ज्ञान भंडार

जाने आरोपी अजमल कसाब को फांसी किसने दिलाई

श्रीगंगानगर: मुंबई हमले के मुख्य आरोपी अजमल कसाब को फांसी के मामले में प्रमुख कड़ी रही देविका मुंबई में ही गरीब बस्ती में रह रही है। तीन फीट की गली में 10 / 10 के एक ही कमरे के मकान में वह अपने पिता नटवरलाल और अपाहिज बड़े भाई जयेश के साथ रहती है। घर में तंगहाली इतनी कि शब्दों में बयान करना ही मुश्किल। देश की बहादुर बेटी देविका ने बताया कि कसाब के पकड़े जाने के बाद जैसे ही पुलिस ने मुझे गवाह बनाया तभी से मेरे पिता के मोबाइल पर कॉल आने लग गई। कभी पाकिस्तान तो कभी हैदराबाद से फाेन आते। कुछ ने तो गवाही नहीं देने के लिए पहले लालच दिया। एक करोड़ रुपए तक ऑफर किए लेकिन हम लोग झुके नहीं। फिर हमें धमकियां भी खूब मिली। हमने पुलिस को सूचना दी। पुलिस का इस मामले में बहुत सहयोग रहा। कोर्ट में केस चला तब पुलिस ने एक युवक को गिरफ्तार कर रखा था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान जज साहब ने देविका से पूछा कि क्या वह गोली मारने वाले को पहचान सकती है। मैने कहा, हां मैं उसे देखते ही पहचान लूंगी। कोर्ट में तीन युवक पेश हुए और मुझे बुलाया गया। मैं आरोपी को देखते ही पहचान गई। बाद में पता चला कि वह अजमल कसाब था और पाकिस्तान ने उसे मुंबई में लोगों को मारने के लिए भेजा था। मेरी गवाही पर कसाब को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई।

पहनने को एक स्कूल ड्रेस के अलावा दो पेंट और दो ही टीशर्ट

  • 10वीं की इस छात्रा के पास पहनने को एक स्कूल ड्रेस के अलावा दो पेंट और दो ही टीशर्ट हैं। तपोवन प्रन्यास अध्यक्ष महेश पेड़ीवाल मंगलवार सुबह करीब 11 बजे ढूंढ़ते हुए उसके घर तक जा पहुंचे।
  • रोज की तरह यह दिन भी देविका के लिए सामान्य ही था, लेकिन पेड़ीवाल ने वहां पहुंच उसे दो लाख रुपए नकद की मदद सौंपी तो मारे खुशी के उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े।
  • पेड़ीवाल ने देश की इस बहादुर बेटी के आंसू पौंछे। उनकी पेशकश पर देविका अपनी 10वीं की पढ़ाई इस साल पूरा करते ही अपने बीमार भाई के साथ श्रीगंगानगर आ जाएगी। उसकी आगे की सारी पढ़ाई और कामयाब होने तक का – सारा खर्च तपोवन प्रन्यास उठाएगा। उसके बीमार भाई का इलाज भी श्रीगंगानगर में ही होगा। देविका के पिता वापस अपने मूल गांव राजस्थान के सुमेरपुर में ही रहना चाहते हैं।

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