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दिल्ली से दिसपुर की माथापच्ची

असम मंत्रिमंडल का विस्तार : बोहाग बिहू के बाद खुल सकती है 6 भाजपा मूल के विधायकों की किस्मत

संजीव कलिता

कांग्रेस के लगातार पंद्रह साल के शासन को दिसपुर की सत्ता से उखाड़ फेंकने के बाद असम में भाजपा, असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स पार्टी (बीपीएफ) की मिलीजुली सरकार बनी है। पिछले साल के 24 मई को मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद युवा नेता सर्वानंद सोनोवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मानो हल्ला बोल दिया। न खाएंगे और न खाने देंगे की नीति पर तब से चल पड़े मुख्यमंत्री सोनोवाल की सरकार को शपथ लेते हुए अभी नौ महीने ही हुए हैं। परिवर्तन के नारे से चुनावी नैय्या को पार लगाने के बाद राज्यवासियों की भी इस सरकार से कहीं अधिक उम्मीदें हैं, इसमें दो राय नहीं है। फिलहाल, इन दिनों राज्य के प्रबुद्ध वर्ग सहित राजनीतिक रूप से जागरूक नागरिक सोनोवाल मंत्रिमंडल के विस्तार के मुद्दे को लेकर कई तरह के कयास लगा रहे हैं। वर्तमान मंत्रिमंडल में सोनोवाल सहित कुल 11 ही सदस्य शामिल हैं। 19 सदस्यों वाले असम मंत्रिमंडल में अब शेष 8 पदों में नियुक्ति शेष है। मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर पिछले तीन महीनों से दिसपुर में राजनीतिक सरगर्मियां तेज तो हो ही गई हैं पर इस पर अमली जामा पहनाना बाकी है। इस बीच ताजा सूचना यह है कि सोनोवाल मंत्रिमंडल का विस्तार बोहाग बिहू के बाद ही होने की पूरी संभावना है। हाल ही के दिल्ली दौरे में मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व से बोहाग बिहू के बाद ही अपने मंत्रिमंडल को विस्तारित करने संबंधी बात रखी है। फिलहाल इस पर विमर्श जारी है।
मौजूदा सोनोवाल मंत्रिमंडल में शामिल सबसे प्रमुख नाम डा. हिमंत विश्व शर्मा का है जो चुनाव के ठीक एक साल पहले भाजपा में अपने शागिर्दों के साथ शामिल हो गए और जालुकबाड़ी क्षेत्र से फिर से विजयी हो गए। फिलहाल वे वित्त, योजना एवं विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, शिक्षा (उच्च/माध्यमिक/प्राथमिक), पर्यटन, हस्तकरघा एवं वस्त्र (केवल खादी एवं ग्रामोद्योग), गुवाहाटी विकास (जीडीडी), सहकारिता और पेंशन एवं लोक शिकायत विभाग के मंत्री हैं। हिमंत कांग्रेसी मूल के भाजपाई हैं। उनके साथ मंत्रिमंडल में कांग्रेसी मूल के पल्लवलोचन दास श्रम एवं रोजगार, चाय जनजाति कल्याण (स्वतंत्र प्रभार), राजस्व एवं आपदा प्रबंधन तथा ऊर्जा (मुख्यमंत्री की मदद के लिए राज्यमंत्री) पद पर आसीन हैं।
गौरतलब बात यह है कि मौजूदा मंत्रिमंडल के पांच सदस्य असम गण परिषद मूल के हैं। देखा जाए तो असली भाजपा मूल के सिर्फ दो ही व्यक्ति मौजूदा मंत्रिमंडल में शामिल हैं। ये हैं-लोकनिर्माण (सड़क एवं भवन, राष्ट्रीय राजमार्ग), मत्स्यपालन और आबकारी विभाग के मंत्री परिमल शुक्ल वैद्य और सिंचाई, हथकरघा, वस्त्र एवं रेशम (खादी एवं ग्रामोद्योग को छोड़) विभाग के मंत्री रंजीत दत्त। वहीं, असम गण परिषद के अध्यक्ष अतुल बोरा को कृषि, बागवानी एवं खाद्य प्रशंस्करण, पशुपालन एवं पशु चिकित्सा, शहरी विकास और नगर विकास विभाग का और अगप के कार्यकारी अध्यक्ष केशव महंत को जल संसाधन, विज्ञान एवं तकनीकी और सूचना प्रोद्योगिकी विभाग का दायित्व सौंपा गया है।

भाजपा केंद्रीय नेतृत्व भी इस बात को महसूस करने लगी है कि सोनोवाल मंत्रिमंडल के विस्तार में सावधानी बरतने की सख्त जरूरत है। आनन-फानन में लिया गया फैसला घातक साबित हो सकता है। वैसे, मुख्यमंत्री सोनोवाल भी इस विषय पर काफी सावधानी के साथ कदम बढ़ा रहे हैं। अंदरुनी जानकारी के अनुसार फिलहाल सोनोवाल कैबिनेट में असली मूल के भाजपाई विधायकों को जगह देने पर गहन विमर्श चल रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी इस बात को मानकर चल रहे हैं कि असम में भाजपा को मिली शानदार सफलता को बरकरार रखने के लिए मुख्यमंत्री सोनोवाल को अधिक मजबूत बनाना होगा। सोनोवाल टीम में ऐसे व्यक्तियों को जगह देनी होगी जिससे भविष्य में नुकसान की कोई संभावना की गुंजाइश नहीं रहेगी। पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी अपनी-अपनी ओर से जमीनी हकीकत को तलाश लिया है और मंत्रिमंडल में किन-किन विधायकों को शामिल करने का लाभ सोनोवाल को मिल सकता है उसका अध्ययन कर भी चुके हैं। इस संबंध में जरूरी फिडबैक केंद्रीय नेतृत्व के पास मौजूद है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री सोनोवाल अपने मंत्रिमंडल के विस्तार के मुद्दे को और कुछ दिनों तक टालने की चाहत रखते हैं। हालांकि, सोनोवाल मंत्रिमंडल में जिन 8 नए सदस्यों को शामिल किए जाने की संभावना है, उसकी सूची लगभग तैयार है तथा नामों की सूची पर मुख्यमंत्री सोनोवाल ने भी अपनी मुहर लगा दी है। मौजूदा विधायकों में से 6 पुराने भाजपाई विधायकों की तलाश भी की जा चुकी है। इसके पीछे की वजह राजनीतिक जानकारों को भलीभांति मालूम है।

सनद रहे कि तरुण गोगोई के नेतृत्व वाली पूर्व सरकार में डा. हिमंत विश्व शर्मा सरीखे बागी कांग्रेसियों के कारण सरकार गिरने जैसी स्थिति में आ गई थी। इस बार इसलिए सोनोवाल सरकार पर इस तरह के संकट के बादल न मंडरा सके उसकी सारी तैयारी अभी से की जा रही है। विस्तारित मंत्रिमंडल में जिन 6 भाजपा विधायकों के शामिल कराने की संभावना प्रबल है, उनमें से कुछ संभावित नाम इस प्रकार हैं-जोगेन महन (माहमोरा), तपन कुमार गोगोई (सोनारी), अशोकानंद सिंघल (ढेकियाजुली), शिलादित्य देव (होजाई), बलिन चेतिया (सदिया) और भवेश कलिता (रंगिया)। इसके अलावा और पहाड़ी जिलों से दो नामों पर विचार किया जा रहा है। ये नाम हैं-सुम रंगहांग और जयराम इंग्लेंग। वहीं, असम गण परिषद और बीपीएफ से एक-एक विधायकों को शामिल किए जाने की संभावना प्रबल है। सहयोगी पार्टियों के प्रमुखों ने अपने विधायकों के नाम प्रस्तावित भी कर दिये हैं। मालूम हो कि मौजूदा 11 सदस्योंवाली मंत्रिमंडल में असम गण परिषद मूल के 5 सदस्य हैं जिनमें से कुछ बाद में भाजपा में शामिल हुए और इसी पार्टी के विधायक चुन लिए गए। इसके अलावा डा. हिमंत विश्व शर्मा और पल्ल्वलोचन दास कांग्रेस मूल के हैं। भाजपा मूल के सिर्फ दो ही विधायक फिलहाल मंत्री बने हुए हैं। ये हैं परिमल शुक्लवैद्य और रंजीत दत्त। इसके चलते सोनोवाल मंत्रिमंडल में असली भाजपा मूल के व्यक्तियों की संख्या को बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया है तथा इस पर केंद्रीय नेतृत्व ने भी समर्थन जताया है।

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