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दिल्ली: शीला दीक्षित के वो 5 फैसले जिन पर आज भी होती है काफी चर्चा

दिल्ली के विकास में शीला दीक्षित जी ने स्मरणीय योगदान दिया…’ ये शब्द मोदी ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन पर शनिवार को कहे. प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृहमंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत तमाम नेताओं ने उनके निधन पर दिल्ली के विकास में उनके योगदान के लिए याद किया. ऐसे में आइए जानते हैं शीला दीक्षित के दिल्ली के विकास के लिए उठाए गए उन पांच फैसलों के बारे में जिन पर आज भी चर्चा होती है.पंजाब में जन्मीं शीला दीक्षित ने दिल्ली में अपनी शख्सियत बुलंद की.

उत्तर प्रदेश में अपना राजनीतिक कौशल मजबूत करने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को अपनी कर्मभूमि बनाया. शीला दीक्षित लगातार तीन बार (1998-2013) दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. इस दौर में उन्होंने दिल्ली को विकास के पथ पर दौड़ाने के लिए प्रदेश में बिजली निजीकरण, ब्लूलाइन बसों पर रोक, केरोसिन इस्तेमाल पर रोक, सीएनजी के उपयोग को बढ़ावा देना और एमसीडी को तीन हिस्सों में बांटने जैसे कई अहम फैसले लिए.

एक समय था जब दिल्ली में आए दिन बिजली की खूब कटौती हुआ करती थी. दिल्लीवासी इससे बहुत परेशान थे. बिजली की कटौती से प्रदेश में तब हर वर्ग के लोगों के समाने कई मुश्किलें थीं. छोटे-बड़े कल कारखानों के सामने तब बिजली कटौती एक बड़ी समस्या थी. गर्मी के दिनों में तो बिजली की कटौती से लोग बेहाल हो जाते थे. इस समस्या को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने प्रदेश में बिजली निजीकरण का फैसला लिया. इसका परिणाम ये आज दिल्ली बिजली कटौती जैसे समस्या से मुक्त है.

विकास सही मायनों तभी समझा जाता है जब लोगों को बेहतर पर्यावरण मिले. इसे शीला दीक्षित ने बखूबी समझा और उन्होंने दिल्ली में यानी मिट्टी का तेल के इस्तेमाल पर रोक लगाई. दरअसल उस समय दिल्ली में केरोसिन का इस्तेमाल धड़ल्ले से होता था. लोग करोसिन को दीप, स्टोव, उद्योग धंधों, कारखानों और ट्रैक्टरों में इस्तेमाल करते थे. यह शीला दीक्षित के कदमों का ही फल था कि साल 2012-13 में राजधानी को देश का पहला केरोसिन मुक्त शहर बनने का गौरव हासिल हुआ.

इसके साथ ही शीला दीक्षित ने दिल्लीवासियों को कैसे बेहतर यातायात सुविधाएं मिलें, कैसे सड़क हादसों में कमी आए और कैसे वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर काबू पाया जाए इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए भी कई कदम उठाए. उन्होंने ‘किलर’ का दर्जा पा चुकीं ब्लू लाइन बसों के परिवहन को बंद किया. तब ऐसा ही कोई दिन जाता था जब मीडिया में ब्लूलाइन बस से हादसे की खबर नहीं आती हो.

इसके लिए उन्होंने सीएनजी और उससे चलने वाली बसों को बढ़ावा दिया. आज दिल्ली में ज्यादातर गाड़ियों में सीएनजी से चल रही हैं. कल कारखानों और उद्योग धंधों में सीएनजी का इस्तेमाल बढ़ा है. इसका ये फायदा हुआ कि आज दिल्ली में डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों में कमी आई जिससे गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण में कमी आई.

बता दें कि सीएनजी यानी कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस एक स्वच्छ ईंधन है. इसके जलने पर केरोसिन, डीजल और पेट्रोल से कम प्रदूषक निकलते हैं. सीएनजी को हर मायनों में एक अच्छा ईंधन बताया जाता है.

दिल्ली के विकास की दिशा में उनका एक और खास कदम ये है कि उन्होंने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को तीन हिस्सों में बांटा. इसके विभाजन के पीछे उनकी ये सोच रही थी कि दिल्लीवासियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मिल सकें. उन्हें एमसीडी के द्वारा किए जाने वाले कामों का ठीक से फायदा मिल सके. हालांकि उस समय उनके इस फैसले पर बीजेपी समेत तमाम विपक्षी दलों ने उनकी आलोचना भी की थी.

शीला दीक्षित के द्वारा दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी स्तर पर कराए गए कामों का ही नतीजा रहा कि उनके राजनीतिक विरोधी भी इस बात से असहमत नहीं हो सकते कि वह दिल्ली के परिवर्तन के पीछे की एक बड़ी ताकत थी. वह सड़कों और फ्लाईओवरों का निर्माण कराकर शहर के बुनियादी ढांचे में एक क्रांति लाने में सफल रहीं. उन्होंने जो भी हासिल किया उसमें एक गरिमा थी, यही वजह रही कि उन्होंने अपने विरोधियों से भी काफी सम्मान पाया.

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