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जाधव की फांसी रोकने वाले निर्देश पर आईसीजे में दोबारा जवाब देगा पाकिस्तान

जासूसी और आतंकवाद के झूठे आरोप में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को दोषी ठहराते हुए पाक सेना ने उन्हें फांसी की सजा दी है लेकिन अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) में उसे मुंह की खानी पड़ी। अब पाक सरकार एक बार फिर भारत के आरोपों पर आईसीजे में 17 जुलाई को दूसरा लिखित हलफनामा दाखिल करने जा रही है। जाधव फिलहाल पाक जेल में हैं।

आईसीजे ने बीते 23 जनवरी को भारत और पाक को इस मामले में दोबारा जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए समय सीमा दी थी। भारत ने अपने पहले आवेदन में जाधव को बेगुनाह बताते हुए इंसाफ दिलाने की मांग कर चुका है। पाक अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पिछले सप्ताह पाक अटॉर्नी ख्वार कुरैशी ने कुलभूषण जाधव मामले की विस्तृत जानकारी पीएम नसीर-उल-मुल्क को दी थी। आईसीजे में कुरैशी इस मामले की बहस कर रहे हैं। बैठक में उनके अलावा पाक के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

रिपोर्ट के मुताबिक आईसीजे में दाखिल किए जाने वाले दूसरे जवाबी पत्र का मसौदा ख्वार कुरैशी ने ही तैयार किया है। यह दूसरा हलफनामा दायर होने के बाद आईसीजे सुनवाई की तारीख का ऐलान करेगा जिस पर अगले साल ही सुनवाई हो पाने की संभावना जताई जा रही है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार वरिष्ठ वकील ने ट्रिब्यून को बताया कि इस साल जाधव मामले पर सुनवाई की संभावना नहीं के बराबर है। आईसीजे में अगले साल मार्च-अप्रैल तक मुकदमों की तारीख तय है, इसलिए 2019 की गर्मियों के बाद ही यह मामला अंतरराष्ट्रीय अदालत के समक्ष आ सकता है।

भारत ने लगाया विएना संधि उल्लंघन का आरोप

पाक सेना द्वारा कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाने के बाद भारत ने पिछले साल आईसीजे पहुंचकर जाधव को राजनयिक संपर्क न देकर विएना संधि के उल्लंघन का आरोप पाक पर लगाया था। भारत की दलील पर पिछले साल 13 दिसंबर को पाक ने आईसीजे में पहला जवाबी हलफनामा देते हुए कहा कि विएना संधि वैधानिक स्तर पर दी जाती है न कि जासूसी जैसे अपराधों पर। पाक ने कहा कि जाधव एक मुस्लिम व्यक्ति के पासपोर्ट पर पाक में घुसे थे। जबकि भारत जाधव को पाक सेना द्वारा जाधव को दी गई फांसी सजा को हास्यास्पद बताया है।

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