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जानें कब मनाई जाएगी राम नवमी, और क्‍या है महत्‍व

आमतौर पर हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरूहुई थी। 14 अप्रैल को राम नवमी की पूजा के साथ नवरात्रि का समापन होगा। आपको बता दें कि रामनवमी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनायी जाती है और इस विशेष दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की विधि विधान से पूजा की जाती है। राम के जन्म का पर्व रामनवमी पूरे भारत में काफी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है। इस दिन भगवान राम के भक्त उपवास रखकर उनका गुणगान करते हैं।

13-14 अप्रैल को नवमी
13 अप्रैल को सूर्योदय 05:43 पर है।अष्टमी प्रातः 08 :19 तक है उसके बाद नवमी है। भगवान राम का जन्म नवमी तिथि को कर्क लग्न तथा कर्क राशि में हुआ था। 13 अप्रैल को दिन शनिवार को मध्यान्ह नवमी तिथि होने के कारण रामनवमी 13 अप्रैल को ही रहेगा। नवमी अगले दिन 14 अप्रैल को प्रातः 06:04 बजे तक है। 9 दिन व्रत रहने वाले 14 को पारण करेंगे।​

राम नवमी पूजा विधि

  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल पर सभी प्रकार की पूजन सामग्री लेकर बैठ जाएं।
  • पूजा की थाली में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य रखें।
  • रामलला की मूर्ति को माला और फूल से सजाकर पालने में झूलाएं।
  • इसके बाद रामनवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
  • इसके साथ ही रामायण का पाठ तथा राम रक्षास्त्रोत का भी पाठ करें।
  • भगवान राम को खीर, फल और अन्य प्रसाद चढ़ाएं।
  • पूजा के बाद घर की सबसे छोटी कन्या के माथे पर तिलक लगाएं और श्री राम की आरती उतारें।

राम नवमी क्यों मनायी जाती है
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां थीं। लेकिन तीनों रानियों में से किसी को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी। तब ऋषि मुनियों  से सलाह लेकर राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ से निकली खीर को राजा दशरथ ने अपनी बड़ी रानी कौशल्या को खिलाया। इसके बाद चैत्र शुक्ल नवमी को पुनरसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम का जन्म हुआ। तब से यह तिथि राम नवमी के रूप में मनायी जाती है।

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