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दहेज प्रताड़ना के लिए पूरे परिवार को दोषी बनाना ठीक नहीं, संयुक्त परिवार में रहना नहीं है अपराध : कर्नाटक उच्च न्यायालय

बेंगलुरु : उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर कोई पति अपनी पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि परिवार में साथ रह रहे सभी लोग दोषी हों। ऐसा कोई कानून नहीं है जिसमें परिवार के हर सदस्य को दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोपी बनाया जाए। यह बात कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है। एक महिला की दहेज प्रताड़ना को लेकर की गई एक शिकायत को खारिज करते हुए जस्टिस एनके सुधींद्र राव ने कहा ‘जॉइंट फैमिली में रहना कोई अपराध नहीं होता।’ जज ने यह भी कहा कि जॉइंट फैमिली में रहने वाले हर एक व्यक्ति को दूसरे सदस्य को थोड़ा स्पेस देना चाहिए, इसमें घर की बहू भी शामिल है जो परिवार की नई सदस्य होती है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि महिला की ओर से दायर किए गए केस में पति के खिलाफ चल रही कार्रवाई जारी रहेगी। बागलकोट की शैला और सब इंस्पेक्टर संगमेश की शादी 23 मई 2010 को हुई थी।

शादी के बाद दोनों के बीच विवाद होने लगा। शैला ने अपने पति के खिलाफ केस दायर किया था। इस केस में शैला ने अपने सास-ससुर इरन्ना और लक्ष्मीबाई, पति के भाइयों महंतेश और श्रीशाली, चाचा तोतप्पा और चाची सुनंदा को भी आरोपी बनाया। शैला ने आरोप लगाया था कि 50 लाख रुपये कैश और सोने के जेवरात न देने के कारण उसके पति और ससुरालवालों ने घर से निकाल दिया। उसने आरोप लगाया था कि उसके घरवालों ने संगमेश के घरवालों को शादी में 5 लाख रुपये रुपये कैश, 41 ग्राम सोना के अलावा कई कीमती सामान दहेज में दिए। उसने शिकायत में आरोप लगाया कि उसके पति और परिवारवालों ने शादी के बाद उसे नौकरी नहीं करने दी। उसकी टीचर की नौकरी लगी तो पति ने दूसरी जगह ट्रांसफर ले लिया। जानबूझकर उसे प्रताड़ित किया जाता था। जस्टिस राव ने पाया कि महिला की शिकायत अतिरंजित है। हाई कोर्ट ने कहा, ‘एक शिकायतकर्ता को अपनी शिकायत करने की पूरी स्वतंत्रता होती है। महिलाओं को शिकायत करते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि अगर रिश्तेदारों या परिवार के अन्य सदस्य निर्दोष हैं तो उन्हें आरोपी नहीं बनाया जाना चाहिए।

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