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तेज पर पिच फिर खुली टीम इंडिया के बल्लेबाजों की कलई

-सैय्यद मोहम्मद अब्बास

लखनऊ : भारतीय क्रिकेट टीम एक बार फिर तेज पिच पर कमजोर साबित हो रही है। श्रीलंका को टेस्ट सीरीज में धूल चटाई लेकिन पहले वन डे मैच में टीम इंडिया को श्रीलंकाई गेदबाजों ने करारा झटका दिया है। विराट कोहली के बगैर टीम इंडिया इस मुकाबले में बेहद कमजोर दिखी। धर्मशाला के विकेट पर टीम इंडिया के बल्लेबाज बेबस दिखे और लगातार खराब शॉट के चलते सस्ते में पावेलियन लौट गए। धर्मशाला पर खेले गए इस मुकाबले में टीम इंडिया की बल्लेबाजी दोयम दर्ज की नजर आई। श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया जो एकदम सही साबित हुआ। भारतीय टीम 38.2 ओवरों में 112 रनों पर ढेर हो गई। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने थोड़ा संघर्ष करते हुए 87 गेंदों में 10 चौके और दो छक्कों की मदद से 65 रनों की पारी खेलते हुए अपनी टीम को 100 का आंकड़े तक पहुंचाया। एक समय ऐसा था कि टीम इंडिया 50 के स्कोर तक पहुंचना मुश्किल लग रहा था। वन-डे की एक पारी में सबसे कम स्कोर जिम्बाब्वे के नाम है। श्रीलंका ने ही उसे 24 अप्रैल 2004 में हरारे में 35 रनों पर समेट दिया था। भारत का न्यूनतम स्कोर भी श्रीलंका के खिलाफ है। श्रीलंका ने ही शारजाह में 29 अक्टूबर 2000 को भारत को 54 रनों पर ढेर कर दिया था।

धर्मशाला का विकेट पर उछाल के साथ-साथ स्विंग भी देखने को मिल रही थी। ऐसे में भारतीय बल्लेबाजी की कलई खुलते देर नहीं लगी। पूरी बैटिंग लाइनअप ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। हालांकि इसी विकेट पर श्रीलंका ने बड़ी आसानी से मुकाबला सात विकेट से जीतकर शृंखला में 1-0 की अहम बढ़त हासिल कर ली। भारतीय टीम ने अपने सात विकेट केवल 29 रन के योग पर खो दिए थे। ऐसा लगा कि टीम इंडिया पर 50 के अंदर ही ढेर हो जाएगी लेकिन माही ने मजबूती से श्रीलंकाई बल्लेबाजों को सामना किया और विकेट पर जमने की कोशिश की। हालांकि बाद एक छोर से लगातार विकेट गिरने के बाद माही ने भी साथ छोड़ा और 65 रन की जुझारू पारी खेलकर पावेलियन लौटे। धौनी ने आठवें विकेट के लिए कुलदीप यादव (19) के साथ 41 रन जोड़ डाले जबकि बुमराह के साथ मिलकर नौवें विकेट के लिए 17 और युजवेंद्र चहल के साथ दसवें विकेट के लिए 25 रनों की साझेदारी करते हुए भारत को किसी तरह से 100 का आंकड़ा पार कर लिया। यह वन-डे इतिहास में पहली बार है जब किसी टीम ने 16 रनों पर पांच विकेट खो दिए हों। इससे पहले भी भारत ने 17 रनों पर पांच विकेट 1983 विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ खोए थे। श्रीलंका की तरफ से लकमल ने घातक गेंदबाजी करते हुए चार विकेट लेकर टीम इंडिया के बल्लेबाजों की कमर तोड़ दी। प्रदीप ने दो विकेट लिए जबकि मैथ्यूज, कप्तान थिसारा परेरा, अकिला धनंजय, सचिथा पाथिराना को एक-एक सफलता मिली। इस हार से टीम इंडिया की बल्लेबाजी को लेकर एक बार फिर सवाल उठाया जा रहा है कि क्या तेज विकेट पर टीम इंडिया के बल्लेबाज रन नहीं बना सकते हैं। उनके पैर तक नहीं चलते हैं। इस मैच में पांच बल्लेबाज ऐसे थे जो

बगैर खाता खोले ही पावेलियन लौट गए। जबकि तीन बल्लेबाज दोहरे अंक तक नहीं पहुंच सके। रोहित शर्मा ने दो, अय्यर ने नौ, मनीष पांडेय ने दो रन का योगदान दे सके। कुलदीप यादव ने 19 रन ही बना सके। कुल मिलाकर भारतीय बल्लेबाजी तेज पिच एक बार फिर नाकाम साबित हुई। इससे पूर्व कोलकाता टेस्ट में भी यही सबकुछ देखने को मिला और यहां भी भारतीय बल्लेबाजी एकदम बेदम साबित हुई थी। ऐसे में दक्षिण अफ्रीका दौरा टीम इंडिया को तेज पिच पर खेलना है और विकेट पर वहां उछाल देखने को मिलेगा। वहां के हालात यहां से एक दम अलग होते हैं। विराट की सेना को अभी से इसकी तैयारी करनी होगी नहीं तो वहां भी कुछ इसी तरह के आंकड़े देखने को मिलेगे जो पहले कोलकाता और अब धर्मशाला में देखने को मिला।

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