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जजों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सरकार की आपत्तियां की खारिज, दो न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गुरुवार को बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत को पदोन्नत कर शीर्ष न्यायालय का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार की जस्टिस बोस और जस्टिस बोपन्ना की नियुक्ति पर आपत्तियों को खारिज कर दिया है। केंद्र की दलील को खारिज करते हुए जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एएस बोपन्ना की सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति की लेकर सिफारिश एक बार फिर केंद्र सरकार के पास भेजी गई है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 12 अप्रैल को झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस और गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ए एस बोपन्ना के नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के लिए की थी। सरकार ने वरिष्ठता और क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व के आधार पर यह नाम लौटाए थे। अगर वरिष्ठता के क्रम की बात की जाए तो जस्टिस बोस 12वें नंबर पर आते हैं और जस्टिस बोपन्ना का 36वां स्थान है। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश को नकार दिया था। सरकार ने वरिष्ठता का हवाला देकर जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एएस बोपन्ना की सिफारिश पर कॉलेजियम को फिर से विचार करने को कहा था। इसके साथ ही कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई और हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत को सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्त करने की सिफारिश केंद्र को भेजी है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के 31 पद स्वीकृत हैं। फिलहाल न्यायालय में 27 न्यायाधीश हैं। कोलेजियम सीनियर जजों का एक समूह है जो सुप्रीम कोर्ट में किसी भी जज की नियुक्ति के लिए अपनी पेशकश दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं। लेकिन संविधान के आर्टिकल 124 (2) के तहत राष्ट्रपति को इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के जजों और सभी प्रदेशों के हाई कोर्ट के जजों से भी सलाह मशवरा करना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति उनकी सीनियोरिटी के आधार पर की जाती है। लेकिन यदि बीते समय में किसी हाई कोर्ट के जज ने कुछ ऐसा शानदार प्रदर्शन किया होता है तो उन्हें सुबूतों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया जा सकता है।

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