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तमिल राजनीति में बदलाव के संकेत, नजदीक आ सकते हैं डीएमके-भाजपा

नई दिल्ली : 2जी केस में ए राजा, कनिमोझी आदि दिग्गजों के बरी हो जाने से भाजपा को झटका जरूर लगा है, क्योंकि इस घोटाले पर ही विपक्ष में रहते भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाया था। इन दिनों राजनीतिक गलियारों में एक बिल्कुल अगर तरह की चर्चा है। जिसके अनुसार यह फैसला तमिलनाडु की राजनीति में बड़े बदलाव की भूमिका तैयार कर सकता है। संभावना बन रही है कि भाजपा अपनी पुरानी संबंधी डीएमके से एक बार फिर हाथ मिला ले। पीएम मोदी पिछले महीने डीएमके प्रमुख और तमिल राजनीति के दिग्गज एम. करुणानिधि से मिलने पहुंचे थे। मोदी की इस पहल ने राजनीतिक पंडितों को हैरत में डाल दिया था। बता दें कि तमिलनाडु में भाजपा को डीएमके की धुर विरोधी एआईएडीएमके का करीबी माना जाता है। डीएमके केंद्र सरकार की नीतियों की कट्टर आलोचक रही है। ऐसे में मोदी और करुणानिधि की यह मुलाकात हर किसी को हैरान कर रही है। मोदी ने करुणानिधि से मुलाकात ही नहीं की थी, बल्कि उन्हें दिल्ली में अपने आवास पर आने का न्योता भी दिया था।

सन 2019 के आम चुनाव से पहले दक्षिण भारत में नए सहयोगियों की तलाश में भाजपा आम चुनाव की रणनीति के तहत डीएमके से हाथ मिला सकती है। उधर 2जी घोटाला मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट से बरी होने के बाद पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा ने बिना किसी का नाम लिए एनडीए पर निशाना साधा था। ए राजा ने शुक्रवार को यह दावा कि किया था कि उस वक्त यूपीए सरकार को गिराने की साजिश रची गई थी। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि तत्कालीन केंद्र सरकार इसे भांप नहीं सकी। बता दें कि यूपीए 1 की सरकार में 2004 से 2009 तक डीएमके मुख्य साझेदार थी। ए राजा यूपीए 2 में 2013 तक दूरसंचार मंत्री भी रहे थे। ए राजा ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि यह बेहद अफसोस की बात है कि यूपीए सरकार साजिश में फंसी और खुद से स्पेक्ट्रम मुद्दे को उजागर करने में नाकाम रही। ए राजा के इस बयान को अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस के कुछ नेताओं पर निशाने के रूप में लिया जा रहा है। 

 

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