या (आरसीबी) बैंकों से करोड़ों रुपये का कर्ज लेकर इंग्लैंड भाग गए। डेक्कन चार्जर्स के मालिक टी वेंकट राम रेड्डी की कंपनी डेक्कन क्रॉनिकल एनसीएलटी में दीवालियापन नियमों के चलते अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है। सहारा के सुब्रतो रॉय (पुणे वॉरियर्स) विवाद में फंसे हैं। राजस्थान रॉयल्स (आरआर) के पूर्व मालिक राज कुंद्रा और चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के मालिक एन. श्रीनिवासन को मैच फिक्सिंग की सजा के तौर पर दो साल के लिए आईपीएल से बाहर कर दिया गया था। इतना ही नहीं श्रीनिवासन ने अपना बीसीसीआई और आईसीसी का ताज भी गंवा दिया और उनका प्रभाव खत्म हो गया। माल्या आरसीबी को खो चुका है। पूर्व आईपीएल प्रमुख ललित मोदी ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड की ओर से आईपीएल की शुरुआत की थी। श्रीनिवासन के साथ मोदी खुद शोरशराबे के बीच इसके पहले हाईप्रोफाइल शिकार बने, जिसने उन्हें लीग, खेल और देश से बाहर कर दिया। पिछले 11 साल के इतिहास में पीड़ितों की सूची बहुत लंबी और शानदार है। इसने टीम मालिक, एसोसिएट, खिलाड़ी, क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख और यहां तक कि प्रसारक सीईओ को एक किनारे कर दिया है।

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