अद्धयात्म

जानें कब और कहा होगा कलयुग मे भगवान का जन्म

जब जब इस धरती पर पाप बड़ा ही तब तब भगवान विष्णु ने अपने अनेको अवतारों में अवतरित होकर दुष्टो का नाश किया है. भगवान विष्णु के अब तक कुल 9 अवतारों का अवतरण इस धरती में हो चुका है. हिन्दू पुराणों एवम धर्म ग्रन्थों के अनुसार भगवान विष्णु का 10 वा अवतार कलयुग में जन्म लेगा.

जानें कब और कहा होगा कलयुग मे भगवान का जन्मकल्कि अवतार 

भगवान विष्णु का अंतिम एवं दशवा अवतार होगा कल्कि का. भगवान विष्णु का यह अवतार निष्कलंक भगवान के नाम से भी जाना जाएगा. भगवान विष्णु अपने कल्कि अवतार में 64 कलाओ से युक्त होंगे तथा कलियुग में इनकी भक्ति लोगो की सभी मुसीबतो से रक्षा करेगी.
पुराणों में यह भी वर्णन है की कल्कि अवतार का जब धरती में जन्म होगा तो पवनपुत्र हनुमान, परशुराम, अश्त्थामा सहित आठ चिरंजीवी महापुरुष भी सबके समाने प्रकट होंगे. माता जाता है की ये आठ चिरंजीवी महापुरष आज भी धरती में विद्यमान है परन्तु गुप्त रूप से.

कब होगा कल्कि अवतार का जन्म

हिन्दू धर्म ग्रंथो में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की जो जन्म तिथि बताई गई है उसके अनुसार भगवान सावन मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को जन्म लेंगे. श्रीमद्भागवत के बारहवे स्कंद में यह वर्णित है की भगवान कल्कि उस समय धरती में अवतरित होंगे जब कलयुग अपने अंतिम चरण में होगा तथा सतयुग का प्रारम्भ होने वाला होगा.

किस जगह होगा भगवान कल्कि का जन्म

कल्कि भगवान उत्तर प्रदेश में गंगा और रामगंगा के बीच बसे मुरादाबाद के सम्भल ग्राम में जन्म लेंगे. भगवान के जन्म के समय चन्द्रमा धनिष्ठा नक्षत्रा और कुंभ राशि में होगा. सूर्य तुला राशि में स्वाति नक्षत्रा में गोचर करेगा.  गुरु स्वराशि धनु में और शनि अपनी उच्च राशि तुला में विराजमान होगा. वह ब्राह्मण कुमार बहुत ही बलवान, बुद्धिमान और पराक्रमी होगा. मन में सोचते ही उनके पास वाहन, अस्त्र-शस्त्र, योद्धा और कवच उपस्थित हो जाएँंगे.  वे सब दुष्टों का नाश करेंगे, तब सतयुग शुरू होगा. वे धर्म के अनुसार विजय पाकर चक्रवर्ती राजा बनेंगे.

कौन होंगे उनके माता पिता

पुराणों के अनुसार भगवान कल्कि उत्तरप्रदेश राज्य में गंगा एवं रामगंगा नदी के बीच बसे मुरादाबाद शहर में सम्भल ग्राम में जन्म लेंगे. भगवात पुराण के अनुसार कल्कि भगवान के पिता का नाम विष्णुदत्त तथा माता का नाम सुमति होगा. वे अपने माता पिता के पाँचवी सन्तान के रूप में जन्म लेंगे.
वही दूसरी ओर गुरु गोविन्द सिंह जी के दशम ग्रन्थ में यह बात लिखी गई है की कल्कि भगवान का जन्म कश्मीर में होगा तथा उनके पिता का नाम बिशनदत्त होगा. बारह वर्ष की उम्र में भगवान कल्कि त्रिकोता नाम के कन्या से विवाह करेंगे .

कैसा कल्कि भगवान का स्वरूप

श्रीमद्भागवत के अनुसार कल्कि निष्कलंक अवतार हैं.भगवान का स्वरूप (सगुण रूप) परम दिव्य है.  दिव्य अर्थात दैवीय गुणों से सम्पन्न.  वे सफेद घोड़े पर सवार हैं. भगवान का रंग गोरा है, लेकिन गुस्से में काला भी हो जाता है. वे पीले वस्त्रा धारण किए हैं. प्रभु के हृदय पर श्रीवत्स का चिन्ह अंकित है. गले में कौस्तुभ मणि है. स्वंय उनका मुख पूर्व की ओर है तथा अश्व दक्षिण में देखता प्रतीत होता है. यह चित्राण कल्कि की सक्रियता और गति की ओर संकेत करता है.  युद्ध के समय उनके हाथों में दो तलवारें होती हैं.  कल्कि भगवान के अवतार के सम्बन्ध में कहा गया है की जब पृथ्वी पर पाप की सीमा पार होने लगेगी तब दुष्टों के संहार के लिए विष्णु का यह अवतार प्रकट होगा. भगवान का ये अवतार दिशा धारा में बदलाव का बहुत बड़ा प्रतीक होगा.

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