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जाने आँखों का फड़फड़ाना किसी घटना के संकेत है या वैज्ञानिक

भारतीय संस्कृति में शास्त्रों का एक अलग ही औहदा है। शास्त्र में केवल आँख फड़कने का मतलब ही नहीं, सभी अंग के फड़कने का कारण बताया गया है। आज की पीढ़ी उन्हें अंधविश्वास कहते है, क्योंकि अभी विज्ञान ने जो तरक्की की है, उसके हिसाब से कहना लाजिमी है। आँखों के फड़फड़ाने में (पुरुष/महिला) भी महत्तवपूर्ण किरदार निभाती है। पुरुष की बायीं आँख और महिला की बायीं आँख फड़कने के अलग-अलग कारण होते हैं।

अंग ज्योतिष के अनुसार हमारे शरीर का हर अंग के फड़कने का कोई न कोई अर्थ होता है। यहां तक ही आगे होने वाली घटनाओं के बारें में भी वह सूचना दे देते है। इसी तरह हमारी आंख के फड़ने का भी अशुभ और शुभ अर्थ होता है। कौन सी आंख के फड़कने का अर्थ शुभ है और किसका नहीं। बायीं आँख का निचला हिस्सा फड़के तो किसी से कहासुनी होती है और किसी के सामने लज्जित भी हो सकते हैं। बायीं आँख के ऊपरी हिस्सा (नाक के पास वाला) फड़के तो आने वाले समय में कोई अनहोनी होने की संभावना होती हैं। बायीं आँख के ऊपरी हिस्सा (कान के पास वाला) फड़के तो स्वास्थ्य में आगे बाधा उत्पन्न हो सकती है। बायीं आँख का निचला हिस्सा (मध्य भाग) फड़के तो धन हानि होने की संभावना प्रबल हो जाती है।

दाएं आंख का फड़कना

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार दाएं आंख का फड़कना पुरुषों के लिए शुभ माना जाता है जबकि बाएं आंख का फड़कना महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है।

बाएं आंख फड़कना

वहीं अगर स्त्रियों की बाएं आंख की पलक और भौंवें फड़के तो उनके लिए यह शुभ माना जाता है लेकिन शास्त्रों में लिखा हुआ है कि अगर पुरुष की बायीं आँख की पलक और भौंहे फड़कती है तो दुश्मन से लड़ाई होने साथ दुश्मनी बढ़ जाती हैं।

दाएं आंख की पलक और भौंहों का फड़कना 

यदि पुरुषों की दाएं आंख की ऊपरी पलक और भौंवें फड़कती हैं तो माना जाता है कि उनके मन की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती है और पदोन्नति व धन लाभ होता है परंतु अगर महिलाओं की दाएं आंख की ऊपरी पलक और भौवें फड़के तो उनके लिए ये अशुभ मानी जाती है और उनके सारे काम बिगड़ाने वाली होती हैं।

आँखों का फड़कना – क्या कहता है विज्ञान?

विज्ञान के हिसाब से पलकों का फड़कना मानव शरीर का एक आम लक्षण है। आँख की मांसपेशियां आपस में एक जगह एकत्र हो जाती है, जिससे आँखों पर खिंचाव होता है, लेकिन दर्द महसूस नहीं होता है। कुछ देर बाद ये अपने आप ठीक हो जाता है।
आँख फड़कने के कारण
• ज्यादा देर तक कम्प्यूटर पर काम करने से और नींद पूरी नहीं लेने से थकान महसूस होती है, उससे आँखें फड़क सकती है।
• कम रोशनी में बैठकर पढ़ने या काम करने से भी आँखें फड़कती है।
• ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन भी आँखें फड़कने का एक कारण हो सकता हैं।
बचाव:
नींद को पूरी करने का प्रयास करें
ठंडे पानी से आँखों को धोएँ
आँखों की हलकी हाथों से मालिश करें। इससे आँखों को आराम मिलेगा और फड़कना बंद हो सकता है।

वैज्ञानिक कारण व उपचार

पलकों का फड़कना या आंखों का फड़कना कभी-कभी शर्मनाक, असुविधाजनक और बेकार की परेशानी का कारण बन सकता है। यदि आपने पहले कभी इसका अनुभव न किया हो तो आपको इससे डर भी लग सकता है। पलकों का फड़कना, मांस-पशियों का एक अनैच्छिक संकुचन है, जिसका मुख्य कारण तनाव होता है परंतु ये अन्य कारणों से भी हो सकता है जैसे आँखों पर पड़ता जोर, थकान, सूखी आँखें, उत्तेजक पदार्थों (काफी या दवायें) का अत्यधिक सेवन, डीहाइड्रेशन, अत्यधिक शराब पीना आदि। कारण कोई भी हो लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। पलकों या आंखों का फड़कना रोकने के लिये आपके पास बहुत से विकल्प उपलब्ध हैं।
– जोर-जोर से पलकें झपकाने से शुरू करें:
जितना सम्भव हो उतनी जोर से आँखें बंद कर लें। फिर आँखों को खोल कर यथासम्भव फैलायें। इस क्रिया को तब तक जारी रखें जब तक आँसू न निकलने लगे। यदि दर्द का एहसास हो या आँख और जोर से फड़कने लगे तो इस क्रिया को तुरंत रोक दें। इस क्रिया को जल्दी-जल्दी करने से आँख में आँसुओं की एक समतल परत बन जाती है। इसके कारण आँखों मे आर्द्रता, पलकों को आराम, आँख और चेहरे के मसल्स की वर्जिश तथा आँखों मे रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है जिससे समस्या से राहत मिलती है।
– मसाज से आँखों को आराम पहुंचायें:
अपनी बीच वाली उंगली की सहायता से निचली पलक की गोलाई में मसाज करें। जिस आँख में फड़कन हो उसकी पलक का लगभग 30 सेकेण्ड्स तक मसाज करें। किसी तरह के जलन या संक्रमण से बचने के लिये पहले अपने हाथों और चेहरे को साफ कर लें। इस विधि से अच्छे परिणाम मिलते हैं क्योंकि इससे रक्त प्रवाह बढ़ता है और साथ ही माँसपेशियों को मजबूती मिलती है।
– पलकों को 30 सेकेण्ड्स तक झपकायें:
इस कार्य को पर्याप्त गति से करें। कल्पना करें कि आपकी बरौनियां तितली के पंख हैं। पलकों का झपकना आपके आँखों के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह आँखों के अधिकांश माँस-पेशियों को आराम पहुंचाता है और साथ ही साथ पुतलियों को चिकनाई देता है और उनकी सफाई भी करता है जिससे फड़कना बंद हो सकता है। यदि दर्द का एहसास हो या आँख और जोर से फड़कने लगे तो इस क्रिया को तुरंत रोक दें।
– अपने आँखों को अर्ध-खुली अवस्था में लायें:
आप महसूस करेंगे कि आपकी उपर वाली पलकें लगातार विभिन्न आयामों में काँप रही है। अब कँपकपाँहट को रोकने के अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करें। स्पष्ट रूप से देखने के लिये आँखों को समायोजित करने से आँखों पर कम तनाव पड़ता हैं। इससे आँखों के थकान के कारण होने वाले फड़कने की क्रिया को रोकने में सहायता मिल सकती है।
– आँखों का व्यायाम करें:
अपने आँखों को पूरे एक मिनट तक बंद रखें। इस अवधि में आपनी आँखों को जोर से मीचें और फिर उन्हें बिना वास्तव में खोले ढीला छोड़ दें। आँखें खोलने से पहले इस क्रिया को तीन बार दुहरायें। यह क्रिया आँसू का बनना बढ़ाता है ताकि आँखों के भीतर चिकनाई हो सके। आँखों के व्यायाम को न केवल उनका फड़कना रोकने के लिये प्रयोग कर सकते हैं बल्कि आँख की माँस-पेशियों को मजबूती प्रदान करने के लिये भी कर सकते हैं।
– अपने आपको ऐक्यूप्रेशर मसाज दें:
आँखों के इर्द-गिर्द ऐक्यूप्रेशर प्वाइन्ट्स तलाश करें। प्रत्येक प्वाइन्ट पर 5 से 10 सेकेण्ड्स तक गोलाई में मसाज करें और उसके बाद क्रमशः अन्य प्वाइन्ट्स का। एक बार शृंखला पूरी हो जाये तो फिर से पहले प्वाइन्ट से शुरू करें। इस क्रिया को लगभग दो मिनट तक करें समान ऐक्यूप्रेशर टेक्नीक के लिये अपने तर्जनी और मध्यमा को अपनी बरौनियों पर रखें। उसके बाद हल्के से दबाव डालते हुए आई-साकेट-बोन के बाहरी किनारे पर गोलाई में पाँच मिनट तक उनका मसाज करें। ऐक्यूप्रेशर की विधियाँ रक्त प्रवाह को बढ़ा कर आँख के फड़कने को रोकने में मदद करती है जबकि बंद पलकें आँसुओं की फिल्म को आँखों को हाइड्रेट करने देती हैं। किसी तरह की जलन या संक्रमण से बचने के लिये पहले अपने हाथों और चेहरे को साफ कर लें।
– आँखों के हाइड्रोथिरेपी टेक्नीक को आजमायें:
बंद आँखों पर बारी-बारी से गुनगुने और ठण्डे पानी का छींटा मारें। ठण्डा पानी रक्त वाहिकओं को संकुचित करेगा और गुनगुना पानी उन्हीं रक्त वाहिकाओं को फैलायेगा। यह प्रक्रिया रक्त प्रवाह को बढ़ाता है तथा आँखों में पहुंचने वाले रक्त-बहाव को भी बढ़ाता है जिससे आँखों के फड़कने में आराम मिल सकता है। उपरोक्त प्रक्रिया मे ठण्डे पानी के छींटे मारने के स्थान पर आप, गुनगुने पानी का छींटा मारने से पहले, बर्फ के टुकड़ों को पलकों पर फिरा सकते हैं। इस प्रक्रिया को 7-8 बार दुहरायें।
– कैफीन तथा अन्य स्टिम्युलेंट्स का सेवन कम करें:
अत्यधिक काफी, सोडा या स्टिम्युलेंट दवाओं को लेने से आँखों का फड़कना बढ़ सकता है। इन सबके सेवन में कमी लाने का प्रयास करें। यदि आप डाक्टर की सलाह से कोई दवा ले रहे हैं तो उसके डोज़ में कोई भी परिवर्तन बिना उससे पूछे न करें।
– हाइड्रेटेड बने रहें:
डी-हाइड्रेशन आँखों में फड़कन उत्पन्न कर सकता है। अपने द्वारा पिये जा रहे पानी की कुल मात्रा को बढ़ाने का प्रयास करें। प्रतिदिन 8 से 10 गिलास पानी पीने का लक्ष्य निर्धारित करें।
– ज्यादा नींद लें:
साधारण थकान, आँखों को शुष्क बना सकती हैं और उन्हें थका भी सकती हैं जिसके कारण आँखों का फड़कना बार-बार हो सकता हैं। हर रात पूरे 7 से 8 घंटे की नींद लें। इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन्स जैसे टी.वी., मोबाइल, कम्प्यूटर आदि, के प्रयोग को सीमित करें और बिस्तर पर जाने से पहले उसे छोड़ दें।
– आँखों के डाक्टर से मिलें: इनमें से कोई भी लक्षण गम्भीर स्थिति की ओर इशारा हो सकता है और आपको तुरंत किसी आँखों के डाक्टर से मिलना पड़ा सकता है:
@ यदि आँखों का फड़कना एक सप्ताह से अधिक तक रहे।
@ यदि आँखों के फड़कने के कारण पलक पूरी तरह बंद हो जाये।
@ यदि ऐंठन ऐसी हो जो चेहरे के अन्य मांस-पेशियों को भी प्रभावित कर रही हो।
@ यदि आँख में लाली या सूजन हो या उसमें से किसी भी तरह का पदार्थ निकल रहा हो।
@ यदि उपरी पलक अनचाहे नीचे ढलक जा रही हो।
@ यदि साथ में सिर दर्द भी हो रहा हो या एक के दो दिखाई पड़ रहे हों।
– यदि आपके डाक्टर को शक है कि आपकी परेशानी का कारण मस्तिष्क से या नर्व से समबंधित कोई गड़बड़ी है (जैसे पार्किंन्सन्स डिजीज़ या टौरेट सिन्ड्रोम) तो, वह आपकी अतिरिक्त जांच करेगा। यदि आवश्यक हुआ तो वह आपको किसी न्यूरोलोजिस्ट या अन्य स्पेशलिस्ट को रेफर कर सकता है। सुनिश्चित करें कि जब आप अपने डाक्टर के पास जायें तो अपने वर्तमान सप्लीमेण्ट, दवाओं, दैनिक व्यायाम और आहार के बारे में अवश्य चर्चा करें।
– सप्लीमेण्ट्स के बारे में पूछें:
आपका डाक्टर आपके शरीर में विटामिन, मिनरल तथा इलेक्ट्रोलाइट लेवल को मापने के लिये कुछ जांच करवा सकता है क्योंकि इनमें से कुछ की कमी (जैसे कैल्शियम) आँखों के फड़कने का कारण बन सकती है। जांच परिणाम के आधार पर आपका डाक्टर आपको कोई बेहद साधारण सप्लीमेण्ट, जो बिना पर्चे के भी मिल सकता है, लेने की सलाह दे सकता है।
– इलाज के विकल्पों के बारे में चर्चा करें:
यदि आपके आँखों का फड़कना पुरानी परंतु सुसाध्य समस्या है तो आपका डाक्टर इलाज के विभिन्न विकल्पों के बारे में चर्चा कर सकता है। बोट्युलिनम टोक्सिन सबसे अधिक सुझाया जाने वाला इलाज है। हल्के मामलों मे डाक्टर क्लोनाज़ेपाम (Clonazepam), लोराज़ेपाम (Lorazepam), ट्राईहेक्सीफेनीडिल (Trihexyphenidyl), या अन्य कोई मसल-रिलैक्सेन्ट लेने का सुझाव दे सकता है।
– यदि अन्य वैकल्पिक इलाज फेल हों जायें तो आपका डाक्टर सर्जरी के विकल्प पर भी चर्चा कर सकता है। लगभग 75-85% मरीजों को, जिनके आँखों का फड़कना सुसाध्य प्रकृति का होता है, माइएक्टोमी (myectomy) से ही फायदा हो जाता है। इसके लिये सर्जन को प्रभावित पलक में से कुछ मांस-पेशियों और नर्व को निकालना पड़ता है। तथापि ये कोई आम इलाज नहीं है क्योंकि आपके लिये बोट्युलिनम टोक्सिन इंजेक्शन्श ही पर्याप्त होता है।

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