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दिवाली की रात आखिर क्यों लगाया जाता है दीपक की लौ से बना हुआ काजल

भारतवर्ष में दिवाली हर जगह बड़े ही हर्षोल्लास से मनाई जाती है। हर घर में दिवाली पर साफ-सफाई और सजावट का काम बहुत दिन पहले से ही शुरू हो जाता है। दिवाली पर स्वादिष्ट पकवानों के साथ जायकेदार मिठाईयां सबको अपनी ओर मोहित कर लेती हैं। बच्चे,बूढ़े और जवान सब इस दिन को खुशी के साथ मनाते हैं। दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन के बाद घर की औरतें मुख्य दीपक की ज्योत के कालेपन से काजल बनाती है और घर के सभी सदस्यों के लगाती हैं। आइए जानते है कि काजल बनाने और लगाने के पीछे की क्या है कहानी।

दिवाली की रात काजल का चलन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुरी नजर से बचने के लिए काले टीके और काजल का इस्तेमाल किया जाता है। जिसके चलते ऐसा माना जाता है कि दिवाली की रात भी दीपक से बनाया हुआ काजल लगाने से आपके घर वालों और आपको नजर नहीं लगती और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

दिवाली के दिन धन की तिजोरी, घर की गैस और घर के दरवाजों इत्यादि पर भी काला टीका या काजल लगाया जाता है।इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण यह भी है चूकिं दिवाली के दौरान पटाखों से निकलने वाला धुंआ आंखों के लिए हानिकारक होता है तो ऐसे में कई बार पटाखों के धुएं की वजह से लोगों की आंखें लाल होने लगती हैं तो दिवाली के दिन धुंए के बुरे असर को खत्म करने के लिए काजल बहुत उपयोगी माना जाता है। इस कारण से ही दिवाली की रात पर घर में दीपक से निर्मित काजल लगाना शुभ माना जाता है।

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